शैलेष पर हमला लोकतंत्र पर हमला है या कोई साजिश ?

बुधवार रात लगभग 11 बजे कोरबा के निकट सालिहाभाठा के जंगल क्षेत्र में अजित जोगी के सहयोगी एवं राजनैतिक सलाहकार शैलेष नितिन त्रिवेदी पर अज्ञात हमलावरों नें हमला कर दिया । समाचार पत्रों में प्रकाशित समाचार के अनुसार लगभग दर्जन भर हमलावरों नें शैलेष को उनकी स्‍कार्पियो को ओवरटेक कर के रोका और उन्‍हें उतार कर बेदम होते तक पीटा व उन्‍हें मरा समझकर जंगल में छोड गये। 

शैलेष पर हुए हमले की खबर मिलने पर उन्‍हें सुबह पहले कोरबा फिर बिलासपुर अस्‍पताल लाया गया जहां वे आईसीयू में भर्ती हैं । कल दैनिक छत्‍तीसगढ में प्रकाशित समाचार के अनुसार शैलेष नें अपने पास रखे दस लाख रूपये को हमलावरों द्वारा छीन लिए जाने की बात की थी । आज समाचार पत्रों में उक्‍त रकम बीस हजार बतलाई गई है । 

शैलेष नितिन त्रिवेदी उच्‍च शिक्षा प्राप्‍त, स्‍वच्‍छ छवि के राजनैतिक हैं एवं इंटरनेट में बेहद सक्रिय अकेले छत्‍तीसगढिया राजनैतिज्ञ है । इस हमले के बाद राजनैतिक आरोप प्रत्‍यारोप का दौर आरंभ हो गया है किन्‍तु इन सब से शैलेष का कोई भला नहीं होने वाला, अभी तो उसे दुवा की आवश्‍यकता है । वे जल्‍दी स्‍वस्‍थ होवे यही हमारी एवं उनके मित्र श्री दिलीप गोलछा जी की ईश्‍वर से प्रार्थना है । 


संजीव तिवारी 

ऑरकुट में खेल निराले मेरे भैया

पिछले दिनों एक ब्‍लागर साथी व आरकुट मित्र के साथ गंभीर वाकया हो गया। या यूं कहें कि यह वाकया उनके उन सभी आरकुट मित्रों के साथ हो गया जो सुबह दस बजे के लगभग अपना आरकुट स्‍क्रैप खोले। मित्रों नें देखा कि उनका वह गंभीर व शालीन मित्र अपने आरकुट प्रोफाईल में नंगी स्‍त्री का तस्‍वीर लगाया है और जहां जहां उसने स्‍क्रैप किया था वहां वहां वह भद्दी तस्‍वीर उपस्थित होकर स्‍क्रैप की बैंड बजा रहा है । खैर मित्र नें गलती मानी और बाकायदा क्षमायाचना के स्‍क्रैप भेजे साथ ही तस्‍वीर भी बदली। धर्नुधर का तीर निशाने से चूक गया था प्रत्‍यंचा ढीली छोडने का यह नतीजा था ।

इसलिए भाइयों हमेशा जागते रहो और खासकर जब देर रात तक फिरंगी मेमों से चेतियाने की आदत हो तब तो और भी, पासवर्ड चोर, लेख चोर और मन के चोर सभी इस नेट जगत में सक्रिय है । साथ ही I पी और आई D ट्रैकर और दुसरे गोपनीय तकनीक आपके सभी सच झूठ को उजागर करने के लिए भी तैयार रहते है !  

दानवीर दाउ कल्‍याण सिंह : छत्‍तीसगढ के अनमोल रतन

दान की परम्‍परा छत्‍तीसगढ में सदियों से रही है। वैदिक काल में दानवीर राजा मोरध्‍वज की कर्मस्‍थली इस प्रदेश में अनेकों दानवीरों नें जन्‍म लिया है । इन्‍हीं दानवीरों में दतरेंगा, भाटापारा में जन्‍में दाउ कल्‍याण सिंह का नाम संपूर्ण प्रदेश में आदर के साथ लिया जाता है । दाउ कल्‍याण सिंह के दान से सुवासित छत्‍तीसगढ के शिक्षा व चिकित्‍सा सेवा के क्षेत्र आज भी पुष्पित व पल्‍लवित हैं । समाज सेवा के अन्‍य क्षेत्रों में भी दाउ कल्‍याण सिंह जी का योगदान सदैव याद रखा जाने वाला रहा है ।

आज रायपुर प्रदेश का प्रशासनिक महकमा जिस छाव तले सुकून से एयरकंडीशनरों की हवा में शासन चला रहा है वह भवन भी दाउ कल्‍याण सिंह के दान में दी गई राशि से बनवाई गई है । छत्‍तीसगढ शासन का मंत्रालय आज जिस भवन में स्‍थापित है वह पहले चिकित्‍सा सुविधाओं से परिपूर्ण भव्‍य डीके हास्‍पीटल हुआ करता था जहां छत्‍तीसगढ के दूर दूर गांव-देहात व शहरों से लोग आकर नि:शुल्‍क चिकित्‍सा सेवा का लाभ उठाते थे जो संपूर्ण छत्‍तीसगढ में एकमात्र आधुनिक चिकित्‍सा का केन्‍द्र था । इस हास्‍पीटल के निर्माण के लिए दाउ कल्‍याण सिंह नें सन् 1944 में एक लाख पच्‍चीस हजार रूपये दान में दिया था । उस समय के उक्‍त राशि का वर्तमान समय के अनुपात में यदि आकलन किया जाए तो वह लगभग सत्‍तर करोड रूपये होते हैं । निर्माण के बाद इस हास्‍पीटल का नाम दाउ कल्‍याण सिंह चिकित्‍सालय रखा गया था। इस चिकित्‍सालय नें छत्‍तीसगढ में अभूतपूर्व चिकित्‍सा सुविधायें उपलब्‍ध कराई, बाद में यह चिकित्‍सालय नये भवन में स्‍थानांतरित हो गया और दाउ कल्‍याण सिंह के द्वारा दिये दान से बनवाये गये इस भवन में छत्‍तीसगढ मंत्रालय स्‍थापित हो गया ।

रायपुर का कृषि विश्‍वविद्यालय भी दाउ कल्‍याण सिंह द्वारा 1784 एकड जमीन दान में देने के बाद ही (पहले कृषि महाविद्यालय फिर कृषि विश्‍वविद्यालय) अस्तित्‍व में आ सका । इसके अतिरिक्‍त दाउ कल्‍याण सिंह नें रायपुर में पुत्री शाला, जगन्‍नाथ मंदिर भाटापारा में पुलिस थाना सहित अनेकों भवनों के लिए भूमि व राशि दान में दिया जिनमें चर्च के लिए भी सहर्ष भूमि दान दिया जाना दाउ जी के सामाजिक सौहाद्र को प्रदर्शित करता है । इनके इन सहयोगों से ही तत्‍कालीन छत्‍तीसगढ में विकास के सोपान लिखे जा सके ।

दाउ कल्‍याण सिंह का जन्‍म 4 अप्रैल को हुआ था, दाउ जी विलक्षण प्रतिभा के धनी व दीन-दुखियों के सेवा में सदैव तत्‍पर रहने वाले मनीषी थे इन्‍होंने कब-कब व कहां-कहां कितना दान दिया इसका उल्‍लेख करें तो कई पन्‍ने रंगनें पडेंगें। छत्‍तीसगढी अग्रवाल समाज दाउ जी के यादों को अक्षुण बनाये रखने के लिए आज के दिन को दानशीलता दिवस के रूप में मनाते हैं ।

स्‍वस्‍थ व संस्‍कारित छत्‍तीसगढ के निर्माण के लिए संपूर्ण जीवन अर्पित कर देने वाले दाउ कल्‍याण सिंह को हम अपना श्रद्वा सुमन अर्पित करते हैं।

संजीव तिवारी 
चित्र http://www.raipurcity.info से साभार 

होसियार खबरदार आपका बेबसाईट हैक हो सकता है

खबर है कि छत्‍तीसगढ के पूर्व मंत्री बदरूद्दीन कुरैशी नें कल दुर्ग में प्रेस वार्ता लेकर आरोप लगाया कि दुर्ग लोकसभा की प्रत्‍यासी सुश्री सरोज पाण्‍डेय नें अपने वेबसाईट में भारत के प्रथम प्रधान मंत्री पं.जवाहर लाल नेहरू के संबंध में झूठा एवं मनगढंत आरोप लगयाया है । बदरूद्दीन कुरैशी नें आगे कहा कि यह साजिस के तहत् पं.नेहरू पर झूठा आरोप लगा कर नेहरू परिवार को बदनाम  करने की कोशिस की जा रही है । उन्‍होंनें यह भी कहा कि सरोज पाण्‍डेय की वजूद भी भिलाई स्‍टील प्‍लांट के कारण है एवं भिलाई स्‍टील प्‍लांट का वजूद पं.नेहरू के कारण है । 

बदरूद्दीन कुरौशी नें यह स्‍वीकार किया कि वेब साईड एक अंतर्राष्‍ट्रीय मंच है जिसमें पं. नेहरू को बदनाम किया गया है इसकी शिकायत चुनाव आयोग से की जावेगी एवं कांग्रेस व क्षेत्र की जनता के द्वारा आन्‍दोलन किया जायेगा। 

अब बदरू भईया को कौन समझाये कि कंच कुमारी सरोज पाण्‍डेय के वेबसाईट के संबंध में बयानबाजी कर वे अप्रत्‍क्ष रूप से उस साईट का प्रचार कर रहे हैं और अपने स्‍वाभिमान को ठेस पहुचा रहे हैं । 

पुछल्‍ला - 

एक पूर्व सांसद के खेमे से नेट में सक्रिय मित्र का मजाकिया फोन आया 
- भईया क्‍या सरोज पाण्‍डेय के बेब साईट को हैक कर उसमें ताराचंद साहू को वोट देने की अपील डाली जा सकती है ?
हमने भी हा हा कहते हुए उस साईट की नब्‍ज टटोली, कुण्‍डली पढी सुरक्षा लूपों को चेक किया । 
खतरा बरकरार था, हमने कहा 
- भाई अवैधानिक काम करने वाले हैकर जरूर कर सकते हैं जिसके संबंध में मुझे जानकारी नहीं है । 
मित्र और हम दोनो देर तक ठहाका लगाते रहे । 

इस साईट के दीप को अमन से जलने दें क्‍योंकि दीप तले अंधेरा होता ही है और इसी अंधेरे में अमन चैन से सोता है । 

संजीव तिवारी

सर्वश्रेष्‍ठ टिप्‍पणीकार ब्‍लागर डॉ.चंद्रकुमार जैन

एक अप्रैल को प्रकाशित छत्‍तीसगढ के एक समाचार पर बरबस निगाहें जम गई क्‍योंकि समाचार हमारे ब्‍लाग जगत के प्रिय, राष्ट्रपति-पदक एवं छत्तीसगढ़ राज्य शिखर सम्मान से विभूषित  डॉ.चंद्रकुमार जैन जी से संबंधित था । डॉ.जैन के ब्‍लाग का अवलोकन मैं उनके दूसरे पोस्‍ट से ही कर चुका था उसके बाद मेरे नेट पर सक्रिय रहने तक लगभग प्रत्‍येक दिन मैं उनके ब्‍लाग का अवलोकन करता था एवं अपेक्षा करता था कि उनकी टिप्‍पणी मुझे मिले, उनकी दो चार टिप्‍पणिया मुझे आर्शिवाद के रूप में प्राप्‍त भी हुई हैं फिर मैं अनियमित रहने लगा सो उनके ब्‍लाग का अवलोकन नियमित नहीं कर पाया । उनके संबंध में मुझे पहले-पहल संजीत त्रिपाठी जी नें यह जानकारी दी कि वे उनके पुराने पोस्‍टों पर भी टिप्‍पणियां कर रहे हैं और संजीत जी नें मुझसे उनका फोन नम्‍बर भी मांगा, किन्‍तु मैं इन मामलों में बिल्‍कुल मस्‍त मौला हूं ब्‍लागों के उदगम समय से निरंतर अवलोकन करने के बावजूद भी ब्‍लागर से तात्‍कालिक संबंध बना पाने में किंचित सुस्‍त । अत: मेरे पास उनका नम्‍बर नहीं था । बाद में संजीत जी को उनका नम्‍बर भी मिला और अजीत वडनेरकर सहित सभी ब्‍लाग मित्रों से संजीत जी की बातें भी होती रही है ।

छत्‍तीसगढ के साहि‍त्तिक बिरादरी में डॉ.जैन जी का नाम सम्‍मान से लिया जाता है, सो उनके संबंध में संक्षिप्‍त जानकारी मुझे थी । उनके ब्‍लाग की कविताओं एवं दमदार टिप्‍पणियों नें उनका पूर्ण परिचय करा दिया था। उनके संबंध में छपे समाचार को देखकर उत्‍सुकता हुई और मन हुआ कि इस खुशी को मित्रों के साथ बांटा जाए । समाचार ज्‍यों का त्‍यों प्रस्‍तुत है –

राजनांदगांव, 1 अप्रैल । कालेज के डॉ.चंद्रकुमार जैन को अंतरजाल के लोकप्रिय सर्च इंजन गूगल के नियमित पाठक समूह का सदस्‍य बनाया गया है । इसके साथ ही सतत् सार्थक लेखन करते हुए समसामयिक विमर्श में शसक्‍त और प्रभावशाली हस्‍तक्षेप के आधार पर उन्‍हें वर्ष 2008-09 का सर्वश्रेष्‍ठ टिप्‍पणीकार घोषित किया गया है । गौरतलब है कि भोपाल, नई दिल्‍ली, मुम्‍बई, बैंगलूर, कोलकाता सहित विदेशों में रहने वाले कई भारतीय कवि लेखक तथा पत्रकारों नें डॉ.चुद्रकुमार जैन की मर्मस्‍पर्शी लेखनी, कथन शैली के अलावा उनकी संक्षिप्‍त सारगर्भित और व्‍यंजना गुण युक्‍त टिप्‍पणियों को मील का पत्‍थर करार दिया है । प्रिंट और इलैक्‍ट्रानिक मीडिया से ढाई दशक से राष्‍ट्रीय स्‍तर पर जुडे अजित वडनेरकर नें इन तमाम खूबियों का जिक्र करते हुए डॉ. जैन का परिचय नेट पर जारी किया है । उधर प्रख्‍यात कवि-लेखक उदय प्रकाश नें भी डॉ.जैन को संदेश प्रेषित कर उनकी लीक से अलग क्षमता की सराहना की है ।
डॉ.चंद्रकुमार जैन जी को हमारी भी बहुत बहुत शुभकामनायें ।

पुछल्‍ला -

देश के प्राय: सभी समाचार पत्रों में अब ब्‍लागों के संबंध में नियमित स्‍तंभ प्रकाशित हो रहे हैं जिनमें से छत्‍तीसगढ में भी कुछ समाचार पत्र आते हैं किन्‍तु छत्‍तीसगढ से सक्रिय ब्‍लागों का जिक्र छत्‍तीसगढ के प्रिंट मीडिया वाले बहुत कम करते हैं या करना ही नहीं चाहते ।  यहां मैं आदरणीय अनिल पुसदकर जी से क्षमा सहित कहना चाहूंगा कि कुछ फीचर विभाग के तथाकथित पत्रकार  भले ही हिन्‍दी ब्‍लागों के समाग्रियों को कापी कर या फिर उसके विषय वस्‍तु का सहारा लेकर समाचार या कवर स्‍टोरी को रंग दे देंगें किन्‍तु एकाध समाचार पत्र को छोडकर अधिकतम समाचार पत्र वाले संदर्भो  की जानकारी ही नहीं देंते।  ऐसी परिस्थितियों में डॉ.जैन के इस समाचार को समाचार पत्र में पढ कर खुश होना लाजमी है ।

छत्‍तीसगढ में ब्‍लागिया क्रांति

हिन्‍दी ब्‍लागों के द्वारा वैचारिक विमर्श की संभावना के संबंध में लगातार ब्‍लागों में लिखा जा रहा है और ब्‍लाग की इस शक्ति का अंदाजा अब सबको नजर आने लगा है । राजनैतिक हलकों में  भी इस प्रभावशाली माध्‍यम को भुनाने का जुगाड तोड अब आरंभ हो गया है । हाईटेक प्रचार माध्‍यमों के रूप में राजनैतिक दलों के वेब पेज पहले भी अस्तित्‍व में थे जिन्‍हें हाईलाईट करने व उन साईटों में ट्रैफिक बढानें के लिए एडसेंस का भरपूर उपयोग वर्तमान में किया जा रहा है । वेब पेजों के साथ ही प्रत्‍याशियों के ब्‍लाग भी नजर आ रहे हैं, इसी क्रम में छत्‍तीसगढ के रायपुर लोकसभा क्षेत्र से कांग्रेस प्रत्‍याशी भूपेश बघेल का ब्‍लाग अचानक अस्तित्‍व में आया है । हम आशा करते हैं कि भूपेश का यह ब्‍लाग चिरंतन रहे । वैचारिक रूप से जहां तक मैं उन्‍हें जानता हूं इसके अनुसार से वे अध्‍ययनशील व्‍यक्ति है, साहित्‍य  से  उनका जुडाव  रहा है  इस कारण से वे यदि अपने इस दायित्‍व को निभाने का सोंचें तो महीने में आठ दस पोस्‍ट स्‍वयं लिख सकते हैं । पिछले विधानसभा चुनाव में बृजमोहन अग्रवाल  का ब्‍लाग आरंभ हुआ था जिसके संबंध में प्रिंट मीडिया नें भी चर्चा कर हो हल्‍ला किया था किन्‍तु दो चार पोस्‍टों के बाद वह ब्‍लाग भी टांय टांय फिस्‍स हो गया । कम से कम ऐसा तो न हो । 

छत्‍तीसगढ के राजनैतिक गलियारों से जुडे अमित जोगी अरसों से ब्‍लाग लिख रहे हैं जो नियमित है एवं उसके बहुसंख्‍यक पाठक भी हैं । अमित जोगी स्‍वयं नेट प्रयोक्‍ता हैं एवं ब्‍लाग के पोस्‍ट स्‍वयं लिखते हैं, वे अपने ब्‍लाग में छत्‍तीसगढ के ज्‍वलंत मुद्दों व पार्टी के कार्य व्‍यवहार की भी गंभीर समीक्षा करते हैं ।  विगत माह से छत्‍तीसगढ के पूर्व मुख्‍य मंत्री अजीत जोगी नें भी ब्‍लाग लिखना आरंभ कर दिया हैं  जिससे कुछ आश बन पडी है कि अमित जोगी की भांति वे भी अपने ब्‍लाग पर नियमित पोस्‍ट लिखेंगें और हमे शीर्षस्‍थ राजनैतिज्ञों के विचार बिना रिपोर्टरी लाग लपेट के पढने को मिलेगा ।अमित जोगी या अजित जोगी के ब्‍लाग पर नियमिता पर विश्‍वास किया जा सकता है क्‍योंकि वे न केवल ब्‍लाग पर वरन सोसल नेटवर्किंग साईट आरकुट पर भी सक्रिय है ।

भूपेश के अतिरिक्‍त दुर्ग से लोकसभा की प्रत्‍यासी सरोज पाण्‍डेय का वेब साईट भी अचानक अस्तित्‍व  में आया है और बडी खुशी की बात यह है कि इस वेब साईट के प्रमोशन के लिये दैनिक भास्‍कर के मुख्‍य पृष्‍ट पर बाकायदा विज्ञापन भी छपवाया गया है । धीरे धीरे संचार क्रांति का फैलाव विस्‍तृत हो रहा है, शहरों व कस्‍बों के युवा अब अपना अधिकतम समय नेट व पीसी में ही दे रहे है ऐसे में भारी भरकम खर्चे से स्‍टार प्रचारकों की सभा करवा कर, समाचार पत्रों में विज्ञापन छपवाकर अपनी बात जनता तक पंहुचाने के अतिरिक्‍त प्रचार का कुछ हिस्‍सा इंटरनेट में तो होना ही चाहिए ताकि नेट सेवी जन तक प्रत्‍याशियों की बात पहुच सके ।

पुछल्‍ला - 
आज इस पर गंभीर ब्‍लाग चिंतन करते हुए एक ब्‍लागिया मित्र नें बतलाया कि, पिछले विधान सभा चुनाव के समय कुछ लोगों नें  राजनैतिक दलों के प्रचार प्रमुखों से भेट कर समाचार पत्रों की भांति ब्‍लागों को भी 'मैनेज' करवाने का आफर दिया था  और ब्‍लागों की ताकत समझाने का प्रयास किया गया था किन्‍तु छत्‍तीसगढ के राजनैतिक दलों के मीडिया प्रभारियों को रत्‍ती भर भी भरोसा नहीं था कि ब्‍लाग 'मैनेज' करने के कारण अमेरिका में 'बराक ओबामा' राष्‍ट्रपति बन गये थे  और समाचार पत्रों के सामने ब्‍लागों की कोई अहमियत भी होती है सो ब्‍लागों को घास नहीं डाला गया । और पिछले पोस्‍ट में मैनें लिखा ही था कि छत्‍तीसगढ में बैल घास खाने की जगह नोट खा रहे हैं इसलिये मैने और मित्र नें सोंचा कि बिचारे बैलों के लिए राजनैतिक पार्टियों के प्रचार प्रमुखों का घास सुरक्षित रखा जाए क्‍योंकि रमन सरकार पर आरोप है कि उसने गरीब किसानों को मुफ्त में जो बैल बांटे थे वे बेहद कमजोर थे ।

लेबल

संजीव तिवारी की कलम घसीटी समसामयिक लेख अतिथि कलम जीवन परिचय छत्तीसगढ की सांस्कृतिक विरासत - मेरी नजरों में पुस्तकें-पत्रिकायें छत्तीसगढ़ी शब्द Chhattisgarhi Phrase Chhattisgarhi Word विनोद साव कहानी पंकज अवधिया सुनील कुमार आस्‍था परम्‍परा विश्‍वास अंध विश्‍वास गीत-गजल-कविता Bastar Naxal समसामयिक अश्विनी केशरवानी नाचा परदेशीराम वर्मा विवेकराज सिंह अरूण कुमार निगम व्यंग कोदूराम दलित रामहृदय तिवारी अंर्तकथा कुबेर पंडवानी Chandaini Gonda पीसीलाल यादव भारतीय सिनेमा के सौ वर्ष Ramchandra Deshmukh गजानन माधव मुक्तिबोध ग्रीन हण्‍ट छत्‍तीसगढ़ी छत्‍तीसगढ़ी फिल्‍म पीपली लाईव बस्‍तर ब्लाग तकनीक Android Chhattisgarhi Gazal ओंकार दास नत्‍था प्रेम साईमन ब्‍लॉगर मिलन रामेश्वर वैष्णव रायपुर साहित्य महोत्सव सरला शर्मा हबीब तनवीर Binayak Sen Dandi Yatra IPTA Love Latter Raypur Sahitya Mahotsav facebook venkatesh shukla अकलतरा अनुवाद अशोक तिवारी आभासी दुनिया आभासी यात्रा वृत्तांत कतरन कनक तिवारी कैलाश वानखेड़े खुमान लाल साव गुरतुर गोठ गूगल रीडर गोपाल मिश्र घनश्याम सिंह गुप्त चिंतलनार छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग छत्तीसगढ़ वंशी छत्‍तीसगढ़ का इतिहास छत्‍तीसगढ़ी उपन्‍यास जयप्रकाश जस गीत दुर्ग जिला हिन्दी साहित्य समिति धरोहर पं. सुन्‍दर लाल शर्मा प्रतिक्रिया प्रमोद ब्रम्‍हभट्ट फाग बिनायक सेन ब्लॉग मीट मानवाधिकार रंगशिल्‍पी रमाकान्‍त श्रीवास्‍तव राजेश सिंह राममनोहर लोहिया विजय वर्तमान विश्वरंजन वीरेन्‍द्र बहादुर सिंह वेंकटेश शुक्ल श्रीलाल शुक्‍ल संतोष झांझी सुशील भोले हिन्‍दी ब्‍लाग से कमाई Adsense Anup Ranjan Pandey Banjare Barle Bastar Band Bastar Painting CP & Berar Chhattisgarh Food Chhattisgarh Rajbhasha Aayog Chhattisgarhi Chhattisgarhi Film Daud Khan Deo Aanand Dev Baloda Dr. Narayan Bhaskar Khare Dr.Sudhir Pathak Dwarika Prasad Mishra Fida Bai Geet Ghar Dwar Google app Govind Ram Nirmalkar Hindi Input Jaiprakash Jhaduram Devangan Justice Yatindra Singh Khem Vaishnav Kondagaon Lal Kitab Latika Vaishnav Mayank verma Nai Kahani Narendra Dev Verma Pandwani Panthi Punaram Nishad R.V. Russell Rajesh Khanna Rajyageet Ravindra Ginnore Ravishankar Shukla Sabal Singh Chouhan Sarguja Sargujiha Boli Sirpur Teejan Bai Telangana Tijan Bai Vedmati Vidya Bhushan Mishra chhattisgarhi upanyas fb feedburner kapalik romancing with life sanskrit ssie अगरिया अजय तिवारी अधबीच अनिल पुसदकर अनुज शर्मा अमरेन्‍द्र नाथ त्रिपाठी अमिताभ अलबेला खत्री अली सैयद अशोक वाजपेयी अशोक सिंघई असम आईसीएस आशा शुक्‍ला ई—स्टाम्प उडि़या साहित्य उपन्‍यास एडसेंस एड्स एयरसेल कंगला मांझी कचना धुरवा कपिलनाथ कश्यप कबीर कार्टून किस्मत बाई देवार कृतिदेव कैलाश बनवासी कोयल गणेश शंकर विद्यार्थी गम्मत गांधीवाद गिरिजेश राव गिरीश पंकज गिरौदपुरी गुलशेर अहमद खॉं ‘शानी’ गोविन्‍द राम निर्मलकर घर द्वार चंदैनी गोंदा छत्‍तीसगढ़ उच्‍च न्‍यायालय छत्‍तीसगढ़ पर्यटन छत्‍तीसगढ़ राज्‍य अलंकरण छत्‍तीसगढ़ी व्‍यंजन जतिन दास जन संस्‍कृति मंच जय गंगान जयंत साहू जया जादवानी जिंदल स्टील एण्ड पावर लिमिटेड जुन्‍नाडीह जे.के.लक्ष्मी सीमेंट जैत खांब टेंगनाही माता टेम्पलेट डिजाइनर ठेठरी-खुरमी ठोस अपशिष्ट् (प्रबंधन और हथालन) उप-विधियॉं डॉ. अतुल कुमार डॉ. इन्‍द्रजीत सिंह डॉ. ए. एल. श्रीवास्तव डॉ. गोरेलाल चंदेल डॉ. निर्मल साहू डॉ. राजेन्‍द्र मिश्र डॉ. विनय कुमार पाठक डॉ. श्रद्धा चंद्राकर डॉ. संजय दानी डॉ. हंसा शुक्ला डॉ.ऋतु दुबे डॉ.पी.आर. कोसरिया डॉ.राजेन्‍द्र प्रसाद डॉ.संजय अलंग तमंचा रायपुरी दंतेवाडा दलित चेतना दाउद खॉंन दारा सिंह दिनकर दीपक शर्मा देसी दारू धनश्‍याम सिंह गुप्‍त नथमल झँवर नया थियेटर नवीन जिंदल नाम निदा फ़ाज़ली नोकिया 5233 पं. माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकार परिकल्‍पना सम्‍मान पवन दीवान पाबला वर्सेस अनूप पूनम प्रशांत भूषण प्रादेशिक सम्मलेन प्रेम दिवस बलौदा बसदेवा बस्‍तर बैंड बहादुर कलारिन बहुमत सम्मान बिलासा ब्लागरों की चिंतन बैठक भरथरी भिलाई स्टील प्लांट भुनेश्वर कश्यप भूमि अर्जन भेंट-मुलाकात मकबूल फिदा हुसैन मधुबाला महाभारत महावीर अग्रवाल महुदा माटी तिहार माननीय श्री न्यायमूर्ति यतीन्द्र सिंह मीरा बाई मेधा पाटकर मोहम्मद हिदायतउल्ला योगेंद्र ठाकुर रघुवीर अग्रवाल 'पथिक' रवि श्रीवास्तव रश्मि सुन्‍दरानी राजकुमार सोनी राजमाता फुलवादेवी राजीव रंजन राजेश खन्ना राम पटवा रामधारी सिंह 'दिनकर’ राय बहादुर डॉ. हीरालाल रेखादेवी जलक्षत्री रेमिंगटन लक्ष्मण प्रसाद दुबे लाईनेक्स लाला जगदलपुरी लेह लोक साहित्‍य वामपंथ विद्याभूषण मिश्र विनोद डोंगरे वीरेन्द्र कुर्रे वीरेन्‍द्र कुमार सोनी वैरियर एल्विन शबरी शरद कोकाश शरद पुर्णिमा शहरोज़ शिरीष डामरे शिव मंदिर शुभदा मिश्र श्यामलाल चतुर्वेदी श्रद्धा थवाईत संजीत त्रिपाठी संजीव ठाकुर संतोष जैन संदीप पांडे संस्कृत संस्‍कृति संस्‍कृति विभाग सतनाम सतीश कुमार चौहान सत्‍येन्‍द्र समाजरत्न पतिराम साव सम्मान सरला दास साक्षात्‍कार सामूहिक ब्‍लॉग साहित्तिक हलचल सुभाष चंद्र बोस सुमित्रा नंदन पंत सूचक सूचना सृजन गाथा स्टाम्प शुल्क स्वच्छ भारत मिशन हंस हनुमंत नायडू हरिठाकुर हरिभूमि हास-परिहास हिन्‍दी टूल हिमांशु कुमार हिमांशु द्विवेदी हेमंत वैष्‍णव है बातों में दम

छत्‍तीसगढ़ की कला, साहित्‍य एवं संस्‍कृति पर संजीव तिवारी एवं अतिथि रचनाकारों के आलेख

लूट का बदला लूट: चंदैनी-गोंदा

  विजय वर्तमान चंदैनी-गोंदा को प्रत्यक्षतः देखने, जानने, समझने और समझा सकने वाले लोग अब गिनती के रह गए हैं। किसी भी विराट कृति में बताने को ...