राजा वीरेन्द्र का पूरा परिवार जिसमें से अब कोई जीवित नहीं है |
शाहवंश में पृथ्वी नारायण शाह ने 1769 में नेपाल की सभी छोटी-छोटी रियायतों को जीतकर आधुनिक नेपाल की स्थापना की। एकीकृत नेपाली सेना ने 1816 में अमर सिंह थापा के नेतृव में अंग्रेजों के विरूद्ध बड़ी वीरता से लड़ाई लड़ी पर संसाधनों की कमी के कारण उसे सहायक संधि स्वीकारनी पड़ी। लेकिन नेपालियों ने भारतीय रियासतों के विपरीत अपनी स्वतंत्रता कायम रखी, यद्यपि उन्होंने वर्तमान हिमांचल, उत्तराखण्ड व पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग क्षेत्र तथा सिक्किम के चोग्याल के ऊपर नियंत्रण छोड़कर इसकी बड़ी कीमत चुकायी। कभी सतलज से राप्ती नदी तक फैले नेपाली सम्राज्य को अंग्रेजों ने महाकाली से मेच्छी नदियों के बीच समेट दिया।
हत्यारा राजकुमार दीपेन्द्र |
दीपेन्द्र, ग्वालियर राज घराने की उषाराजे सिंधिया की पुत्री देवयानी से शादी करना चाहते थे जिस पर उनकी मां को आपत्ति थी। दरअसल रानी ऐश्वर्य व देवयानी दोनों ही राणा परिवार से आती हैं पर मामला यह था कि 1940 के दशक में चन्द्रशमशेर राणा व युद्धशमशेर राणा के बीच सत्ता के नियंत्रण को लेकर काफी खून खराबा हुआ, जिसमें राणा प्रमुख रणोदीप की हत्या उनके ही भतीजे खड्गशमशेर ने कर दी। इन्हीं खड्गशमशेर की पौत्री ग्वालियर राजघराने की राजमाता विजयाराजे सिंधिया थीं, देवयानी जिनकी पौत्री थी, जबकि रानी ऐश्वर्य रणोदीप के वंश से संबंधित हैं। इन दोनों परिवारों में
अब भी नहीं पटती। यही रानी की आपत्ति का प्रमुख कारण था।
राजा ज्ञानेन्द्र ताजपोशी के समय |
भारत और नेपाल के बीच धार्मिक सांस्कृतिक संबंध काफी दृढ़ है। हिन्दुओं के कई तीर्थ स्थल नेपाल में हैं, जिसमें काठमाण्डू का प्रसिद्ध पशुपतिनाथ मंदिर प्रमुख है, जहां के पुजारी केरल से होते हैं। हिन्दू होने के कारण नेपालियों की भी भारत के तीर्थ स्थलों में गहरी आस्था है और इस तरह भारत व नेपाल के आपसी संबंधों को निर्धारित करने में धर्म की भी महत्वपूर्ण भूमिका रही है। शायद इसीलिए दोनों के बीच 1700 कि.मी. लंबी सीमा रेखा खुली हुई है और कलकत्ता बंदरगाह से समान लाने-ले जाने के लिए नेपाल को विशेष सुविधाएँ प्राप्त हुई। यह नेपालियों की वीरता व विश्वासभाजन होने का परिणाम है कि नेपाली बड़ी संख्या में भारतीय सेना में भी हैं। हालांकि दोनों देशों के बीच विवाद के भी कई विषय है जिसमें आतंकवाद व जाली नोट की तस्करी प्रमुख है। भारत व नेपाल के बीच सीमाएं खुली होने के कारण नेपाल-भारत विरोधी तत्वों के लिए उपयुक्त स्थल बनता जा रहा है। कंधार विमान अपहरण कांड इसका उदाहरण है इसके अतिरिक्त कालेपानी का विवादित भू-भाग व महाकाली, गंडक व सप्तकोशी नदियों के जल का बंटवारा भी दोनों देशों के अच्छे संबंधों में आड़े आता है।
राजा ज्ञानेन्द्र के विरूद्ध जनक्रांति के बाद माओवादी सत्ता में आये, प्रसिद्ध माओवादी नेता और प्रधानमंत्री पुष्पकमल दहल ऊर्फ प्रचंड ने पूर्व माओवादी लड़ाकों को नेपाली सेना में लेना चाहा जिसका नेपाली सेनाध्यक्ष और राष्ट्रपति ने जमकर विरोध किया। इस कारण उन्हें प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा, सत्ता की जिम्मेदारी से मुक्त नेपाली माओवादी नेता व लड़ाके अब ''पशुपति से तिरूपति तक'' के अपने एजेंडे पर काम करते हुए भारत में माओवादी आन्दोलन का समर्थन कर रहे हैं जो आने वाले समय में भारत के लिए बड़ा सिरदर्द साबित होगा।
इस बीच नेपाल में घटना-चक्र तेजी से घूम रहा है। वहां अनौपचारिक तौर पर गणतंत्र की स्थापना हो चुकी है और नेपाल भी धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र बन चुका है किन्तु औपचारिक तौर पर अभी नये संविधान का निर्माण नहीं हो पाया है। वहां पहाड़ी और मधेशी, हिन्दूवादी व माओवादी तथा अन्य गुटों में सत्ता के
लिए खींचतान चल रही है, जिसमें एक पक्ष नेपाली सेना भी है जो राजशाही की समर्थक तो है पर ज्ञानेन्द्र या उसके बेटे पारस को गद्दी पर बैठाना नहीं चाहते। एक अन्धे प्रेमी ने पूरे देश को द्वन्द्व की गहरी खाई में ढकेल दिया लेकिन उम्मीद की जा सकती है कि सख्तजान नेपाली इस बार भी अपनी
क्षमता प्रमाणित करते हुए देश को पुनः विकास की राह पर वापस ले आयेंगे।
विवेक राज सिंह
इस ब्लॉग में विवेक राज सिंह जी के पूर्व आलेख -
अन्तरिक्ष में मानव के पचास साल
अफगानिस्तान - दिलेर लोगों की खूबसूरत जमीन
काश्मीर- जलते स्वर्ग की कथा
प्राकृतिक संसाधनों से संपन्न नेपाल के भरोसेमंद लोग अपनी जीवटता से इतिहास का स्वर्णिम पृष्ठ रचने में सक्षम हैं.
जवाब देंहटाएंनेपाल पर सुन्दर समीक्षा।
जवाब देंहटाएंसुंदर जानकारी ,आभार ।
जवाब देंहटाएंnice information about Nepal kingdom
जवाब देंहटाएंsundar
जवाब देंहटाएंsunadr
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