ख्यात वनस्पति व कृषि विज्ञानी डॉ. पंकज अवधिया नें इस आधार को सामने लाने का बीडा उठाया है। पंकज भाई प्रत्येक सोमवार को आरंभ पर अतिथि पोस्ट लिखेंगें । जिसमे हर बार एक मान्यता का वैज्ञानिक विश्लेषण किया जायेगा ।
हम आभारी हैं पंकज जी के जो नियमित रूप से नेट पर अंग्रेजी में विभिन्न शोध क्रियाकलापों में एवं हिन्दी में मेरी कविता, किसानों के लिए, हमारा पारंपरिक चिकित्सा ज्ञान, मेरी प्रतिक्रिया एवं मधुमेह पर वैज्ञानिक रपट जैसे सफल ब्लाग लेखन के साथ ही श्री ज्ञानदत्त पाण्डेय जी के ब्लाग पर अतिथि पोस्ट भी लिख रहे हैं, पंकज जी देश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में भी लेख लिखने का निरंतर कार्य कर रहे हैं । देश विदेश से आये कृषकों एवं वैज्ञानिकों को समय देने के अतिरिक्त इन्हें इन्हीं कार्यों से निरंतर भ्रमण भी करते रहना पडता है फिर भी उन्होंनें हमारे ब्लाग पर नियमित लिखने का जो आर्शिवाद दिया है उससे हम अभिभूत हैं ।
इंतजार करिये सोमवार से दर्द हिन्दुस्तानी - पंकज अवधिया जी का आलेख हमारे विश्वास, आस्थाए और परम्पराए : कितने वैज्ञानिक कितने अन्ध-विश्वास ? सीरिज का पहला लेख कल 31 दिसम्बर को ।
संजीव
यह तो हम सबके लिये आरंभ का नववर्ष का तोहफा है. आपको व पंकज जी को धन्यवाद.
जवाब देंहटाएंवाकई यह तो नए साल का उपहार हो गया!!
जवाब देंहटाएंबधाई व शुक्रिया!