विनोद साव की कृति ‘मेनलैंड का आदमी’ का विमोचन

छत्तीसगढ़ प्रदेश हिंदी साहित्य सम्मलेन, रायपुर द्वारा विगत १८ अक्टूबर को ‘मायाराम सुरजन स्मृति लोकायन’ में प्रादेशिक सम्मलेन का आयोजन किया गया जिसमें ‘वर्तमान समय और साहित्यकार का दायित्व’ विषय पर विचार गोष्ठी रखी गयी. इस अवसर पर चर्चित लेखक विनोद साव के साहित्य भंडार, इलाहाबाद से प्रकाशित यात्रा-वृत्तांत ‘मेनलैंड का आदमी’ का विमोचन प्रसिद्द व्यंग्यकार प्रभाकर चौबे व सम्मलेन के अध्यक्ष ललित सुरजन ने किया. कार्यक्रम का संचालन महामंत्री रवि श्रीवास्तव ने किया. विमोचित कृति पर मुख्य वक्तव्य देते हुए प्रसिद्द आलोचक डॉ. गोरेलाल चंदेल ने कहा कि ‘विनोद साव के यात्रा संस्मरण की भाषा यात्रा की नीरसता, उबाऊपन और बेजान विवरण को सरस और जीवंत बना देती है और पाठक को भी पूरी आत्मीयता से जोड़ देती है. विनोद के विचार कहीं भी वैचारिक जड़ता के शिकार नहीं होते वरन वे स्थानीयता के हिस्से बन जाते हैं. भाषा में ऐसा प्रवाह है कि पाठक भी उसमें डुबकी लगाते हुए बहने लगते हैं’  इस अवसर पर प्रदेश भर से उपस्थित साहित्यकारों के बीच विनोद शंकर शुक्ल, तेजेंदर, जीवन यदु, तुहिन देव, उर्मिला शुक्ल, विद्या गुप्त, संतोष झांझी आदि उपस्थित थे.स्‍ट यहॉं पेस्‍ट करें

मजदूर आन्दोलनों के शहर में

-    विनोद साव
भिलाई के इस फीडिंग सेंटर में आना जाना अक्सर होता रहा है. भिलाई इस्पात संयंत्र लोहे का कारखाना है और यह शहर इसे कच्चे लोहे की आपूर्ति करता रहा है. इसका असली नाम है झरनदल्ली – यहाँ की पहाड़ियों से लोहा झरता रहा है, बैल की पीठ जैसी आकार वाली यहाँ की पहाड़ियों से इसलिए यह खदान क्षेत्र झरन दल्ली कहलाया. अब इसे राजहरा कहा जाता है पर इस शहर का रेलवे स्टेशन इसे इसके मूल नाम की तरह राझरा (झरन जैसा) लिखता है. भारतीय रेलवे की यह विशेषता है कि वह किसी भी क्षेत्र की स्थानीयता को महत्व देता है और उनके वास्तविक नाम से ही रेलवे स्टेशनों का नामकरण करता है. इसलिए भी किसी स्थान के सही नाम की प्रमाणिकता के लिए रेलवे स्टेशन में लगी तख्ती को भी देखा जाता है.
छत्तीसगढ़ के जन-मानस की तरह यहाँ के रेल्वे स्टेशन बड़े साफ-सुथरे और सुंदर होते हैं. यहाँ गांव-कस्बों में बने स्टेशनों में कोई बदबू नहीं होती. आदमी कहीं भी फ़ैल-पसर के बैठ सकता है लेट सकता है और अपने टिफ़िन खा सकता है. वरना दूसरे हिंदी भाषी राज्यों के स्टेशन तो बाप रे बाप. अगर हमारे स्टेशन और अस्पताल अच्छे हों तो वहां भी लोगों में सामुदायिक भावना पनप जाती है और लोग आपस में प्रेम से बोलते बतियाते हुए इन स्टेशनों में गप-सड़ाका लगाते हुए मिल जाते हैं. राझरा का स्टेशन इसके लायक बड़ी मुफ़ीद जगह है.
भिलाई में नौकरी आरंभ करने से पहले १९७४ में बालोद पी.डब्लू.डी. में तीन साल नौकरी किया था तब बालोद के इस पडोसी शहर दल्ली और कुसुमकसा के हॉट-बाज़ार में जाया करता था. उस समय कुसुमकसा बाज़ार में सफ़ेद पत्थरों से बने रोटी बनाने की चौकी खरीददारों के लिए एक आकर्षण हुआ करती थी और रखिया बड़ी खाने के शौक़ीन लोग बड़े सस्ते में यहाँ से रखिया ले जाया करते थे. उस समय कुसुमकसा के दो ट्रांसपोर्ट ठेकेदार सम्पत लाल जैन और मनोहर जैन धन्नासेठ थे और इस इलाके में उनका वैसे ही नाम था जैसे देश में टाटा-बिड़ला का. ये केवल धन्ना सेठ ही नहीं समाजसेवी के रूप में भी जाने जाते थे. सेठ मनोहर जैन के घर एक बार खाना खाया था तब बातचीत में वे बड़े विचारवान इन्सान लगे थे.
एक बार भिलाई कर्मी के रूप में दल्ली के लौह अयस्क निकालने वाली खदानों के भीतर घूम घूम कर देखा था. तब यहाँ रहने वाले कर्मी भिलाई से आने वालों से मिलकर बड़ी प्रसन्नता जाहिर करते थे और अपने तई आवभगत भी करते थे. यहाँ गुरुनानक स्कूल के प्राचार्य हमारे बड़े भैया प्रमोद साव पैंतीस वर्षों से हैं, भाभी पुष्पा साव भी वहीं शिक्षिका हैं. वे लोग बताते हैं कि पहले दिन भर में इन खदानों से तीस चालीस विस्फोटों की आवाज़ सुनाई देती थी पर अब एकाद सुनाई दे जाय तो दे जाय. इससे लगता है कि अब सचमुच लोहा खत्म होने की कगार पर है. आगे रावघाट का ही सहारा है. उस दिशा में रेल लाइन १८ कि.मी.बढ़ चली है गुदुम तक. फिर रावघाट और फिर जगदलपुर तक ट्रेन शुरू हो जाय तब दल्लीराजहरा में आवाजाही और बढे. पहले इस खदान नगरी की आबादी एक लाख थी अब पचास हज़ार हो गई है. स्थानीय आबादी कम हुई है पर छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद बाहरी आबादी बढ़ी है. बंगाली बिहारी आकर यहाँ कुछ दूसरे उपक्रमों में सक्रिय हुए हैं. आबादी भले ही कम हुई पर बाज़ार की चमक बढ़ी है. चमक फीकी हुई है तो दल्ली के आसपास रहे घने जंगलों की. अब तो सड़क किनारे वृक्षारोपण के नाम पर ही वृक्ष बचे हैं इन वृक्षों की पंक्तियों के पीछे जाने पर जंगल सफ़ाचट दिखाई देते हैं.

दल्लीराजहरा का यह शहर अपने मजदूर आंदोलनों के लिए विख्यात रहा है.  अपने बालोद प्रवास के समय में बालोद तहसील न्यायालय में मुकदमे में पेश किये गए मजदूर नेता शंकर गुहा नियोगी को देखा करता था जिनकी एक हुंकार पर दल्ली खदानों के हजारों मजदूर दौड पड़ा करते थे. बालोद अपने किसान आन्दोलन के लिए प्रसिद्ध रहा है तो दल्लीराजहरा मजदूर आंदोलनों के लिए. यहाँ की स्त्रियों में भी अपने अधिकारों को लेकर आक्रामक चेतना जागी थी. मजदूरों पर नियोगी जी के बढते प्रभाव ने उन्हें अंतराष्ट्रीय ख्याति दिला दी थी. गांव-देहात के बाज़ारों में उनके चित्र (पोस्टर) बिकने लगे थे. उन पर नाटक कविता लिखे जाते थे. इस मजदूर नेता के ऐसे ही पड़े प्रभाव पर एक नाटक ‘पोस्टर’ प्रसिद्ध नाटककार शंकर शेष द्वारा लिखा गया था जो बेहद चर्चित हुआ और रंगमंचों पर भिलाई में व अन्यत्र आज भी खेला जाता है. दल्ली के पास स्थित भोयर टोला बांध को देखने गया तब रास्ते में पड़ने वाले गाँवों कारूटोला व अन्य गांव की दीवारों पर उस मजदूर नेता के सन्देश आज भी दीवारों पर अंकित हो रहे हैं और उनकी २५ वीं शहादत दिवस को मनाये जाने का आव्हान कर रहे है. उनके द्वारा स्थापित शहीद अस्पताल को भी देखा जहां मजदूरों को बेहतर चिकित्सा व्यवस्था मुहैया करवाई जाती है. डॉक्टर लालवानी यहाँ की चिकित्सा व्यवस्था को संतोषप्रद व अच्छा बताते हैं. यह एक संयोग है कि इस विलक्षण प्रभाव वाले मजदूर नेता का बेटा जीत गुहा नियोगी भिलाई में हमारा सहकर्मी रहा.

अक्टूबर की तेज धूप की गर्मी में इसकी पहाड़ियों से आती ठंडी हवा भी समाई हुई थी. कहीं भी पानी पी लो इनके पत्थरों से निकले जल की शीतलता दिमाग को ठंडक पहुंचा देती है. भारी पेड़ों की कटौती के बाद भी आसपास के जंगलों में प्रकृति सुवासित हो रही है. भिलाई से लगभग सौ कि.मी.दूर बसी इस खदान नगरी में आज भी कोई भिलाई कर्मी स्थानान्तरित होकर जाता है तो वहाँ के परिवेश में रहकर वह मजदूरों हितों के प्रति संवेदनशील होना सीख जाता है. आखिरकार दल्लीराजहरा मेहनतकशों और मजदूरों का शहर है. 


लेखक सम्पर्क 9009884014

छत्‍तीसगढ़ राज्य स्थापना दिवस पर राज्‍य अलंकरण

छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना दिवस के अवसर पर प्रदेश सरकार द्वारा आज यहां बूढ़ातालाब (विवेकानंद सरोवर) के सामने इंडोर स्टेडियम में आयोजित अलंकरण समारोह में छत्तीसगढ़ के महान विभूतियों को राज्यपाल श्री बलरामजी दास टण्डन, केन्द्रीय वित्त और सूचना एवं प्रसारण मंत्री श्री अरूण जेटली, मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह और उनके मंत्रीमण्डल के सदस्यों ने सम्मानित किया। समारोह में सार्वजनिक जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में सर्वश्रेष्ठ योगदान के लिए प्रदेश के विशिष्ट व्यक्तियों और संस्थाओं को राज्य अलंकरणों और पुरस्कारों से सम्मानित किया गया।
कृषि क्षेत्र में डॉ. खूबचंद बघेल सम्मान- श्री गजानन्द पटेल महासमुन्द और श्री राम प्रकाश केशरवानी, जांजगीर-चांपा को संयुक्त रूप से दिया गया। महिला उत्थान के लिए मिनी माता सम्मान- कुमारी उर्मिला सोनवानी गरियाबंद, संकल्प सांस्कृतिक समिति रायपुर को संयुक्त रूप से, खेल के क्षेत्र में सराहनीय और उत्कृष्ट योगदान के लिए खेल एवं युवा कल्याण विभाग की ओर से गुण्डाधूर सम्मान- श्री बीनू व्ही, भिलाई, श्री फिरोज अहमद खान, भिलाई नगर को संयुक्त रूप से दिया गया। तीरंदाजी के क्षेत्र में सर्वश्रेष्ठ योगदान के लिए खेल एवं युवा कल्याण विभाग की ओर से महाराजा प्रवीरचंद भंजदेव सम्मान- श्री भरत कुमार यादव रायपुर, सुश्री केल्मित लेप्चा, रायपुर को संयुक्त रूप से दिया गया। साहित्य/आंचलिक साहित्य के क्षेत्र में संस्कृति विभाग द्वारा स्थापित पंडित सुन्दरलाल शर्मा सम्मान- कोण्डागांव के श्री हरिहर वैष्णव को, संस्कृति विभाग द्वारा संगीत और कला के क्षेत्र में स्थापित चक्रधर सम्मान- रायपुर के श्री जलील रिजवी को दिया गया। लोक कला/ शिल्प के क्षेत्र में संस्कृति विभाग द्वारा स्थपित दाऊ मंदराजी सम्मान- राजनांदगांव की श्रीमती पूनम तिवारी (विराट) को, आदिवासी एवं पिछड़ा वर्ग उत्थान के क्षेत्र में शहीद वीर नारायण सिंह सम्मान- ग्राम भितघरा (तहसील बगीचा) जिला जशपुर के श्री जागेश्वर राम को आज अतिथियों की उपस्थिति में सम्मानित किया गया।
सामाजिक चेतना/दलित उत्थान के क्षेत्र में स्थापित गुरू घासीदास सम्मान- ग्राम पिरदा (भिंभौरी) जिला दुर्ग की श्रीमती शांति बाई चेलक को और उर्दू भाषा की सेवा के लिए हाजी हसन अली सम्मान- बसेरा कॉलोनी बिलासपुर के डॉ. सैय्यद मंजूर अली ‘राही’ को दिया गया। आदिवासियों की सेवा और उत्थान के क्षेत्र में डॉ. भंवर सिंह पोर्ते सम्मान- ग्राम सामरबहार (बगीचा) जिला जशपुर की संस्था ‘सन्त सनातन समाज’ गहिरा को प्रदान किया गया। ये चारों सम्मान आदिम जाति एवं अनुसूचित जाति विकास विभाग द्वारा स्थापित किए गए हैं। पत्रकारिता के क्षेत्र में जनसम्पर्क विभाग द्वारा स्थापित चन्दूलाल चन्द्राकर स्मृति पुरस्कार- प्रिन्ट मीडिया (हिन्दी) के लिए प्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार, रायगढ़ निवासी श्री गुरूदेव काश्यप का चयन किया गया। श्री काश्यप अस्वस्थ होने के कारण समारोह में उपस्थित नहीं हो पाए। उनका पुरस्कार उनके प्रतिनिधि के रूप में रायगढ़ आए श्री देव चौबे ने ग्रहण किया। इलेक्ट्रानिक मीडिया (हिन्दी) के लिए रायपुर के टी.व्ही. पत्रकार श्री संजय कुमार शेखर को, अंग्रेजी पत्रकारिता के लिए स्थापित मधुकर खेर स्मृति पुरस्कार- प्रिन्ट मीडिया के क्षेत्र में रायपुर के श्री आर. कृष्णा दास को दिया गया।
सहकारिता के क्षेत्र में ठाकुर प्यारेलाल सिंह सम्मान- सहकारिता विभाग द्वारा नवीन बीज उत्पादक सहकारी समिति मर्यादित रायपुर के श्री जयनारायण अग्रवाल/श्री आर.के. चन्द्राकर को अतिथियों ने सम्मानित किया। दानशीलता, सौहार्द्र और अनुकरणीय सहायता के क्षेत्र में समाज कल्याण विभाग द्वारा स्थापित दानवीर भामाशाह पुरस्कार- दुर्ग के श्री रामचन्द्र साहू को और मछली पालन विभाग द्वारा स्थापित बिलासा बाई केंवटिन सम्मान- ग्राम बगौद (कुरूद) जिला धमतरी के श्री मुस्ताक खान को दिया गया। अपराध अनुसंधान के क्षेत्र में गृह विभाग द्वारा स्थापित पंडित लखन लाल मिश्र सम्मान- ग्राम कोसिर जिला रायगढ़ के तत्कालीन सहायक उप निरीक्षक श्री जयमंगल पटेल को, सामाजिक-आर्थिक और शैक्षणिक क्षेत्र में अभिनव प्रयासों के लिए सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा स्थापित पंडित रविशंकर शुक्ल सम्मान- प्रदेश के वरिष्ठ चिन्तक और पूर्व वित्त मंत्री डॉ. रामचन्द्र सिंह देव (जिला कोरिया) को प्रदान किया गया। अहिंसा और गौरक्षा के क्षेत्र में स्थापित यतियतन लाल सम्मान- राजनांदगांव जिले के मोहला निवासी श्री तेजकरण जैन को और सामाजिक समरसता के क्षेत्र में स्थापित महाराजा अग्रसेन सम्मान- गंजपारा रायपुर निवासी श्री सदाराम अग्रवाल को और संस्कृत भाषा के उत्थान एवं प्रचार-प्रसार के लिए डॉ. गणेश कौशिक को अतिथियों ने प्रदान किया।

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