पिछले दो माह में दो बार एक दो दिन के लिये बीमार पड़ा तो सोंचता रहा 'सीजनल बुखार' है सो एन्टीबायोटिक व दर्द-बुखार की दवा लिये और दौड पड़ी हमारी बाईक सड़कों पर. यद्धपि काम में मन पिछले पन्द्रह दिन से नहीं लग रहा था पर ये कोई तुक नहीं कि काम में मन नहीं लग रहा है तो कार्यालय नहीं जाए या काम न करें. किन्तु पिछले रविवार से पुन: रोज शाम और रात को शरीर का तापमान सामान्य से अधिक रहने लगा. तो खूंन जांच करवा लेना हमने उचित समझा, जांच करवाया तो पता चला 'टायफाईड' है. डाक्टर नें टायफाईड की दस दिन की दवाई दी और कहा घर में आराम करो. हमने अपनी बत्तीसी निपोरी और हो हो हो करते हुए कहा अवश्य डॉक्टर साहब.
आज सुबह सुबह श्रीमतिजी को ज्ञानदत्त पाण्डेय जी के गंगा टैगित सभी पोस्टों एवं चित्रों का दर्शन कराकर गंगा स्नान का पुण्यलाभ प्राप्त किया और इस पोस्ट को 'बीमार' होते हुए भी पब्लिश करने का अवसर भी किन्तु जैसे ही पब्लिश बटन दबाने वाला था बिजली नें करंट, शिकायत केन्द्र व अधिकारियों के मोबाईलों सहित आंखें मूंद ली. समाचार पत्र देखा तो ज्ञात हुआ शाम तीन बजे सो के उठेगी. यह पोस्ट सायबर कैफे के सहारे स्वीकार हो.
आज रोज की तरह आफिस जाने के लिए तैयार होते देख कर श्रीमति जी को फीलगुड नहीं लगा. उसने कहा कि आपकी तबियत खराब है और आप फिर आफिस जा रहे हो, डॉक्टर नें कहा है ना, घर में आराम करो. और फिर आफिस वालों को पढ़वा देना कि टायफाईड है .... यह है पैथेलाजिस्ट का रिपोर्ट. वह रिपोर्ट को हवा में लहराने लगी थी. हमने अपनी बत्तीसी फिर निपोरी हो हो हो.
हमने कहा श्रीमतिजी यदि हम आफिस नहीं गये तो सुबह दस बजे से मोबाईल खनकने लगेंगें पूछ परख बारह बजते तक हाई ब्लड प्रेशर की तरह बढ़ जायेगी. और मुझे एकमात्र दवा दिव्य मुक्तावटी की तरह रेपर से निकलकर कार्यालय के मुह तक ले आयेगी. और यदि मोबाईल बंद कर दिया तो घर के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के कोटे से प्राप्त बीएसएनएल फोन अवश्य घनघनाएगा. और वहां से पांच तुलसी का पत्ता अदरक का एक चम्मच रस, एक चम्मच मधुरश से लेने को या ऐसा ही कोई फटाफट नुख्शा बोला जाएगा. और यकीन मानो इस विश्वास से बोला जाएगा कि यह दो चम्मच मृत्युशैया में पड़े व्यक्ति को भी पीटीउषा बना दे. और यदि न भी बनाए तो तुम्हें बनना है क्योंकि मैनें यह नुक्सा बताया है.
श्रीमतिजी उवाच - पंद्रह दिन पहले जब आपको एक डेढ़ दिन बिस्तर पकड़ने की नौबत आई थी तब से आपनें अदरक रस को पकड़ा है जिससे आपको पित्त की परेशानी बढ़ गई और दिव्य चिकित्सालय के बैद्य से परामर्श लेकर आपने उसे दूर किया. पिछले महीनों के इसी घालमेल एवं अपने मन से दवाई करने के चक्कर का परिणाम है यह टाईफाईड. अब ना किसी को अपनी बीमारी बताओं ना किसी से नुख्शा पावो.
ब्लागर उवाच - 'बीमार होते हुए भी हंसी खुशी ड्यूटी जावो. नहीं तो फिर कोई नया नुख्शा खावो.'
'तब तो अवश्य ही आफिस जावो.' अब ही ही ही करने की बारी श्रीमति जी की थी.
संजीव तिवारी
ये भी कमाल का नुस्ख़ा है!
जवाब देंहटाएंबी एस पाबला
बहुत सही सलाह दी आपने।
जवाब देंहटाएं-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
ऑफिस जाना ही सबसे कामयाब और समयोचित नुस्खा है जो हर समस्या से बचा लेगा .
जवाब देंहटाएंसही है..अब चलते हैं ऑफिस. :)
जवाब देंहटाएंहम तो मनाते हैं कि कोई गाजर के हलवे के नुस्खे के लायक बीमार हो जायें! फिर हफ्ता दो हफ्ता बीमार रहने मेम गुरेज़ नहीं! :)
जवाब देंहटाएंइब अपन की बोल्ले जी, ज्ञान दद्दा ने हमरे मन की बात पैले ही कह डाली है ;)
जवाब देंहटाएंजल्द स्वास्थ्य लाभ करें
इब अपन की बोल्ले जी, ज्ञान दद्दा ने हमरे मन की बात पैले ही कह डाली है ;)
जवाब देंहटाएंजल्द स्वास्थ्य लाभ करें
इब अपन की बोल्ले जी, ज्ञान दद्दा ने हमरे मन की बात पैले ही कह डाली है ;)
जवाब देंहटाएंजल्द स्वास्थ्य लाभ करें