क्षेत्रीय पत्र-पत्रिकाओं में प्राय: ``रावघाट के योद्धा`` के संबोधन से युक्त एक शख्श का नाम पिछले कई माह से हम पढ रहे हैं । हम दुर्ग-भिलाई में रहते हैं इस कारण लोहा एवं उससे जुडे मुद्दों पर यदा कदा चिंतन स्वमेव हो जाता है और लौह अयस्क के अकूत भंडार होने के कारण हमारी स्वाभाविक रूचि रावघाट एवं रावघाट से जुडे मुद्दों पर भी रही है । रावघाट के इस योद्धा नें लौह अयस्कों को निजी हाथों में सौंपे जाने के विरूद्ध जो लडाई लडी है वह छत्तीसगढ सहित संपूर्ण भारत के उपलब्ध खजाने को लूटने से बचाने की लडाई है ।
रावघाट के इस योद्धा का नाम है विनोद चावडा । सहज सरल किन्तु देश के खनिज संपदा के संबंध में संम्पूर्ण जानकारी अपनी सहज शैली में बसाए हुए खनिज मामलों के वकील । इनके संबंध में व्यापक जनहित पर आधारित विशिष्ट कार्यशैली पर बीबीसी के पूर्व संवाददाता श्री शुभ्राशु चौधरी अपने एक लेख पर कहते हैं –
“विनोद चावड़ा थोडे फक्कड़ किस्म के माइनिंग विषयों के वकील है। जब दुर्ग के एक मोहल्ले में मैं उनके गैराज नुमा दतर में पहुंचा वे दो जेबों वाली सफेद बण्डी पहने हुए थें। सबसे पहले उन्होंने मुझे उनकी काली कुर्सी पर बैठने को कहा उन्होंने बताया कि यह इस दफ्तर का रिवाज हैं कि कोई भी मेहमान जब यहां पहली बार आता हैं तो मैं उन्हें अपनी कुर्सी में बैठाता हूं और खुद मेहमान की कुर्सी पर बैठता हूं।“
“. . .अब विनोद चावड़ा जी ने अपने बारे में बताना शुरू किया । मेरे पिताजी ट्रक ड्राइवर थे और मैं भिलाई-दुर्ग में ही बड़ा हुआ, यही मेरी मातृभूमि कर्मभूमि हैं । मैंने शादी नहीं की है और पड़ोस में मेरे भाई का परिवार रहता है जिनके भरोसे मैं जिन्दा हूं यानि मेरे खाने पीने का इंतजाम उनके यहां होता है और अब आप सिर उठाकर ऊपर देखिए ।“
“विनोद चावड़ा की कुर्सी के ठीक ऊपर जहां अब भी मैं बैठा हुआ था एक बड़ा सा ओम लिखा हुआ हैं । उन्होंने बताया यह ओम मेरी रक्षा करता हैं ।“
इसी ओम के सहारे विनोद भाई नें छत्तीसगढ के रावघाट के गर्भ में छिपे 90 हजार करोड के लौह भंडार को केन्द्र और राज्य शासन के द्वारा निजी एवं विदेशी कम्पनियों को सौंपने के कुत्सित प्रयास के विरूद्ध आवाज उठाया । सरकारी तंत्रों से दस्तावेजी प्रमाणों व विधिक साक्ष्यों के साथ ही जन-मन आन्दोलनों के सहारे बिना किसी आर्थिक सहयोग के लडते रहे । विनोद जी के संबंध में शुभ्राशु जी आगे कहते हैं –
“उन्होंने आगे समझाया कि मध्यप्रदेश सरकार के एक नोटिफिकेशन के अनुसार रावघाट की तमाम माइंस को सार्वजनिक क्षेत्र के लिए सुरक्षित रखा गया हैं, पर देश के काफी नेताओं ने उस कानून को अनदेखा कर रावघाट की माइंग की लीज निजी कंपनियों को दे दी थी ।“
विनोद चावड़ा कहते है 'भाई साहब हम आज जो भी हैं भिलाई स्टील प्लांट की बदौलत हैं और अगर रावघाट निजी हाथों में चला जाता तो भिलाई स्टील प्लांट के अगले तीस सालों में बंद हो जाने की नौबत आ जाती ।`
विनोद चावड़ा ने अपने खर्चे और प्रयास से इस गैर कानूनी पहल के बारे में लोगों को जानकारी देना शुरू किया और अंतत: पिछले महीने मुख्य सचिव शिवराज सिंह ने रावघाट को निजी कंपनियों को देने की फाइल में अंतिम दस्तखत करके मामले को रफा दफा किया ।
विनोद जी का कार्य, लगन एवं कर्तव्यों के प्रति उनकी प्रतिबद्धता सदैव अनुकरणीय रहा है । छत्तीसगढ के खनिज ज्ञान के संबंध में उन्हें चलता फिरता इन्साईक्लोपीडिया कहा जाता है । छत्तीसगढ के खनिज के सहारे देश और विदेश में कौन कौन सी कम्पनियों का अस्तित्व कायम है यह विनोद जी को पता है । न केवल बाक्साईड, लौह अयस्क और कोयला बल्कि छत्तीसगढ के हीरों की गहरी जानकारी विनोद जी के पास है । छत्तीसगढ के मुख्यमंत्री के कथन ‘ 2011 तक छत्तीसगढ में इतना ज्यादा हीरे का उत्पादन होने लग जायेगा जो न कि प्रदेश का हुलिया बदल देगा बल्कि छत्तीसगढ दुनिया में हीरे की इतनी बडी मंडी बन जाएगी कि वही हीरे की कीमत तय करेगी’ का उत्तर देते हुए विनोद जी कहते हैं –
“जैसा यूरोप के देशों ने एशिया और अफ्रीका को उपनिवेश बनाने के लिए आपस में बांट लिया था वैसे ही दुनिया की तीन बड़ी कंपनियों डी बीयर्स, रिओ टिण्टो और एंग्लो अमेरिकन ने पूरे छत्तीसगढ़ को आपस में बांट लिया है और उनको लीज हमारी सरकार ने दी है । यह बात सही है कि छत्तीसगढ़ में अकूत हीरे के होने की पूरी संभावना है पर मैं यहां की वास्तविकता जानता हूं और आपको यह लिखकर देता हूं कि २०२० में भी यदि पहला हीरा बाजार में आ गया तो यह एक बहुत बड़ी उपलब्धि होगी ।“
“पर मैं सभी से हाथ जोड़कर अनुरोध करता हूं कि इस हीरे के उत्खनन को हमारी अगली पीढ़ी के लिए छोड़ दिया जाए । हमारे प्रदेश में लौह अयस्क, कोयला, बॉक्साइट और डोलोमाइट का इतना भंडार है कि यदि इनका उचित दोहन किया जाए और उस धन का उचित उपयोग हो तो वह हमारी कई पीढ़ियों के लिए पर्याप्त है । मेरा मानना है कि हीरे का खनन तब तक नहीं होना चाहिए जब तक हमारे बच्चों के पास हीरा उत्खनन की तमाम तकनीक न आ जाए और हमें किसी विदेशी रिओ टिण्टी या डी बीयर्स की जरूरत न रहे ।“
छत्तीसगढ़ की अकूत खनिज संपदा के कुपात्रों द्वारा विकृत दोहन किये जाने के कुत्सित प्रयासों में से एक मुख्य षड़यंत्र छ.ग. के मेरूदंड राष्ट्रीय गौरव भिलाई इस्पात संयंत्र की जीवनदायिनी परियोजना ‘रावघाट’ के लौह अयस्क भंडारों को राज्य एवं केन्द्र सरकारों द्वारा निजी हाथों में सौपे जाने के सरकारी प्रयासों को अधिवक्ता विनोद चावड़ा द्वारा विफल करवा देने के कारण ९० हजार करोड़ रूपए की सरकारी संपत्ति (रावघाट के लौह अयस्क भंडार) पुन: भिलाई इस्पात संयंत्र को वापस मिलने की संभावना बलवती हई। उनके इस प्रयास पर छत्तीसगढ के विभिन्न सामाजिक संगठनों एवं प्रतिष्ठित ब्यक्तियों के द्वारा उन्हें सम्मान प्रदान किया गया एवं उनकी सर्वत्र प्रसंशा की गई जिनमें से कुछ का उल्लेख हम यहां कर रहे हैं :-
1. छ.ग. की प्रतिष्ठित साहित्यिक संस्था ``अगासदिया`` द्वारा ``रावघाट के योद्धा`` की उपाधि से विभूषित करते हुए ``चंदूलाल चंद्राकर सम्मान-२००७`` प्रदान किया गया ।
2. राष्ट्रीय लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं समाजवादी चिंतक श्री रघु ठाकुर द्वारा प्रदेश की खनिज संपदा की रक्षा के अभिनव सफलतम प्रयासों के लिए सार्वजनिक अभिनंदन करते हुए ``छत्तीसगढ़ गौरव`` की उपाधि से विभूषित किया।
3. राजभाषा छत्तीसगढ़ी मंच द्वारा ``छत्तीसगढ़ रत्न`` की उपाधि से सम्मानित किया गया।
4. कंगलामाझी सरकार द्वारा ``कंगलामाझी सम्मान-२००७`` से सम्मानित किया गया ।
5. संत कवि पवन दीवान द्वारा अभिनंदन ।
6. प्रख्यात चिंतक व सेंटर फॉर स्टडी ऑफ सोसायटी एंड सेक्युलरिजम, मुम्बई के निर्देशक डॉ. असगर अली इंजीनियर द्वारा प्रशंसा ।
7. भिलाई इस्पात संयंत्र के वर्तमान प्रबंध निर्देशक श्री आर. रामाराजू द्वारा धन्यवाद दिया गया कि, विनोद चावड़ा ने भिलाई इस्पात संयंत्र का अधिवक्ता नहीं होने के बावजूद संयंत्र के लंबे जीवन के लिए आवश्यक रावघाट के लौह अयस्क भंडारों को वापस संयंत्र की झोली में डलवाने का अविस्मरणीय कार्य कर दिया है इसके लिए संयंत्र परिवार इनका अत्यंत आभारी है।
8. भिलाई इस्पात संयंत्र की स्थापना में अविस्मरणीय योगदान प्रदान करने वाले म.प्र. के प्रथम मुख्यमंत्री स्व. पं. रविशंकर शुक्ल के पुत्र श्री विद्याचरण शुक्ल द्वारा रावघाट के लौह अयस्क भंडारों को बीएसपी के पक्ष में पुन: सुरक्षित किये जाने हेतु किये गये उनके प्रयासों की भूरी-भूरी प्रशंसा करते हुए श्री चावड़ा को आर्शीवाद दिया ।
इस योद्वा का जीवन आदर्श है, देश को ऐसे कर्मवीरों की आवश्यकता है, शुभ्रांशु जी की पंक्ति देखिए –
"मुझे विख्यात अमेरिकी लेखक वाइस लिपमैन का १९३६ में दिया वह विख्यात भाषण भी याद आया जो उन्होंने अमेरिकी लोकतंत्र की सफलता का कारण समझाते हुए दिया था । उन्होंने बताया था कि न सिर्फ स्वतंत्र प्रेस और न्यायालय बल्कि इन सभी से स्वतंत्र उन व्यक्तियों का भी इस बचाने में अहम रोल रहा है जो चर्च, विश्वविद्यालय या किसी भी तरह की संस्था से अलग रहकर अपने दम पर इस पर नजर रखते हैं । अगर हम भारतीय लोकतंत्र को भी बचाना चाहते हैं तो हमें विनोद चावड़ा जैसे स्वतंत्र लोगों की जरूरत हैं ।"
(शुभ्रांशु चौधरी के आलेख एवं विनोद चोपडा जी से प्राप्त जानकारी के आधार पर)
संजीव तिवारी