मैंने एम.पी.एड., एम. ए. (हिंदी), किया है, राज्य प्रशासनिक सेवा से चयनित होकर महाविद्यालय मे कार्यरत हूं, मैने शारीरिक शिक्षा विषय मे अपना शोध प्रबंध पूरा कर पं. रविशंकर शुक्ल विश्वाविद्यालय से डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की है.
भावों से भरी हूं, भावनाओं को शब्द के किसी भी रूप मे परिवर्तित करना चाहती हूं, कविता, कहानी, लेख ..., जिद्दी हूं जो चाहती हूं करती हूं, संवेदनशील इतनी कि हृदय जल्दी खुश या दुखी हो जाता है और अपने भावों को छिपा नहीं पाती हूं, झूठ मुझे पसंद नहीं, जहां तक बन पड़े रिश्तो को बचाने का प्रयास करती हूं.
हर वक्त कुछ न कुछ करना चाहती हूं .. .. सृजनशील रहना चाहती हूं.
ब्लॉगर प्रोफाईल में अपने संबंध में बतलाते हुए डॉ.ऋतु दुबे जी ऐसा कहती हैं, ऋतु जी अपनी भावनात्मक अभिव्यक्ति को इरा पाण्डेय के नाम से प्रस्तुत करना चाहती हैं। छत्तीसगढ़ के दुर्ग नगर में निवासरत डॉ.ऋतु दुबे फेसबुक के वाल की शब्द सीमाओं में अपनी दिल की बात को बंधा महसूस करती रही हैं इस कारण इन्होंनें हिन्दी ब्लॉग बनाया है, और अपने ब्लॉग का नाम रखा 'दिल की बात'. आईये स्वागत करें डॉ.ऋतु दुबे जी का एवं टिप्पणियों से डॉ.ऋतु दुबे का उत्साहवर्धन करें.
उनके ब्लॉग का लिंक यह है :- 'दिल की बात'
डॉ.ऋतु दुबे जी के ब्लॉग के आगाज के साथ ही आज के छत्तीसगढ़ ब्लॉगर्स चौपाल में छत्तीसगढ़ के ब्लॉगपोस्टों में से एक आवश्यक पोस्ट छत्तीसगढी लोकधुन 1948 की किशोर साहू की फिल्म पर भी एक नजर अवश्य डालें, मेरा दावा है आप संपूर्ण पोस्ट पढ़ना चाहेंगें. सीजी स्वर में संज्ञा टंडन जी नें बहुत मेहनत व लगन से यह पोस्ट तैयार की है, छत्तीसगढ़ में रूचि रखने वाले प्रत्येक सुधी पाठकों को इसे अवश्य पढ़ना चाहिए.
डॉ.ऋतु दुबे जी के ब्लॉग के आगाज के साथ ही आज के छत्तीसगढ़ ब्लॉगर्स चौपाल में छत्तीसगढ़ के ब्लॉगपोस्टों में से एक आवश्यक पोस्ट छत्तीसगढी लोकधुन 1948 की किशोर साहू की फिल्म पर भी एक नजर अवश्य डालें, मेरा दावा है आप संपूर्ण पोस्ट पढ़ना चाहेंगें. सीजी स्वर में संज्ञा टंडन जी नें बहुत मेहनत व लगन से यह पोस्ट तैयार की है, छत्तीसगढ़ में रूचि रखने वाले प्रत्येक सुधी पाठकों को इसे अवश्य पढ़ना चाहिए.