विजय वर्तमान चंदैनी-गोंदा को प्रत्यक्षतः देखने, जानने, समझने और समझा सकने वाले लोग अब गिनती के रह गए हैं। किसी भी विराट कृति में बताने को बहुत कुछ होता है । अब हमीं कुछ लोग हैं जो थोड़ा-बहुत बता सकते हैं । यह लेख उसी ज़िम्मेदारी के तहत उपजा है...... 07 नवम्बर 1971 को बघेरा में चंदैनी-गोंदा का प्रथम प्रदर्शन हुआ। उसके बाद से आजपर्यंत छ. ग. ( तत्कालीन अविभाजित म. प्र. ) के लगभग सभी समादृत विद्वानों, साहित्यकारों, पत्रकारों, समीक्षकों, रंगकर्मियों, समाजसेवियों, स्वप्नदर्शियों, सुधी राजनेताओं आदि-आदि सभी ने चंदैनी-गोंदा के विराट स्वरूप, क्रांतिकारी लक्ष्य, अखण्ड मनभावन लोकरंजन के साथ लोकजागरण और लोकशिक्षण का उद्देश्यपूर्ण मिशन, विस्मयकारी कल्पना और उसका सफल मंचीय प्रयोग आदि-आदि पर बदस्तूर लिखा। किसी ने कम लिखा, किसी ने ज़्यादा लिखा, किसी ने ख़ूब ज़्यादा लिखा, किसी ने बार-बार लिखा। तब के स्वनामधन्य वरिष्ठतम साहित्यकारों से लेकर अब के विनोद साव तक सैकड़ों साहित्यकारों की कलम बेहद संलग्नता के साथ चली है। आज भी लिखा जाना जारी है। कुछ ग़ैर-छत्तीसगढ़ी लेखक जैसे परितोष चक्रवर्ती, डॉ हनुमंत नायडू जैसों
उच्चतम न्यायालय नें सीमा नामक महिला के स्थानांतरण याचिका पर विचार करते हुए विगत वर्ष विवाह पंजीकरण को आवश्यक करने हेतु नियम बनाने का बहुचर्चित आदेश दिया था जिस पर उस समय देश भर में काफी बहस हुआ था । कुछेक राज्यों नें इसे गहराई से न लेते हुए अपने तरफ से कोई सराहनीय प्रयास नहीं किया था ।
ह्म्म, हमें तो सुप्रीम कोर्ट की वह बात भली लगी कि पंजीयन की अनिवार्यता हिन्दू धर्म पर ही क्यों बाकी के साथ क्यों नही!!
जवाब देंहटाएंआपकी बात ध्यान रखूँगा। अवश्य पंजीयन करवाऊँगा। पर अभी तक तो अविवाहित ही हूँ।
जवाब देंहटाएंहाँ यही बात समझ नही आती कि सरकार इन फ़ालतू कामो में समय बर्बाद क्यों करती रहती है...क्या फ़र्क पड़ जायेगा अगर कोई एक विवाह का पंजीकरण करवा भी लेगा...अरे भाई घोटाला तो यहाँ भी होता है...वैसे काफ़ी पहले पढ़ा था हमने...सरकार लगता है फ़िर से सक्रिय हो गई है...
जवाब देंहटाएंसुनीता(शानू)
पंजीकरण कित्थे करवाना होगा? क्या कोर्ट में हुए विवाह को भी अलग से पंजीकृत करवाना होगा?
जवाब देंहटाएंसंजीत भाई, पंकज भाई धन्यवाद ।
जवाब देंहटाएंशानू जी आपकी सोंच जायज है किन्तु कानूनी आवश्यकताओं एवं सूचना संग्रह के लिहाज से भी इसकी अहमियत को समझे जो मामला न्यायालय में लंबित है उसमें यह प्रश्न भी है कि क्या सीमा विधिक रूप से अपने पति की पत्नी है जबकि वह अपने पति की पत्नी बरसों से है ।
अमित जी यह पंजीकरण जिला विवाह पंजीयक के यहां करवाना होगा जो कार्यपालिक न्यायाधीश हो सकता है कोर्ट में हुए विवाह का पुन: पंजीकरण आवश्यक नही है ।
हमने करवा रखा है भाई. क्या पता कब काम आ जाये. :) आपने चेताया तो आज पंजियन सर्टिफिकेट को पुनः ईस्त्री करके और फोटोकॉपी करवा ली है. आभार.
जवाब देंहटाएंयह बढ़िया पोस्ट है संजीव पण्डित. मैं छत्तीसगढ़ में आपके द्वारा एक दक्ष मैरिज ब्यूरो खोलने की सबल सम्भावना देख रहा हूं. :)
जवाब देंहटाएंकोर्ट में हुए विवाह का पुन: पंजीकरण आवश्यक नही है
जवाब देंहटाएंअच्छा है, अपन तो जब विवाह करेंगे तो कचहरी में जाकर भी ठप्पा लगवा लेंगे!! :)
अब तो गम्भीरता से सोचना होगा ।
जवाब देंहटाएंभई पंजीकृत विवाह किया है । बाकायदा अदालत में ।
जवाब देंहटाएंभाई यह पंजीयन क्या-क्या गारंटी देगा ?
जवाब देंहटाएंअगर शादी के वक्त की फोटो नही है तो क्या पंजीयन नही हो सकता कृपया बताने का कष्ट करेंगे।
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