मेरी पुरानी पोस्ट पढें - आर्य अनार्यों का सेतु : रावण
कौन कौन संजीव तिवारी हैं हिन्दी नेटजगत / ब्लागजगत में...
हिन्दी ब्लाग जगत में मैंनें अपने नाम का पेटेन्ट तो नहीं कराया है और ना ही अपने नाम का कोई ट्रेडमार्क लिया है फिर भी मुझे विस्वास है कि आज दिनांक तक तो मेरे नाम का कोई भी व्यक्ति हिन्दी ब्लाग जगत में नहीं है. और यदि कहीं अपवादस्वरूप है भी तो छत्तीसगढ के मामलों में इंटरनेट पर हिन्दी में लिखने वालों में तो बिल्कुल भी नहीं है.
आप सोंच रहे होंगें कि यह सब लिखने का तात्पर्य क्या है तो आईये मैं आपको बतलाता हूं. 24.09.09 को रात में मैं जब अपना मेल बाक्स खोला तो उसमें जयप्रकाश मानस जी का एक मेल आया था. यह -
मुकेश जी, आप नाहक ही जयप्रकाश के मानस के पीछे पड़े हुए हैं. जयप्रकाश से एक ही गलती हुई है कि उन्होंने अपने नाम के साथ अपना पूरा परिचय नहीं लिखा है. जयप्रकाश मानस ऊर्फ जयप्रकाश रथ शिक्षाकर्मी रहे है और भ्रष्टाटार के आरोप में लगातार निलंबित होने का रिकार्ड बनाया है. बाद में जब उनकी बहाली हुई तो अब वे राज्य के पुलिस मुख्यालय में पुलिस प्रवक्ता के पद पर तैनात कर दिए गए. अब डीजीपी विश्वरंजन के साथ रह कर उन्हें भ्रम होने लग गया है कि राज्य के सबसे बड़े साहित्यकार हैं सो पुलिस प्रवक्ता और साहित्यकार होने का भ्रम. मतलब एक तो करैला दूजे नीम चढ़ा. पुलिस विभाग के इस प्रवक्ता ने केवल पुलिसिया अंदाज में अपनी राय रखी है. जैसे पुलिस वालों को नहीं पता, वैसे इन्हें भी नहीं पता कि ये क्या कर रहे हैं ?
Sanjeev Tiwari 9/4/20 09
इस मेल के द्वारा उन्होंनें मुझसे पूछा था कि क्या यह कोटेशन मैंनें लिखा है.मैंनें यह कोटेशन नहीं लिखे थे फिर भी नीचे मेरे नाम का उल्लेख हुआ था. इस कारण मैं किंचित विचलित हो गया. मैं तत्काल मेल भेजने वाले जयप्रकाश मानस जी को फोन किया उन्होंनें बतलाया कि यह टिप्पणी देशकाल डाट काम में प्रकाशित हुई है. मैनें वह पेज खोजा, पहले ही पन्ने पर पहला खोज परिणाम प्राप्त हो गया जहां से उस पेज (http://www.deshkaal.com/Details.aspx?nid=1382009221854995) पर गया तो वह टिप्पणी नजर आ गई.
जिसमें टिप्पणीकर्ता का नाम Sanjeev Tiwari लिखा हुआ है.टिप्पणी में जय प्रकाश जी के संबंध में भ्रामक जानकारी इस तरह से दी गई है कि टिप्पणीकर्ता उन्हें व्यक्तिगत रूप से जानते पहचानते हैं. ऐसी स्थिति में स्पष्ट तौर पर उक्त टिप्पणीकर्ता के रूप में हिन्दी नेट जगत में सक्रिय संजीव तिवारी (यानी मैं) पर तात्कालिक ध्यान जाता ही है. जबकि उक्त टिप्पणी मैंनें नहीं की है उक्त लेख पर टिप्पणी करने वाले संजीव तिवारी कोई और हैं या फिर किसी शरारती तत्व के द्वारा भ्रम पैदा करने एवं विश्वसनीयता का मुखौटा लगाने के उद्देश्य से यह सब किया गया है.
यदि उक्त टिप्पणीकर्ता संजीव तिवारी एवं देशकाल डाट काम से संबंधित महोदय इसे पढ रहे हों तो यहां भी टिप्पणी कर स्थिति स्पष्ट करें.
अंग्रेज सरकार ने दिनकर के पीछे लगवा दिए थे जासूस
आईये 23 सितंबर 1908 में बिहार के तत्कालीन मुंगेर जिले के बेगूसराय जिले में जन्मे दिनकर जी को आज याद कर लें-
जला अस्थियां बारी-बारी
चिटकाई जिनमें चिंगारी,
जो चढ़ गये पुण्यवेदी पर
लिए बिना गर्दन का मोल।
कलम, आज उनकी जय बोल
जो अगणित लघु दीप हमारे
तूफानों में एक किनारे,
जल-जलाकर बुझ गए किसी दिन
मांगा नहीं स्नेह मुंह खोल।
कलम, आज उनकी जय बोल
पीकर जिनकी लाल शिखाएं
उगल रही सौ लपट दिशाएं,
जिनके सिंहनाद से सहमी
धरती रही अभी तक डोल।
कलम, आज उनकी जय बोल
अंधा चकाचौंध का मारा
क्या जाने इतिहास बेचारा,
साखी हैं उनकी महिमा के
सूर्य चन्द्र भूगोल खगोल।
नमन 'दिनकर'
हिन्दुस्तान डाट काम का लेख पढें - अंग्रेज सरकार ने दिनकर के पीछे लगवा दिए थे जासूस
(हिन्दुस्तान डाट काम से साभार)
हिन्दुस्तान डाट काम का लेख पढें - अंग्रेज सरकार ने दिनकर के पीछे लगवा दिए थे जासूस
(हिन्दुस्तान डाट काम से साभार)
छत्तीसगढ से परजीवियों के लिए सुसमाचार
समाचार है कि योजना आयोग व छत्तीसगढ शासन के अधिकारियों के बीच पिछले दिनों हुई बैठक में दोनों पक्षों के बीच कुल 18310.32 करोड रुपए के योजना पर सहमति बन गई है। इसमें केंद्र द्वारा संचालित योजना, ऑफ बजट स्कीम व केंद्र-क्षेत्रीय व्यय भी शामिल हैं। इस बात की संभावना मजबूत है कि राज्य के पिछले प्रदर्शन को देखते हुए आवंटन और ज्यादा हो। आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहुलवालिया व मुख्यमंत्री डा रमन सिंह के बीच अगले कुछ दिनों में होनेवाली बैठक में इसको अंतिम स्वीकृति दी जाएगी व इसकी घोषणा की जाएगी। छत्तीसगढ योजना बोर्ड के उपाध्यक्ष डा डीएन तिवारी ने बताया कि पिछली बार राज्य की कुल योजना 14000 करोड रुपए की थी, जबकि इस बार योजना 18310 करोड रुपए की है।
राज्य ने अपनी योजना में दो हजार एनीकेट बनाने की योजना के लिए आर्थिक सहयोग की मांग की है। आज की बैठक में जल प्रबंधन पर सर्वाधिक जोर देते हुए कहा गया कि राज्य के पानी के समुद्र में बहाव को रोकने व उसके कृषि व औद्योगिक उपयोग के लिए दो हजार एनीकट व ढाई हजार लघु सिंचाई योजनाओं पर जोर देना होगा। सूत्रों के अनुसार अकेले इस योजना का व्यय लगभग 15 हजार करोड क़ा है। फिलहाल राज्य ने लगभग 600 एनीकेट के निर्माण के लिए कार्ययोजना तैयार कर ली है। उचित जल प्रबंधन कर राज्य के 70 प्रतिशत जल की हो रही बर्बादी को रोककर उससे कृषि के साथ औद्योगिक विकास भी किया जा सकेगा। इसमें सीमेंट कारखाने व पनबिजली संयंत्र चलाने के अलावा मछलियों का भी उत्पादन हो सकेगा। राज्य ने आयोग से राष्ट्रीय बायोटिक स्ट्रेस मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट को भी केंद्र से जल्द स्वीकृति दिलाने की मांग की है। ज्ञात हो कि राज्य ने इसके लिए रायपुर में भूमि व अन्य संसाधन उपलब्ध करा दिए हैं। पूसा से भी अधिक उन्नत यह संस्थान शोध के साथ बीजों का उत्पादन भी करेगा। राज्य ने राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान परिषद के संस्थान की स्थापना की मांग रखी है। इसके साथ ही वनवासियों को भूमि पट्टा दिलाने के लिए इस मद में 100 करोड रुपए के आवंटन की बात कही है।
बस्तर में मलेरिया के कहर को देखते हुए राष्ट्रीय मलेरिया कार्यक्रम में राज्य को शामिल करने, एम्स की जल्द स्थापना व हर्बल प्रोसेसिंग योजना में मदद की भी मांग रखी गई है। राज्य ने योजना आयोग से प्रदेश में एक आईआईटी की स्थापना व बस्तर या सरगुजा में से किसी एक आदिवासी विश्वविद्यालय को केंद्रीय वनवासी विश्वविद्यालय का दर्जा दिलाने की मांग की है। झारखंड को पछाड क़र देश के सबसे अधिक खनन करने वाला राज्य बनने के आधार पर प्रदेश में राष्ट्रीय खनन संस्थान खोलने की भी मांग रखी गई है। राज्य ने नई राजधानी की स्थापना में केंद्र से 600 करोड रुपए की सहायता की भी मांग की है.
ऐसे समाचार और आंकडे छत्तीसगढ में मंत्रियों-संत्रियों के चम्मचों और कागजों पर कार्य कर रहे व मजे कर रहे एनजीओ के लिए बडे काम की है, वे तो पहले से ही नोट कर लिए होंगें या ये भी हो सकता है कि वे अपने उत्थान के लिए जुगत भिडा कर इन आंकडो में अपने स्वार्थ के मुद्दों को शामिल करा लिए हों. छत्तीसगढ जाए भांड में इन्हें क्या इन्हें तो अपना झोला भरना है अपने घर में खाली करना है और फिर से खाली झोला लटकाये, लुभावने प्रोजेक्टों व सेमीनारों का मायाजाल बिखेरते, लाईन में लग जाना है, जनता के पैसों से एश करने के लिए.
संजीव तिवारी
हिन्दी टूल किट Hindi Toolkit IME : आई एम ई को इंस्टाल करें एवं अपने कम्प्यूटर को हिन्दी सक्षम बनावें
कम्यूटर में हिन्दी सक्षम करने के विभिन्न औजार हैं जिनमें से मैं हिन्दी टूल किट Hindi Toolkit IME उपयोग करता हूं इसमें Transliteration, Remington (GAIL, CBI), Typewriter, Inscript, Webduniya, Anglo-Nagari की बोर्ड का विकल्प मौजूद है। इसमें ज्यादा उपयोगी रेमिंगटन और फोनेटिक की बोर्ड का विकल्प है जो एक ही टूल में विद्यमान है।। मैं कम्प्यूटर में हिन्दी टाईपिंग के लिए पहले डब्लू एस में अक्षर, पेजमेकर में श्री लिपि फिर वर्ड में कृतिदेव एवं क्वार्क में चाणक्य फोंट पर काम करता था। मेरी उंगलियां रेमिंगटन एवं गोदरेज कीबोर्ड के अनुसार काम करती हैं। आईएमई से मैनें वही यूनीकोड हिन्दी फोंट कीबोर्ड पाया जो मैं कम्प्यूटर पर डॉस के समय से लगभग पंद्रह-बीस वर्ष से प्रयोग कर रहा हूं। देखें क्रमबद्ध संस्थापना निर्देश (एक्सपी के लिए) -
नीचे दिये लिंक को क्लिक कर IME हिन्दी टूल किट डाउनलोड करें, यह लिंक श्रीश शर्मा जी द्वारा सहेजा गया है इसका आकार 1.23 एमबी है -
इसे क्लिक कर अपने कम्प्यूटर में इस टूल का ईएक्सई फाईल डाउनलोड कर लेवें.
फिर इस ईएक्सई फाईल को क्लिक करें व इंस्टाल प्रक्रिया आरंभ करें 'नेस्ट' 'नेस्ट' से आगे बढें.
जब पूर्ण रूप से यह टूल इंस्टाल हो जायेगा तब यह विंडो आयेगा जिसमें आपके कम्प्यूटर को रिस्टार्ट करने को पूछा जायेगा, यहां आप नो ....... विकल्प को चुने और फिनिश को क्लिक कर देवें.
अपडेट्स - विन्डोज के नये वर्जन में नीचे दी गई प्रक्रिया की आवश्यकता नहीं है. विन्डोज के 7 से उपर के वर्जन में सिर्फ इंस्टाल चलाना पडेगा, हिन्दी आईएमई इंस्टाल हो जायेगा. ब्राउजर आधारित प्रोग्राम में फोंट कनर्वटर आप यहॉं से डाउनलोड कर सकते हैं।
अपडेट्स - विन्डोज के नये वर्जन में नीचे दी गई प्रक्रिया की आवश्यकता नहीं है. विन्डोज के 7 से उपर के वर्जन में सिर्फ इंस्टाल चलाना पडेगा, हिन्दी आईएमई इंस्टाल हो जायेगा. ब्राउजर आधारित प्रोग्राम में फोंट कनर्वटर आप यहॉं से डाउनलोड कर सकते हैं।
अब स्टार्ट - सेटिंग - कन्ट्रोल पैनल में जावें. जब आप कन्ट्रोल पैनल को क्लिक करेंगें तो यह विंडो खुलेगा . इसमें आप डेट टाईम एण्ड रिजनल आप्शन को क्लिक करें-
अब यह विंडो खुलेगा इसमें रिजनल लैग्वेज सेटिंग को क्लिक करें (एक्सपी के अन्य वर्जनों में यदि यह प्रक्रिया कुछ अलग हो फिर भी हमें रिजनल लैग्वेज सेटिंग में आना है)-
रिजनल लैग्वेज सेटिंग को क्लिक करने पर यह नया विडो खुलेगा जिसमें आप लैंगवेज टैब को क्लिक करें - इस विंडो में एड बटन को क्लिक करें -
फिर यह विंडो आयेगा । इसमें इनपुट लैंगवेज के डाउन एरो की को क्लिक करें - इससे विभिन्न भाषाओं की एक लंबी लिस्ट निकलेगी जिसमें से Hindi को सलेक्ट करें एवं ओके बटन क्लिक करें -
अब Hindi भाषा आपके कम्प्यूटर में संस्थापित हो गई, अब हमें अपने कम्प्यूटर में अपने पसंद का कीबोर्ड चयन करना है जो इस प्रोगरेम से प्राप्त होगा इसके लिये इस विंडो के हिन्दी ट्रेडीशनल के डाउन एरो को क्लिक करें - इससे विभन्न भाषाओं के की बोर्ड की लिस्ट सामने आयेगी जिसमें से आईएमई की बोर्ड सलेक्ट करने के लिए नीचे जाईये यहां आईएमई को सलेक्ट करिये -
ओके बटन को क्लिक करें -
आपके सिस्टम में आईएमई इंस्टाल हो चुका । अब आपके कम्प्यूटर को ओके बटन दबाकर रिस्टार्ट करें -
रिस्टार्ट होने के बाद आपके कम्प्यूटर के बार में या उपर दाहिनी ओर EN लिखा हुआ दिखेगा । यह प्रदर्शित करता है कि आपके कम्प्यूटर में अंग्रेजी के अतिरिक्त कोई अन्य भाषा भी संस्थापित है. यदि यह उपर दाहिनी ओर नीचे दिये गये चित्र की तरह दिखाई देता है तो उसे मिनिमाईज कर लें -
आप अपने कम्प्यूटर के वर्ड, नोट पैड या कोई अन्य प्रोगरेम को चलाने के बाद इस टूल से वहां हिन्दी में आफलाईन होते हुए भी लिख सकेंगें एवं अपने पोस्ट की सामाग्री को आनलाईन होने से पहले भी लिखकर सहेज सकते हैं. इससे आप इंटरनेट में हिन्दी सर्च करने एवं ब्लागर में पोस्ट करने के लिए भी प्रयोग कर सकते हैं. आवश्यक यह है कि जब जहां पर हिन्दी लिखना हो उस प्रोगरेम को चालू करके; आपके कम्प्यूटर के निचले बार में दाहिनी ओर दिख रहे EN को क्लिक करें; वहां हिन्दी के लिए विकल्प मिलेगा, EN को क्लिक करने पर एक मिनी टैग खुलेगा जिसमें से Hindi को चयन करें -
हिन्दी को चयन करने पर साईडबार में कीबोर्ड का चित्र आ जायेगा, एवं EN की जगह HI दिखने लगेगा। अब यहां अपने पसंद के कीबोर्ड के चयन के लिये इस कीबोर्ड को क्लिक करना होगा -
यहां आठ प्रकार के कीबोर्ड विकल्प मौजूद हैं जिसमें फोनेटिक कीबोर्ड जिससे आप अंग्रेजी में टाइप करेंगें तो हिन्दी में लिखायेगा वह पहला विकल्प है एवं रेमिंगटन की बोर्ड दूसरा, जिसे आप अपनी सुविधा अनुसार चुन सकते हैं -
यह प्रकिया आप अपने वर्ल्ड प्रोस्सेसर या ब्लॉगर मे अपनाकर हिन्दी लिख सकते है ! हिन्दी में चैट कर सकते हैं, हिन्दी में आरकुट स्क्रैप लिख सकते हैं -
यह इंटरनेट एक्सप्लोरर, ओपेरा या फायर फाक्स में भी काम करता है जैसे कि आपको इंटरनेट के सर्च आप्शन में कोई हिन्दी शव्द खोजना है तो आप EN को HI करें एवं अपने जाने पहचाने की बोर्ड से हिन्दी टाईप कर सर्च करें । यह किसी भी मेल, आरकुट, मैसेंजर में हिन्दी को सक्षम बनाता है और जब आप EN को HI करते है तब किसी भी प्रोगरेम में हिन्दी में लिखना संभव करता है । यहां यह बात ध्यान में रखने योग्य है कि जब आप कम्प्यूटर चालू करते है तो लैंगवेज बार में EN लिख रहता है जैसे ही आप कोई प्रोगरेम, जिसमें कि आप हिन्दी में लिखना चाहते हैं, खोलते हैं उसके बाद EN को HI करें तब यह आईएमई उस प्रोगरेम के लिए सक्षम हो पाता है जैसे ही आप उस प्रोगरेम को मिनिमाईज या बंद करते हैं लैंगवेज बार पुन: EN दिखाने लगता है यानी तब अंग्रेजी सक्षम हो जाता है । प्रत्येक प्रोगरेम के लिए आपको प्रोगरेम खोलने के बाद EN को HI करना है बस फिर जहां हिन्दी में टाईप करना है वहां क्लिक कर कर्सर लाईये और शुरू हो जाईये ।
(चित्रों को स्पष्ट देखने के लिए उसे क्लिक करें) यदि आप अपने किसी पुराने लेख या कविता जो कृति देव, श्रीलिपि या चाणक्य या अन्य फोंट में है उसे यूनिकोड मंगल में बदलना चाहते हैं तो इस ब्लाग के साईडबार में दिये लिंक का प्रयोग करें. संजीव तिवारी अपडेट्स - विन्डोज के नये वर्जन में उपरोक्त प्रकार से इंस्टालेशन झंझट की आवश्यकता नहीं है. विन्डोज के 7 से उपर के वर्जन में सिर्फ इंस्टाल चलाना पडेगा, हिन्दी आईएमई इंस्टाल हो जायेगा.
नागा गोंड जो जादू से शेर बन जाता थामुक्तिबोध की यादें : रायपुर से
विगत दिनों रायपुर में मुक्तिबोध के निर्वाण तिथि 11 सितम्बर को उन्हें याद करते हुए शव्दशिल्पी इकत्रित हुए.जिसमें मुक्तिबोध की स्मृतियां मुखरित हुई.प्रसिद्ध कवि अशोक बाजपेयी ने अपने उद्गार व्यक्त करते हुए कहा कि मुक्तिबोध ने अपनी 47 वर्ष की अल्पायु में जो कीर्ति हासिल की वह बहुत कम साहित्यकारों ने अर्जित की। वे हिंदी साहित्य के एकमात्र गोत्रहीन कवि-आलोचक थे जिनकी परंपरा में कोई पूर्वज परिलक्षित नहीं होता। मुक्तिबोध को आत्मवियोग का कवि बताते हुए उन्होंने कहा कि वे अंर्तकथा के कवि थे। अज्ञेय के अलावा वे नागाजरुन तथा त्रिलोचन के भी विलोम थे। वे जनप्रिय तो नहीं लेकिन जनधर्मी कवि अवश्य थे। समारोह में उपस्थित साहित्यकार दूधनाथ सिंह ने उन्हें विश्व मानस का कवि बताते हुए कहा कि इतिहास किस तरह लिखा जाए यह मुक्तिबोध ने ‘इतिहास का अनुनमामित’ में बखूबी दर्शाया है। मुक्तिबोध की राजनैतिक दृष्टि पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि आजादी के बाद की भारतीय तथा वैश्विक राजनीतिक परिवेश पर की गई टिप्पणियां की प्रासंगिकता का उल्लेख किया।
आयोजन के पहले सत्र में मुक्तिबोध की कविताओं तथा कहानियों का पाठ किया गया। सुप्रसिद्ध कवि विनोदकुमार शुक्ल ने मुक्तिबोध की ‘मुझे कदम-कदम पर’ कविता का पाठ किया। कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता व जनसंचार विश्वविद्यालय के कुलपति सच्चिदानंद जोशी ने मुक्तिबोध की कहानी ‘समझौता’ का वाचन किया। इसी कड़ी में परितोष चक्रवर्ती ने ‘लकड़ी का रावण’, राजेंद्र मिश्र ने मुक्तिबोध की साहित्यिक डायरी के चुनिंदा अंश पढ़े। सुभाष मिश्र ने ‘भूल गलती’ तथा चंद्रकुमार जैन ने ‘मैं तुम लोगों से दूर हूं’ कविता का पाठ किया। इस अवधि पर तीन पुस्तकों का लोकार्पण भी हुआ जिसमें मुख्य अतिथि अशोक बाजपेयी, दूधनाथ सिंह तथा विनोदकुमार शुक्ल ने मुक्तिबोध की तीन किताबों ‘शेष-अशेष’, ‘भारत : इतिहास और संस्कृति’ तथा ‘जब प्रश्न चिन्ह बौखला उठे’ का विमोचन किया। इसी अवसर पर मुक्तिबोध पर केंद्रित तथा राजेंद्र मिश्र द्वारा संपादित पुस्तक ‘केवल एक लालटेन के सहारे’ का विमोचन भी श्री बाजपेयी ने किया। पुस्तकों के प्रकाशक राजकमल प्रकाशन के अशोक महेश्वरी इस अवसर पर विशेष रूप से उपस्थित थे।
संजीव तिवारी
परितोष चक्रवर्ती व डॉ. परदेशीराम वर्मा की कृति माटीपुत्र और फक्कडनामा का विमोचन
भारतीय साहित्य प्रकाशन मेरठ से डॉ. परदेशीराम वर्मा जी की कहानी संग्रह 'माटीपुत्र' तथा शिल्पायन दिल्ली से प्रकाशित परितोष चक्रवर्ती की कृति 'फक्कडनामा' का विमोचन संत कवि पवन दीवान एवं पूर्व मंत्री भूपेश बघेल नें दिनांक 14 सितम्बर को भिलाई में किया. विमोचन उद्बोधन में संत कवि पवन दीवान नें कहा कि पाठक स्वतंत्र होता है, वह लेखक-कवि की तरह बंधनों में नहीं होता. जिसकी किताब पठनीय होती है उसे ही पाठक स्वीकारता है. माटीपुत्र और फक्कडनामा में पठनीयता का गुण भरपूर है. छत्तीसगढ़ के ये दोनों लेखक लगातार लिख रहे हैं. इन्होंनें लेखन में यश और महत्व दोनों प्राप्त किया है.
प्रख्यात कथाकार डॉ.रमाकांत श्रीवास्तव नें कहा कि परितोष चक्रवर्ती के लेखन में संघर्षशीलता हम देखते हैं. साहस के साथ वे सच को उद्घाटित करते हैं. परदेशीराम वर्मा महत्वपूर्ण कथाकर हैं. आंचलिक कथाकरों के संबंध में एक साक्षातकार में मैंनें बिहार के मिथलेश्वर और बुंदेलखण्ड के महेश कटारे तथा छत्तीसगढ के परदेशीराम वर्मा का विशेष उल्लेख किया हैं. ये तीनों कथाकार भारत के गांवों की अंतरूणी सच्चाई के जानकार हैं. परदेशीराम वर्मा की भाषा उनकी शक्ति है. वे संस्मरण से ज्यादा ताकतवर एक कहानीकार के रूप में दिखते हैं. सहज से दिखते समाज के संघर्ष को परदेशीराम वर्मा नें खूब पकडा है. आज कहानियों में जहां भाषा और शिल्प का चमत्कार दिखलाया जा रहा है वहां परदेशीराम वर्मा जैसे लेखक गहन कथ्य और भाषा की सहजता का संस्कार लेकर कथा की यात्रा आगे बढा रहे हैं.
रवि श्रीवास्तव नें दोनों कृतियों पर विषद समीक्षा करते हुए कहा कि छत्तीसगढ के अपने समय के दो महत्वपूर्ण रचनाकारों की किताबें आज विमोचित हो रही हैं जिसमें एक में व्यंग की मार है तो दूसरे में गा्रमीण जीवन की धार है. हिन्दी साहित्य जगत में परितोष चक्रवर्ती और परदेशीराम वर्मा दोनों नें लेखन में एक सम्मानजनक स्थिति को प्राप्त किया है. इन दोनों की अनवरत यात्रा जारी है, आशा है इन्हें और उंचाईयां मिलेगी. इस अवसर पर पधारे प्रसिद्ध रेडियो अनाउंसर व रंगकर्मी मिर्जा मसूद नें कहा कि परदेशीराम वर्मा के पास ऐसी भाषा है जो सम्मोहित करती है. अंचल का द्वंद अंचल की भाषा में इस तरह हिन्दी कहानियों में प्रस्तुत करने का प्रभावी प्रयास परदेशीराम वर्मा जी के कहानियों में नजर आती है. गांव-मेले-मडई, खेत-खार का वर्णन ऐसा है कि पाठक इनकी कहानियों में बंधा रह जाता है और छत्तीसगढ साकार हो उठता है.
अपने उद्बोधन में सप्रे पीठ के अध्यक्ष लेखक कथाकार परितोष चक्रवर्ती नें स्वीकारा कि मेरी किताब फक्कडनामा में बहुत से लोग हैं लेकिन राजनारायण मिश्र जी प्रमुख रूप से प्रभावी भूमिका में हैं. आभार व्यक्त करते हुए परदेशीराम वर्मा नें कहा कि परितोष चक्रवर्ती ऐसे जटिल व्यक्तित्व है जिससे निभा ले जाना कठिन साधना है. मैं इस साधना की सफलता के लिए स्वयं अपनी पीठ ठोक लेता हूं.
संजीव तिवारी
जुडूम जुडूम सलवा जुडूम : बिना टिप्पणी
जुडूम मामले पर प्रशासन सख्त
हरिभूमि न्यूज
नक्सलियों के खिलाफ शुरू हुऐ शांति अभियान मे चल रहे अनियमितता का दौर अब समाप्ति की ओर नजर आ रहा है। जिला प्रशासन के सख्त रवैय्यें के बाद सलवा जुडूम अभियान मे गड़बड़ झाला करने वालों पर कार्रवाई की गाज गिरनी शुरू हो गई है। वही दोरनापाल मामले मे जिला प्रशासन की निष्पक्ष कार्रवाई के बाद कोन्टा के पटवारी पर मामला दर्ज होने से ऐसे तत्वों मे हड़कंप व्याप्त हो गई है। प्राप्त जानकारी अनुसार वर्ष 2006 मे नक्सलियों के विरूद्ध शुरू हुऐ सलवा जुडूम आंदोलन ने कई तरह के उतार चढ़ाव देखे। इस दौरान राहत सामाग्री से लेकर राहत कार्यो तक मे विपक्षियों ने सरकार को घेरने मे कोई कसर नही छोड़ी। जिसके चलते यह आंदोलन मजबूत होने की बजाय इसके अस्तित्व को लेकर कई तरह के सवाल खड़े हो गऐ। वही वर्तमान जिला कलेक्टर श्रीमति रीना कंगाले के द्वारा पीडीएस व जुडूम मे हो रही अनियमितताओं पर कड़ी नजर रखते हुऐ कार्रवाई पर कार्रवाई शुरू कर दी। सलवा जुडूम अभियान को कमाई का एक मात्र जरिया समझने वालों के लिऐ यह दौर अब कठिनाईयों भरा साबित होने लगा है।
कलेक्टर श्रीमति रीना कंगाले द्वारा दोरनापाल राहत शिविर मे घटिया राशन सप्लाई मामले मे निष्पक्ष कार्रवाई के बाद अब एक बार फिर कोन्टा मे थाना प्रभारी कमलेश ठाकुर ने स्वयं तहसील कार्यालय के सामने के गोदाम की जाँच की लेकिन इस दौरान कई सामाग्री मे हेराफेरी देखने को आई। वही इस गंभीर मामले पर जुडूम कैंप वितरण प्रभारी दीपक कुमार भारद्वाज के विरूद्ध थाना कोन्टा के अपराध क्रं.26/09 धारा 420,409 भादवि के तहत मामला पंजीबद्ध कर विवेचना मे लिया गया। गौरतलब है कि इसके पूर्व मे भी उक्त कर्मचारी के विरूद्ध घटिया राशन वितरण करने का आरोप लग चुका था। लेकिन जानबुझकर उक्त कर्मचारी को बचाया गया। लेकिन इस बार कोन्टा पुलिस ने जिला प्रशासन की कार्रवाईयों से मार्गदर्शन लेते हुऐ उक्त कदम उठाया। गौरतलब है कि जुडूम के इस 3 वर्ष के दरम्यान अनियमितता कोई नई बात नही थी। लेकिन इस तरह की कार्रवाई पहली बार सामने आई है। वही शिविरार्थियों मे चर्चा है कि जिस तरह की प्रशासनिक कार्रवाई वर्तमान मे चल रही है वही अगर जुडूम शुरू होने के वक्त होती तो आज स्थिति कुछ और होती।
हरिभूमि से साभार - http://119.82.71.95/haribhumi/Details.aspx?id=2419&boxid=29982410
हबीब तनवीर की कविता 'रामनाथ'
रामनाथ नें जीवन पाया साठ साल या इकसठ साल
रामनाथ नें जीवन में कपड़े पहने कुल छह सौ गज़
पगड़ी पॉंच, जूते पंद्रह
रामनाथ नें अपने जीवन में कुल सौ मन चावल खाया
सब्जी दस मन,
फाके किए अनगिनत, शराब पी दो सौ बोतल
अजी पूजा की दो हज़ार बार
रामनाथ नें जीवन में धरती नापी
कुल जुमला पैंसठ हज़ार मील
सोया पंद्रह साल.
उसके जीवन में आसीं, बीबी के सिवा, कुल पाँच औरतें
एक के साथ पचास की उम्र में प्यार किया
और प्यार किया नौ साल
सत्तर फुट कटवाये बाल और सत्रह फुट नाख़ून
रूपया कमाया दा हज़ार या ग्यारह हज़ार
कुछ रूपया मित्रों को दिया, कुछ मंदिर को
और छोड़ा कुल आठ रूपये उन्नीस पैसे का क़र्ज ...
... बस, यह गिनती रामनाथ का जीवन है
इसमें शामिल नहीं चिता की लकड़ी, तेल, कफ़न,
तेरहीं का भोजन
रामनाथ बहुत हँसमुख था
उसने पाया एक संतुष्ट-सुखी जीवन
चोरी कभी नहीं की-कभी कभार कह दिया अलबत्ता
बीबी से झूठ
एक च्यूँटी भी नहीं मारी-
गाली दी दो-तीन महीने में एक आध
बच्चे छोड़े सात
भूल चुके हैं गॉंव के सब लोग अब उसकी हर बात.
हबीब तनवीर
(वर्तमान साहित्य के सितम्बर 09 के अंक में प्रकाशित सत्यदेव त्रिपाठी जी के आलेख से साभार)
हबीब तनवीर जी पर आरंभ में एक पोस्ट - क्या नशेबो फराज थे तनवीर, जिन्दगी आपने गुजार ही दी.
इस लेख में उल्लेखित गोविन्दराम निर्मलकर पर आरंभ में एक पोस्ट - लोक कला के ध्वज वाहक.
इस लेख में उल्लेखित रामचन्द्र देशमुख पर आरंभ में एक पोस्ट - अंचल की पहिचान के पर्याय.
रामनाथ नें जीवन में कपड़े पहने कुल छह सौ गज़
पगड़ी पॉंच, जूते पंद्रह
रामनाथ नें अपने जीवन में कुल सौ मन चावल खाया
सब्जी दस मन,
फाके किए अनगिनत, शराब पी दो सौ बोतल
अजी पूजा की दो हज़ार बार
रामनाथ नें जीवन में धरती नापी
कुल जुमला पैंसठ हज़ार मील
सोया पंद्रह साल.
उसके जीवन में आसीं, बीबी के सिवा, कुल पाँच औरतें
एक के साथ पचास की उम्र में प्यार किया
और प्यार किया नौ साल
सत्तर फुट कटवाये बाल और सत्रह फुट नाख़ून
रूपया कमाया दा हज़ार या ग्यारह हज़ार
कुछ रूपया मित्रों को दिया, कुछ मंदिर को
और छोड़ा कुल आठ रूपये उन्नीस पैसे का क़र्ज ...
... बस, यह गिनती रामनाथ का जीवन है
इसमें शामिल नहीं चिता की लकड़ी, तेल, कफ़न,
तेरहीं का भोजन
रामनाथ बहुत हँसमुख था
उसने पाया एक संतुष्ट-सुखी जीवन
चोरी कभी नहीं की-कभी कभार कह दिया अलबत्ता
बीबी से झूठ
एक च्यूँटी भी नहीं मारी-
गाली दी दो-तीन महीने में एक आध
बच्चे छोड़े सात
भूल चुके हैं गॉंव के सब लोग अब उसकी हर बात.
हबीब तनवीर
(वर्तमान साहित्य के सितम्बर 09 के अंक में प्रकाशित सत्यदेव त्रिपाठी जी के आलेख से साभार)
हबीब तनवीर जी पर आरंभ में एक पोस्ट - क्या नशेबो फराज थे तनवीर, जिन्दगी आपने गुजार ही दी.
इस लेख में उल्लेखित गोविन्दराम निर्मलकर पर आरंभ में एक पोस्ट - लोक कला के ध्वज वाहक.
इस लेख में उल्लेखित रामचन्द्र देशमुख पर आरंभ में एक पोस्ट - अंचल की पहिचान के पर्याय.
हर मर्ज की दवा है यहॉं ..छुट्टी भूल जावो ....
पिछले दो माह में दो बार एक दो दिन के लिये बीमार पड़ा तो सोंचता रहा 'सीजनल बुखार' है सो एन्टीबायोटिक व दर्द-बुखार की दवा लिये और दौड पड़ी हमारी बाईक सड़कों पर. यद्धपि काम में मन पिछले पन्द्रह दिन से नहीं लग रहा था पर ये कोई तुक नहीं कि काम में मन नहीं लग रहा है तो कार्यालय नहीं जाए या काम न करें. किन्तु पिछले रविवार से पुन: रोज शाम और रात को शरीर का तापमान सामान्य से अधिक रहने लगा. तो खूंन जांच करवा लेना हमने उचित समझा, जांच करवाया तो पता चला 'टायफाईड' है. डाक्टर नें टायफाईड की दस दिन की दवाई दी और कहा घर में आराम करो. हमने अपनी बत्तीसी निपोरी और हो हो हो करते हुए कहा अवश्य डॉक्टर साहब.
आज सुबह सुबह श्रीमतिजी को ज्ञानदत्त पाण्डेय जी के गंगा टैगित सभी पोस्टों एवं चित्रों का दर्शन कराकर गंगा स्नान का पुण्यलाभ प्राप्त किया और इस पोस्ट को 'बीमार' होते हुए भी पब्लिश करने का अवसर भी किन्तु जैसे ही पब्लिश बटन दबाने वाला था बिजली नें करंट, शिकायत केन्द्र व अधिकारियों के मोबाईलों सहित आंखें मूंद ली. समाचार पत्र देखा तो ज्ञात हुआ शाम तीन बजे सो के उठेगी. यह पोस्ट सायबर कैफे के सहारे स्वीकार हो.
आज रोज की तरह आफिस जाने के लिए तैयार होते देख कर श्रीमति जी को फीलगुड नहीं लगा. उसने कहा कि आपकी तबियत खराब है और आप फिर आफिस जा रहे हो, डॉक्टर नें कहा है ना, घर में आराम करो. और फिर आफिस वालों को पढ़वा देना कि टायफाईड है .... यह है पैथेलाजिस्ट का रिपोर्ट. वह रिपोर्ट को हवा में लहराने लगी थी. हमने अपनी बत्तीसी फिर निपोरी हो हो हो.
हमने कहा श्रीमतिजी यदि हम आफिस नहीं गये तो सुबह दस बजे से मोबाईल खनकने लगेंगें पूछ परख बारह बजते तक हाई ब्लड प्रेशर की तरह बढ़ जायेगी. और मुझे एकमात्र दवा दिव्य मुक्तावटी की तरह रेपर से निकलकर कार्यालय के मुह तक ले आयेगी. और यदि मोबाईल बंद कर दिया तो घर के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के कोटे से प्राप्त बीएसएनएल फोन अवश्य घनघनाएगा. और वहां से पांच तुलसी का पत्ता अदरक का एक चम्मच रस, एक चम्मच मधुरश से लेने को या ऐसा ही कोई फटाफट नुख्शा बोला जाएगा. और यकीन मानो इस विश्वास से बोला जाएगा कि यह दो चम्मच मृत्युशैया में पड़े व्यक्ति को भी पीटीउषा बना दे. और यदि न भी बनाए तो तुम्हें बनना है क्योंकि मैनें यह नुक्सा बताया है.
श्रीमतिजी उवाच - पंद्रह दिन पहले जब आपको एक डेढ़ दिन बिस्तर पकड़ने की नौबत आई थी तब से आपनें अदरक रस को पकड़ा है जिससे आपको पित्त की परेशानी बढ़ गई और दिव्य चिकित्सालय के बैद्य से परामर्श लेकर आपने उसे दूर किया. पिछले महीनों के इसी घालमेल एवं अपने मन से दवाई करने के चक्कर का परिणाम है यह टाईफाईड. अब ना किसी को अपनी बीमारी बताओं ना किसी से नुख्शा पावो.
ब्लागर उवाच - 'बीमार होते हुए भी हंसी खुशी ड्यूटी जावो. नहीं तो फिर कोई नया नुख्शा खावो.'
'तब तो अवश्य ही आफिस जावो.' अब ही ही ही करने की बारी श्रीमति जी की थी.
संजीव तिवारी
पितृ तर्पण और शिवनाथ
पितृ पक्ष के साथ ही हमें शिवनाथ की याद आ गई और हम पक्ष के पहले दिन सुबह हमारे घर से लगभग डेढ़ किलोमीटर दूर शिवनाथ नदी पितृ तर्पण के लिए गए. बहुत दिनों बाद उस नदी को पाकर मन अति आनंदित हुआ. मेरा गांव इस नदी के किनारे खारून नदी के संगम के तुरंत बाद है और मैनें बचपन से आजतक इसे अपने दिल के बहुत ही करीब पाया है. लगभग सात किलोमीटर पैदल सिमगा पढ़ने जाने पर कई कई बार इसने मेरा रास्ता रोका है और कई कई बार मैनें इसकी उत्श्रंखलता को धता बतलाते स्कूल के रास्ते में आने वाले इसके सहायक नालों को पार करते हुए हुए इसके सिमगा पुल के उपर चढ़ जाने के बावजूद अपने बचकाने हाथ से साथी बच्चों के दल के साथ हाथ से हाथ थाम कर अपने बस्ता को बचाते हुए पुल पार किया है. पुल के इस पार आकर जोर से अट्टहास भी लगाया है कि 'तू..तू मुझे छकायेगी....' बहुत अच्छा लगाता है जब मैं अपने पुत्र को यह वाकया सुनाता हूं. ............... और भी बहुत सी यादें हैं इसके साथ.
आज दूसरे दिन जब मैं सुबह तर्पण के लिए नदी जाने के लिए निकलने लगा, मेरा पुत्र भी शिवनाथ जाने की जिद करने लगा. मैं उसे साथ लेकर दुर्ग के पुष्पवाटिका घाट आया. विगत वर्षों की भांति इस वर्ष कम वर्षा के कारण शिवनाथ में पानी बहुत कम है पर नदी में नहाने का आनंद कुछ अलग ही है. आज रवीवार होने के कारण भीड़ कुछ अधिक थी. मैंनें पुरखों को पानी दिया. इधर पुत्र नें कम पानी में बहुत मस्ती किया. किनारे में छिछले नदी के तेज घार का मजा लिया. कुल मिलाकर वह बहुत - बहुत 'हैप्पी' हुआ. उसके लिये यह नदी मात्र एक खेल है मेरे लिये इस नदी की क्या अहमियत है यह मैं उसे अभी तो नहीं समझा सकता हॉं, हो सकता है उम्र बढ़ने पर उसे कुछ समझ में आये.
संजीव तिवारी
स्वयं के द्वारा बस्तर बालाओं के मजेदार दैहिक भोग वृतांत हंस में : रामशरण जोशी
कुछ वर्ष पहले पत्रकार रामशरण जोशी नें हंस में दो किश्तों में लेख लिखा था. उसमें उन्होंनें लिखा था कि आपतकाल में दो माह के लिए वे बस्तर आये थे. वहां रहकर अपने आई.पी.एस.मित्र की कृपा से बस्तर की बालाओं के साथ उन्होंनें खुलकर दैहिक शोषण का खेल ख्ोला. जुगुप्ता उपजाने वाला अमर्यादित लंबा वृतांत दो किश्तों में छपा. उन्होंनें लिखा कि छत्तीसगढ में पदस्थ दीगर प्रांत के अफसर अपनी बीबी लेकर छत्तीसगढ में नहीं आते क्योंकि यहॉं औरतें आसानी से उपलब्ध रहती हैं.
उन्होंनें यह भी लिखा कि जो अफसर बीबी लेकर छत्तीसगढ आता है उसे बेवकूफ समझा जाता है. हंस में छपे उस आलेख पर मैनें तुरंत प्रतिवाद किया. हंस संपादक राजेन्द्र यादव नें अगले अंक में लेखमाला के प्रकाशन के लिए माफी मांग ली. और किस्सा खत्म हो गया. मगर इस प्रकरण से यह तो जाहिर ही हो गया कि छत्तीसगढ़ और विशेषकर छत्तीसगढ़ी को कितनी हिकारत से तथाकथित सभ्य दुनिंया देखती है.
डॉ.परदेशीराम वर्मा जी के एक लेख का अंश. (छत्तीसगढ़ आसपास से साभार)
रामशरण जोशी से संबंधित एक और पोस्ट पढ़ें - अपने करीबी देह संबंधों की कथा क्या सार्वजनिक की जानी चाहिए ?
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