आईये 23 सितंबर 1908 में बिहार के तत्कालीन मुंगेर जिले के बेगूसराय जिले में जन्मे दिनकर जी को आज याद कर लें-
जला अस्थियां बारी-बारी
चिटकाई जिनमें चिंगारी,
जो चढ़ गये पुण्यवेदी पर
लिए बिना गर्दन का मोल।
कलम, आज उनकी जय बोल
जो अगणित लघु दीप हमारे
तूफानों में एक किनारे,
जल-जलाकर बुझ गए किसी दिन
मांगा नहीं स्नेह मुंह खोल।
कलम, आज उनकी जय बोल
पीकर जिनकी लाल शिखाएं
उगल रही सौ लपट दिशाएं,
जिनके सिंहनाद से सहमी
धरती रही अभी तक डोल।
कलम, आज उनकी जय बोल
अंधा चकाचौंध का मारा
क्या जाने इतिहास बेचारा,
साखी हैं उनकी महिमा के
सूर्य चन्द्र भूगोल खगोल।
नमन 'दिनकर'
हिन्दुस्तान डाट काम का लेख पढें - अंग्रेज सरकार ने दिनकर के पीछे लगवा दिए थे जासूस
(हिन्दुस्तान डाट काम से साभार)
हिन्दुस्तान डाट काम का लेख पढें - अंग्रेज सरकार ने दिनकर के पीछे लगवा दिए थे जासूस
(हिन्दुस्तान डाट काम से साभार)
बने जनकारी देवत हस संगी,रामधारी सिंग दिनकर जी बारे में "सिंहासन खाली करो जनता आती हैं" लेकिन कौनो खाली नई करय तीन पहारो होगे अगोरत,ये दे मन खाली करही अऊ हमिच मन बईठबो
जवाब देंहटाएंदिल के बात दिले मा रही जाथे, साठ गावं ला छेरी खा दे थे, बधाई हो ........................................
दिनकर साहब को श्रधांजलि
जवाब देंहटाएंदिनकर साहब को श्रधांजलि
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर रचना। दिनकर साहब को श्रधांजलि
जवाब देंहटाएंआज दिनकर जी को याद कर आपने सच्ची श्रधांजलि दी है . हमारी भी श्रधांजलि अर्पित है
जवाब देंहटाएंदिनकर जी की स्मृति को प्रणाम हमने भी सन् 1972 में बाराँ में लोगों को इकट्ठा कर दिनकर साहित्य समिति बनाई थी। आज भी चल रही है।
जवाब देंहटाएंदिनकर जी को अब लोग भूलने लग गये है ..यह याद दिलाना बहुत ज़रूरी है ।
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