विजय वर्तमान चंदैनी-गोंदा को प्रत्यक्षतः देखने, जानने, समझने और समझा सकने वाले लोग अब गिनती के रह गए हैं। किसी भी विराट कृति में बताने को बहुत कुछ होता है । अब हमीं कुछ लोग हैं जो थोड़ा-बहुत बता सकते हैं । यह लेख उसी ज़िम्मेदारी के तहत उपजा है...... 07 नवम्बर 1971 को बघेरा में चंदैनी-गोंदा का प्रथम प्रदर्शन हुआ। उसके बाद से आजपर्यंत छ. ग. ( तत्कालीन अविभाजित म. प्र. ) के लगभग सभी समादृत विद्वानों, साहित्यकारों, पत्रकारों, समीक्षकों, रंगकर्मियों, समाजसेवियों, स्वप्नदर्शियों, सुधी राजनेताओं आदि-आदि सभी ने चंदैनी-गोंदा के विराट स्वरूप, क्रांतिकारी लक्ष्य, अखण्ड मनभावन लोकरंजन के साथ लोकजागरण और लोकशिक्षण का उद्देश्यपूर्ण मिशन, विस्मयकारी कल्पना और उसका सफल मंचीय प्रयोग आदि-आदि पर बदस्तूर लिखा। किसी ने कम लिखा, किसी ने ज़्यादा लिखा, किसी ने ख़ूब ज़्यादा लिखा, किसी ने बार-बार लिखा। तब के स्वनामधन्य वरिष्ठतम साहित्यकारों से लेकर अब के विनोद साव तक सैकड़ों साहित्यकारों की कलम बेहद संलग्नता के साथ चली है। आज भी लिखा जाना जारी है। कुछ ग़ैर-छत्तीसगढ़ी लेखक जैसे परितोष चक्रवर्ती, डॉ हनुमंत नायडू जैसों
छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधिपति माननीय श्री न्यायमूर्ति यतीन्द्र सिंह जी के पदभार ग्रहण करते ही छत्तीसगढ़ के न्यायालयीन कार्यो में तेजी से कसावट आई है एवं मुख्य न्यायाधिपति माननीय श्री न्यायमूर्ति यतीन्द्र सिंह जी नें व्यापक जन हित में आवश्यक न्यायिक एवं प्रशासनिक फेरबदल किये हैं।
इसी कड़ी में उन्होंनें सर्वप्रथम छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के न्याय निर्णयों को आनलाईन करने का महत्वपूर्ण कार्य करवाया है। इस वेबसाईट में उन्होंनें आरएसएस फीड के द्वारा महत्वपूर्ण निर्णय / ए.एफ.आर. एवं प्रशासनिक सूचनायें प्रस्तुत करवा कर इसे त्वरित व सर्वसुलभ कर दिया है। हिन्दी भाषा प्रेमियों के लिए अति प्रशन्नता की बात है कि अब उच्च न्यायालय के वेबसाईट में हिन्दी भाषा का भी विकल्प जुड़ गया है।
वर्षों से उच्च न्यायालय के इस वेबसाईट का उपयोग मात्र वाद सूची देखने के लिए ही हो पा रहा था किन्तु अब यह देश के अन्य न्यायालयों के बेवसाईटों जैसी उपयोगी हो गई है।
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माननीय मुख्य न्यायाधीश महोदय खुद टेक सावी हैं और अनेक विषयों के जानकार हैं -विज्ञान कथाओं (साईंस फिक्शन ) पर उनके गहन अध्ययन से मैं चमत्कृत हुआ हूँ! आप सभी भाग्यशाली हैं !
जवाब देंहटाएंकुछ और बढ़े हैं हम..
जवाब देंहटाएंइससे यह तथ्य पुख्ता होता है कि यदि उच्च पदों पर आसीन अफसर और नेता यदि वास्तव में देश और समाज की चिंता करते होते तो क्या नहीं किया जा सकता था. पर, हर कोई अपने काम को चलताऊ अंदाज में ही करते रहते हैं.
जवाब देंहटाएंमाननीय मुख्य न्यायाधीश यतीन्द्र सिंह जैसे लोग बिरले ही होते हैं, जो देश और समाज की न सिर्फ चिंता करते हैं, वरन इस हेतु जो बन पड़ता है वह सब करते हैं. उन्हें हमारा भी सलाम.
बड़े पद पर बैठे लोगों की जीवनशैली इतना ही आदर्शमय होना चाहिए
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