विजय वर्तमान चंदैनी-गोंदा को प्रत्यक्षतः देखने, जानने, समझने और समझा सकने वाले लोग अब गिनती के रह गए हैं। किसी भी विराट कृति में बताने को बहुत कुछ होता है । अब हमीं कुछ लोग हैं जो थोड़ा-बहुत बता सकते हैं । यह लेख उसी ज़िम्मेदारी के तहत उपजा है...... 07 नवम्बर 1971 को बघेरा में चंदैनी-गोंदा का प्रथम प्रदर्शन हुआ। उसके बाद से आजपर्यंत छ. ग. ( तत्कालीन अविभाजित म. प्र. ) के लगभग सभी समादृत विद्वानों, साहित्यकारों, पत्रकारों, समीक्षकों, रंगकर्मियों, समाजसेवियों, स्वप्नदर्शियों, सुधी राजनेताओं आदि-आदि सभी ने चंदैनी-गोंदा के विराट स्वरूप, क्रांतिकारी लक्ष्य, अखण्ड मनभावन लोकरंजन के साथ लोकजागरण और लोकशिक्षण का उद्देश्यपूर्ण मिशन, विस्मयकारी कल्पना और उसका सफल मंचीय प्रयोग आदि-आदि पर बदस्तूर लिखा। किसी ने कम लिखा, किसी ने ज़्यादा लिखा, किसी ने ख़ूब ज़्यादा लिखा, किसी ने बार-बार लिखा। तब के स्वनामधन्य वरिष्ठतम साहित्यकारों से लेकर अब के विनोद साव तक सैकड़ों साहित्यकारों की कलम बेहद संलग्नता के साथ चली है। आज भी लिखा जाना जारी है। कुछ ग़ैर-छत्तीसगढ़ी लेखक जैसे परितोष चक्रवर्ती, डॉ हनुमंत नायडू जैसों
'लगातार शोषण और उपेक्षा के कारण आदिवासी असंतुष्ट हुआ है। आदिवासी कभी किसी का हक नहीं छीनता, मगर लगातार उसके हकों को छीना गया। ' यह उद्गार छत्तीसगढ़ के बघमार गांव में प्रसिद्ध आदिवासी क्रांतिवीर व संगठक कंगला मांझी स्मृति स्वर्ण जयंती समारोह व दो दिवसीय सैनिक सम्मेलन के समापन दिवस के मुख्य अतिथि संत कवि पवन दीवान ने कहा! विशेष अतिथि अगासदिया के संपादक साहित्यकार डॉ.परदेशीराम वर्मा ने कहा कि केवल अपने विगत इतिहास को याद कर गर्वित होने से वर्तमान नहीं संवर सकता। कंगला मांझी ने सभी संघर्षशील अधिकारहीन लोगों को एकताबद्ध होने का नारा दिया। आज भी उनका उद्देश्य अधूरा है। कंगला मांझी के सभी सैनिक वर्दी पहनकर और विनम्र सेवक बन जाते हैं। निःशुल्क सेवा ही उनका धर्म है। उनकी ताकत का सदुपयोग होना चाहिए। वे अनुशासित, संगठन राष्ट्र एवं समाज भक्त हैं।
कार्यक्रम में दुर्ग के कलेक्टर ठाकुर राम सिंह एवं राजमाता फुलवादेवी ने अगासदिया के सैनिक अंक का विमोचन किया। विशेष अतिथि श्रीमती अनिता भेड़िया, जिला पंचायत सदस्य डौंडीलोहारा ने कहा कि जो समस्या है उनके निदान के लिए प्रशासन तक पहुंचने और समाधान लाने की दिशा में हम सब काम करेंगे। राजमाता फुलवादेवी कांगे ने बताया कि छत्तीसगढ़ सासन द्वारा ६४ लाख रुपए के कार्य स्वीकृति हुई है। मांझी के पुत्र कुंभदेव कांगे ने बताया कि बिना प्रशिक्षण एवं किसी सुविधा के हमारे सैनिक अनुशासित जीवन जीते हैं। अपने गांवों की हर समस्या का हल करते हैं। लगभग पांच हजार वर्दीधारी सैनिक तथा दो हजार महिला सैनिकों के साथ ही हजारों समर्थक शामिल हुए।
कार्यक्रम में खड़ानंद वर्मा, भास्कर मढ़रिया, गैंदलाल वर्मा, थानेश्वर निर्मल, श्रीमती हेमवती वर्मा, श्रीमती स्मिता वर्मा, श्रीमती यमुनोत्री वर्मा, संतोष, छत्तीसगढ़ आसपास के संपादक प्रदीप भट्टाचार्य, आदिवासी सत्ता परिवार के स्थानीय प्रतिनिधि शामिल हुए। इस अवसर पर ३४ सैनिकों के जीवन पर केन्द्रित अगासदिया की प्रति, स्मृति चिन्ह तथा शाल अभिनंदन पत्र भेंट कर सैनिकों का सम्मान किया गया। कार्यक्रम में बालाघाट से गोंगपा महिला प्रकोष्ठ राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमती हीरामन उइके, नईदिल्ली के मांझी कार्यालय प्रभारी केजी उमरे, गोंदिया से तीजूराम हेकाम, छिंदवाड़ा से मन्नूलाल मरकाम, नागपुर से वासुदेव शाहा, पत्रकार बीआर कोर्राम, संपादक गोंडवाना दर्शन मुन्नालाल निषाद तथा कमिश्नर भिलाई निगम राजेश टोप्पो सहित जिले के आला अफसर सम्मिलित हुए। संचालन कंगला मांझी के सैनिक हरीलाल पन्द्रे ने किया।
(समाचार डॉ. परदेशीराम वर्मा जी द्वारा जारी विज्ञप्ति के आधार पर)
(समाचार डॉ. परदेशीराम वर्मा जी द्वारा जारी विज्ञप्ति के आधार पर)
बहुत अच्छी रिपोर्ट !
जवाब देंहटाएंसंजीव भाई
कई बार आश्चर्य होता है की क्या लोग अत्यधिक व्यस्त हैं या उनके पास यह सब पढने का वक्त नहीं है ?