
‘जरुर..’ फिर उन्होंने अपने घर आने का नक्शा बताया। तब उनसे साढ़े तीन घण्टों तक बातचीत का लम्बा सिलसिला चला था जिसे जारी रखने के लिए कॉफी के दौर चलते रहे।
पहला पड़ाव
और छत्तीसगढ़ः

छत्तीसगढ़ के
सौंदर्य का
चित्रणः
‘पहला पड़ाव’ की नायिका जसोदा है जो छत्तीसगढ़ से गई है, उसके आकर्षक व्यक्तित्व के कारण उपन्यास के अन्य पात्र उसे ‘मेमसाहब’ कहते हैं। इस नायिका की सुन्दरता का चित्रण श्रीलाल शुक्ल ने बड़े सौन्दर्य बोध के साथ किया है इस तरह ‘‘मेमसाहब का दिल ही मुलायम नहीं था उनमें और भी बहुत कुछ था। उनकी ऑंखें बड़ी बड़ी और बेझिझक थीं, भौंहें बिलकुल वैसी, जैसी फैशनेबुल लड़कियॉं बड़ी मेहनत से बाल प्लक करके और पेंसिल की मदद लेकर तैयार करती थीं। रंग गोरा, गाल देखने में चिकने -
छूने
में
न
जाने
और
कितने
चिकने
होंगे,
कद
औसत
से
उंचा,
पीठ
तनी
हुई,
और
दॉंत
जो
मुझे
ख़ास
तौर
से
अच्छे
लगते,
उजले
और
सुडौल।
उनके
बाल
कुछ
भूरे
थे।
मेमसाहब
की
उपाधि
उन्हें
अच्छी
बातचीत
के
हाकिमाना
अंदाज
से
नहीं,
गोरे
चेहरे
और
इन
लंबे-घने-भूरे बालों के कारण मिली थी।’
अमरकांत और
छत्तीसगढ़ः

मैंने
उन्हें
बताया
कि
‘छत्तीसगढ़
के
सभी
दैनिक
हिन्दी
अखबारों
में
छत्तीसगढ़ी
व्यंग्य
के
स्तंभ
छपते
हैं।’
यह
सुनकर
वे
प्रसन्न
हुए।
मैंने
उन्हें
पूछा
कि
‘क्या
उत्तर
प्रदेश
के
हिन्दी
अखबारों
में
अवधी,
ब्रज
या
किसी
भी
स्थानीय
बोली
में
व्यंग्य
का
कोई
स्तंभ
छपता
है?’
उन्होंने
हल्की
मुस्कान
के
साथ
कहा
कि
‘अरे
नहीं!
यहॉं तो
ऐसा
नहीं
है।
इस
मामले
में
आपके
यहॉं स्थिति
अच्छी
है।’
अमरकांतजी
एक
संपादक
होने
के
नाते
लेखकों
को
प्यार
से
समझाते
थे
उन्हें
लेखन
के
गुर
सिखाते
थे।
श्रीलाल
शुक्ल
और
अमरकांत
अपने
इन
दोनों
मुलाकातिया
लेखकों
को
संयुक्त
रुप
से
ज्ञानपीठ पुरस्कार
प्राप्त
होने
पर
बड़ी
खुशी
हुई।
खुशी
इसलिए
और
भी
ज्यादा
हुई
कि
इस
पुरस्कार
की
घोषणा
की
खबर
विगत
20 सितंबर
को
छपी
जो
मेरा
जन्म
दिन
है।
अपने
जन्म
दिन
का
इससे
बड़ा
उपहार
और
क्या
हो
सकता
है
कि
अपने
प्रिय
लेखकों
को
इस
दिन
साहित्य
का
सर्वोच्च
सम्मान
मिला
है।
विनोद साव
मुक्तनगर, दुर्ग
छत्तीसगढ़ 491001
मो.
9407984014
20 सितंबर 1955 को दुर्ग में जन्मे विनोद साव समाजशास्त्र विषय में एम.ए.हैं। वे भिलाई इस्पात संयंत्र में प्रबंधक हैं। मूलत: व्यंग्य लिखने वाले विनोद साव अब उपन्यास, कहानियां और यात्रा वृतांत लिखकर भी चर्चा में हैं। उनकी रचनाएं हंस, पहल, ज्ञानोदय, अक्षरपर्व, वागर्थ और समकालीन भारतीय साहित्य में भी छप रही हैं। उनके दो उपन्यास, चार व्यंग्य संग्रह और संस्मरणों के संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं। कहानी संग्रह प्रकाशनाधीन है। उन्हें कई पुरस्कार मिल चुके हैं। वे उपन्यास के लिए डॉ. नामवरसिंह और व्यंग्य के लिए श्रीलाल शुक्ल से भी पुरस्कृत हुए हैं। आरंभ में विनोद जी के आलेखों की सूची यहॉं है।
wish you a happy birth day shaw ji .
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