दुर्ग ग्रामीण के रूप में उस समय दुर्ग से लगे ग्राम कुथरैल विधानसभा सीट था। दूसरे चुनाव में यह सीट भिलाई के रूप में परिसीमित हुआ था। उस समय के इस दुर्ग ग्रामीण सीट में कांग्रेस के मोहनलाल बाकलीवाल, समाजवादी पार्टी के दाउ त्रिलोचन सिंह, राम राज्य परिषद के लाल दशरथ सिंह, शेड्यूल कास्ट फेडरेशन के रंदुल, कम्युनिस्ट पार्टी के चंदूलाल और निर्दलीय उमेश सिंह उम्मीदवार थे। चुनाव में त्रिलोचन सिंह की जीत हुई थी और निकटतम प्रतिद्वंदी मोहनलाल बाकलीवाल सहित अन्य सभी हार गए थे। इस चुनाव के बाद मोहनलाल बाकलीवाल ने त्रिलोचन सिंह के विरुद्ध चुनाव में अनियमितता का आरोप लगाते हुए चुनाव याचिका दायर किया था। बाकलीवाल ने आरोप लगाया था कि त्रिलोचन सिंह ने मतदाताओं को मतदान बूथ तक लाने ले जाने के लिए गांव-गांव में वाहन की व्यवस्था की थी। इस तरह से उसने मतदाताओं को प्रभावित करने के लिए चुनाव आचार संहिता के नियमों का उल्लंघन किया था। उन्होंने अपनी याचिका में त्रिलोचन सिंह के निर्वाचन को अवैध घोषित करने एवं स्वयं को निर्वाचित घोषित करने की मांग की थी। इस याचिका की सुनवाई लंबे समय तक चली। बाकलीवाल यह सिद्ध नहीं कर पाए कि चुनाव में आचार संहिता का उल्लंघन किया था। फलत: याचिका खारिज हो गई। संभवत: दुर्ग जिले के लिए यह पहली चुनाव याचिका थी।
विधान सभा 1952 के पंचवर्षीय में ही मोहनलाल बाकलीवाल की किस्मत चमकी। हुआ यह कि दुर्ग विधानसभा के विधायक घनश्याम सिंह गुप्त जब निर्वाचित होकर मध्य प्रदेश विधानसभा पहुंचे तब वे चाहते थे कि वे पुन: स्पीकर बनें किन्तु उन्हें स्पीकर नहीं बनाया गया। इससे नाराज होकर उन्होंनें इस्तीफा दे दिया। तब दुर्ग के में मध्यावधि चुनाव हुआ। जिसमें मोहनलाल बाकलीवाल कांग्रेस की टिकट से जीते। उसके बाद तो मोहन लाल बाकलीवाल लोकसभा चुनाव 1997 में दुर्ग के सांसद निर्वाचित हुए।
-संजीव तिवारीइस आलेख के आधार पर दुर्ग पत्रिका नें विधान सभा चुनाव के समय समाचार प्रकाशित किया था। क्रियेटिव कामन्न्स के तहत इसे यहां प्रकाशित कर रहा हूं क्योंकि इस सामाग्री को एकत्रित करने के लिए मैने मानसिक श्रम किया है।
इन्हें भी देखें ..
दुर्ग के सांसद किरोलीकर, बाकलीवाल और तामस्कर
भारतीय संविधान के निर्माण में छत्तीसगढि़या सिपाही : धनश्याम सिंह गुप्त
भारतीय संविधान के निर्माण में छत्तीसगढि़या सिपाही : धनश्याम सिंह गुप्त
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
आपकी टिप्पणियों का स्वागत है. (टिप्पणियों के प्रकाशित होने में कुछ समय लग सकता है.) -संजीव तिवारी, दुर्ग (छ.ग.)