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छत्‍तीसगढ़ की कला, साहित्‍य एवं संस्‍कृति पर संजीव तिवारी एवं अतिथि रचनाकारों के आलेख

लूट का बदला लूट: चंदैनी-गोंदा

  विजय वर्तमान चंदैनी-गोंदा को प्रत्यक्षतः देखने, जानने, समझने और समझा सकने वाले लोग अब गिनती के रह गए हैं। किसी भी विराट कृति में बताने को बहुत कुछ होता है । अब हमीं कुछ लोग हैं जो थोड़ा-बहुत बता सकते हैं । यह लेख उसी ज़िम्मेदारी के तहत उपजा है...... 07 नवम्बर 1971 को बघेरा में चंदैनी-गोंदा का प्रथम प्रदर्शन हुआ। उसके बाद से आजपर्यंत छ. ग. ( तत्कालीन अविभाजित म. प्र. ) के लगभग सभी समादृत विद्वानों, साहित्यकारों, पत्रकारों, समीक्षकों, रंगकर्मियों, समाजसेवियों, स्वप्नदर्शियों, सुधी राजनेताओं आदि-आदि सभी ने चंदैनी-गोंदा के विराट स्वरूप, क्रांतिकारी लक्ष्य, अखण्ड मनभावन लोकरंजन के साथ लोकजागरण और लोकशिक्षण का उद्देश्यपूर्ण मिशन, विस्मयकारी कल्पना और उसका सफल मंचीय प्रयोग आदि-आदि पर बदस्तूर लिखा। किसी ने कम लिखा, किसी ने ज़्यादा लिखा, किसी ने ख़ूब ज़्यादा लिखा, किसी ने बार-बार लिखा। तब के स्वनामधन्य वरिष्ठतम साहित्यकारों से लेकर अब के विनोद साव तक सैकड़ों साहित्यकारों की कलम बेहद संलग्नता के साथ चली है। आज भी लिखा जाना जारी है। कुछ ग़ैर-छत्तीसगढ़ी लेखक जैसे परितोष चक्रवर्ती, डॉ हनुमंत नायडू जैसों

छत्‍तीसगढ़ के पारंपरिक लोकगीतों का सामाजिक संदर्भ संगोष्‍ठी

17 एवं 18 फरवरी 2018 को आयोजित कार्यक्रम की रिर्पोटिंग दूध मोंगरा छत्तीसगढ़ी सांस्कृति समिति, गंडई, जिला राजनांदगांव छग. द्वारा दिनांक 17 एवं 18 फरवरी 2018 को शिक्षक शिक्षा महाविद्यालय शंकर नगर, रायपुर के सभागार में राज्य स्तरीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी का विषय था- ‘छत्‍तीसगढ़ के पारंपरिक लोकगीतों का सामाजिक संदर्भ’ संगोष्ठी अपने निधार्रित समय प्रातः 10.30 बजे प्रारंभ हुई। उद्घाटन सत्र के मुख्य अतिथि माननीय डॉ. सियाराम साहू अध्यक्ष पिछड़ा वर्ग आयोग छ.ग. थे। काय र्क्रम की अध्यक्षता डॉ. सोमनाथ यादव भूतपूर्व अध्यक्ष छ.ग. राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग ने की। विशिष्ट अतिथि के रूप में डॉ. रमेन्द्रनाथ मिश्र, अध्यक्ष बख्शीसृजन पीठ छ.ग., श्री राहुल सिंह जी पुरातत्व विभाग छ.ग., श्री योगेश शिवहरे प्राचार्य शा.शिक्षा महाविद्यालय, रायपुर और डाइर्ट के प्राचार्य श्री आर.के. वर्मा जी मंच पर उपस्थित थे। मंच संचालन श्री बलदाऊराम साहू सचवि पिछड़ा वर्ग आयोग छ.ग. ने किया। अतिथियों के स्वागत काय र्क्रम पश्चात स्वागत भाषण करते हुए श्री पीसी लाल यादव (अध्यक्ष दूधमोंगरा समिति) ने बताया कि गंडई राजनांदग

अपने ही कल्‍याण का बाट जोहता सन् 1938 का बाल कल्याण केंद्र

लिखित इतिहास को मिटाने उसे दबाने-छुपाने के कई उदाहरण आप लोगों ने देखा होगा, किन्‍तु यहां छत्‍तीसगढ़ के जिला मुख्‍यालय दुर्ग में एक बड़े भवन को, छुपा लिया गया था। अवैध कब्जाधारियों की स्वार्थपरक लोलुपता ने इसे ढांप लिया था, लोगों का कहना है कि कई बार कब्जा हटाया गया, व्यवस्थापन में कब्जेदार दूसरे स्थानों में दुकान पे दुकान आबंटित कराते गए पर कुछ दिन बाद ये भी मेरा वो भी मेरा कहते हुए फिर उसी स्थान पर कब्जा जमा लिए। तथाकथित रूप से भूमंडलीकरण का सुन्‍दर उदाहरण प्रस्‍तुत करते हुए इनकी पीढ़ियां एक-एक करोड़ शादी में लुटाती रहीं फिर भी ये गरीब लाचार बने राजनैतिक सहानुभूति पाते रहे। अबकी बार भोज राम ने इनके इरादों पर पानी फेर दिया। पहले हाथ जोड़ा, नहीं माने तो तोड़ दिया। नई पीढ़ी इस एतिहासिक भवन से अनजान थी। इंदिरा मार्केट के सूर्या जूस पार्लर के आस-पास कब्जा हटने के बाद से अनावृत हुए इस भवन में लगे पट्टिका से ज्ञात हुआ कि 11 जून, सन 1938 को छत्तीसगढ़ डिवीजन के कमिश्नर की पत्नी श्रीमती जी.सी.एफ. रेम्सडॅन के द्वारा बाल कल्याण केंद्र के रूप में इस भवन को जनता को समर्पित किया था। सियान लोग बताते