विजय वर्तमान चंदैनी-गोंदा को प्रत्यक्षतः देखने, जानने, समझने और समझा सकने वाले लोग अब गिनती के रह गए हैं। किसी भी विराट कृति में बताने को बहुत कुछ होता है । अब हमीं कुछ लोग हैं जो थोड़ा-बहुत बता सकते हैं । यह लेख उसी ज़िम्मेदारी के तहत उपजा है...... 07 नवम्बर 1971 को बघेरा में चंदैनी-गोंदा का प्रथम प्रदर्शन हुआ। उसके बाद से आजपर्यंत छ. ग. ( तत्कालीन अविभाजित म. प्र. ) के लगभग सभी समादृत विद्वानों, साहित्यकारों, पत्रकारों, समीक्षकों, रंगकर्मियों, समाजसेवियों, स्वप्नदर्शियों, सुधी राजनेताओं आदि-आदि सभी ने चंदैनी-गोंदा के विराट स्वरूप, क्रांतिकारी लक्ष्य, अखण्ड मनभावन लोकरंजन के साथ लोकजागरण और लोकशिक्षण का उद्देश्यपूर्ण मिशन, विस्मयकारी कल्पना और उसका सफल मंचीय प्रयोग आदि-आदि पर बदस्तूर लिखा। किसी ने कम लिखा, किसी ने ज़्यादा लिखा, किसी ने ख़ूब ज़्यादा लिखा, किसी ने बार-बार लिखा। तब के स्वनामधन्य वरिष्ठतम साहित्यकारों से लेकर अब के विनोद साव तक सैकड़ों साहित्यकारों की कलम बेहद संलग्नता के साथ चली है। आज भी लिखा जाना जारी है। कुछ ग़ैर-छत्तीसगढ़ी लेखक जैसे परितोष चक्रवर्ती, डॉ हनुमंत नायडू जैसों
जुडूम मामले पर प्रशासन सख्त
हरिभूमि न्यूज
नक्सलियों के खिलाफ शुरू हुऐ शांति अभियान मे चल रहे अनियमितता का दौर अब समाप्ति की ओर नजर आ रहा है। जिला प्रशासन के सख्त रवैय्यें के बाद सलवा जुडूम अभियान मे गड़बड़ झाला करने वालों पर कार्रवाई की गाज गिरनी शुरू हो गई है। वही दोरनापाल मामले मे जिला प्रशासन की निष्पक्ष कार्रवाई के बाद कोन्टा के पटवारी पर मामला दर्ज होने से ऐसे तत्वों मे हड़कंप व्याप्त हो गई है। प्राप्त जानकारी अनुसार वर्ष 2006 मे नक्सलियों के विरूद्ध शुरू हुऐ सलवा जुडूम आंदोलन ने कई तरह के उतार चढ़ाव देखे। इस दौरान राहत सामाग्री से लेकर राहत कार्यो तक मे विपक्षियों ने सरकार को घेरने मे कोई कसर नही छोड़ी। जिसके चलते यह आंदोलन मजबूत होने की बजाय इसके अस्तित्व को लेकर कई तरह के सवाल खड़े हो गऐ। वही वर्तमान जिला कलेक्टर श्रीमति रीना कंगाले के द्वारा पीडीएस व जुडूम मे हो रही अनियमितताओं पर कड़ी नजर रखते हुऐ कार्रवाई पर कार्रवाई शुरू कर दी। सलवा जुडूम अभियान को कमाई का एक मात्र जरिया समझने वालों के लिऐ यह दौर अब कठिनाईयों भरा साबित होने लगा है।
कलेक्टर श्रीमति रीना कंगाले द्वारा दोरनापाल राहत शिविर मे घटिया राशन सप्लाई मामले मे निष्पक्ष कार्रवाई के बाद अब एक बार फिर कोन्टा मे थाना प्रभारी कमलेश ठाकुर ने स्वयं तहसील कार्यालय के सामने के गोदाम की जाँच की लेकिन इस दौरान कई सामाग्री मे हेराफेरी देखने को आई। वही इस गंभीर मामले पर जुडूम कैंप वितरण प्रभारी दीपक कुमार भारद्वाज के विरूद्ध थाना कोन्टा के अपराध क्रं.26/09 धारा 420,409 भादवि के तहत मामला पंजीबद्ध कर विवेचना मे लिया गया। गौरतलब है कि इसके पूर्व मे भी उक्त कर्मचारी के विरूद्ध घटिया राशन वितरण करने का आरोप लग चुका था। लेकिन जानबुझकर उक्त कर्मचारी को बचाया गया। लेकिन इस बार कोन्टा पुलिस ने जिला प्रशासन की कार्रवाईयों से मार्गदर्शन लेते हुऐ उक्त कदम उठाया। गौरतलब है कि जुडूम के इस 3 वर्ष के दरम्यान अनियमितता कोई नई बात नही थी। लेकिन इस तरह की कार्रवाई पहली बार सामने आई है। वही शिविरार्थियों मे चर्चा है कि जिस तरह की प्रशासनिक कार्रवाई वर्तमान मे चल रही है वही अगर जुडूम शुरू होने के वक्त होती तो आज स्थिति कुछ और होती।
हरिभूमि से साभार - http://119.82.71.95/haribhumi/Details.aspx?id=2419&boxid=29982410
कोई भी सरकारी या सरकारी सहायता प्राप्त अभियान का भ्रष्टाचार का शिकार होना अचरज की बात नहीं।
जवाब देंहटाएंसब भूखे हैं, बस कुछ(नेता) को रुपये मिल जाते हैं और कुछ (जनता) को बासी रोटी नसीब नहीं होती है
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Carbon Nanotube As Ideal Solar Cell
Chaliye De aaye durust aaye.
जवाब देंहटाएंबेहतरिन लेख संजीव भैया बधाई चिञ आपने बंहुत खुबसुरत लगाया आपने दिल को छुने लायक ये लोग भी अपने हैं
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