क्षेत्रीय भाषा छत्तीसगढ़ी पर हो रहे बेढ़ंगे प्रयोग से मेरा मन बार बार उद्वेलित हो जाता है, लोग दलीलें देते हैं कि क्या हुआ कम से कम भाषा का प्रयोग बढ़ रहा है धीरे धीरे लोगों की भाषा सुधर जाएगी किन्तु क्यूं मन मानता ही नहीं, हिन्दी में अंग्रेजी शब्दों नें अतिक्रमण कर लिया है किन्तु उन शब्दों के प्रयोग से भाषा यद्धपि खिचड़ी हुई है पर उसके अभिव्यक्ति पर कोई भी प्रभाव नहीं पड़ा है। किन्तु छत्तीसगढ़ी के शब्दों को बिना जाने समझे कहीं का कहीं घुसेड़ने से प्रथमत: पठनीयता प्रभावित होती है तदनंतर उसका अर्थ भी विचित्र हो जाता है। वाणिज्यिक आवश्यकताओं नें धनपतियों व बहुराष्ट्रीय कम्पनियों को क्षेत्रीय भाषा के प्रति आकर्षित किया है वहीं गैर छत्तीसगढ़ी भाषा-भाषी क्षेत्रीय भाषा के प्रयोग से प्रदेश के प्रति अपना थोथा प्रेम प्रदर्शित करने की कोशिस कर रहे हैं। मेरा आरंभ से मानना रहा है कि यदि आपको छत्तीसगढ़ी नहीं आती है तो इसे सीखने का प्रयास करें किन्तु बिना छत्तीसगढ़ी सीखे छत्तीसगढ़ी शब्दों का गलत प्रयोग ना करें। पिछले दिनों प्रदेश के प्रसिद्ध कथाकार सतीश जायसवाल जी नें अमृता प्रीतम की कहानियों में छत्तीसगढ़ व ढत्तीसगढ़ी शब्दों के प्रयोग के संबंध में लिखा है जिसे पुरातत्ववेत्ता व संस्कृति कर्मी राहुल सिंह जी नें भी प्रवाह दिया है। जिसमें उन्होंनें लिखा है कि अमृता प्रीतम जी नें छत्तीसगढ़ी शब्दों का सटीक प्रयोग किया है किन्तु वर्तमान में देखने में आ रहा है कि लोग कुछ भी कहीं भी छत्तीसगढ़ी भाषा का प्रयोग कर रहे हैं एवं हमारी भाषा का न केवल अपमान कर रहे हैं बल्कि हमारा भी अपमान कर हे हैं इसके लिये सभी छत्तीसगढिया भाषा-भाषी लोगों को विरोध में स्वर उठाना चाहिए। मैंनें इसके पूर्व छत्तीसगढ़ की विदूषी कथाकारा जया जादवानी की एक कहानी में छत्तीसगढ़ी भाषा के गलत प्रयोग के संबंध में 'भाषा के लोकतंत्र की रक्षा का दायित्व हर भाषा-भाषी के ऊपर है' लिखा था जो क्षेत्रीय समाचार पत्रों के संपादकीय पृष्टों में प्रकाशित भी हुआ था।
कुछ दिन पहले आइडिया मोबाईल नें अभिषेक बच्चन के चित्रों के साथ बड़े बड़े होर्डिंग में छत्तीसगढ़ी भाषा में विज्ञापन प्रदर्शित किया था उसी की देखा देखी वोडाफोन नें अब छोटी छोटी तख्ती अपने फुटकर रिचार्ज वाले पीसीओ, दुकानों व पान ठेलों में लगाया है जिसमें अंग्रेजी के वोडाफोन मोनों के साथ छत्तीसगढ़ी में लिखा है ‘एती मिलत हावे.’ छत्तीसगढ़ी भाषी एक नजर में इसे नकार देगा। इधर मिलता है, किधर मिलता है भाई, ये कहो जहां तख्ती लगा है वहां मिलता है यद्धपि कम्पनी इसका मतलब ‘यहां मिलता है’ से लगा रही है। सही भाषा में इसे ‘इहॉं मिलथे’ ‘इहॉं मिलत हावय’ होना चाहिए। ‘एती’ शब्द का शाब्दिक अर्थ ‘इधर’ होता है, प्रयोग में यहॉं के लिए ‘एती’ शब्द की जगह ‘इंहॉं’ ज्यादा प्रचलित है एवं ग्राह्य है। छत्तीसगढ़ी हिन्दी शब्दकोश में डॉ.पालेश्वर शर्मा जी ‘एती (विशेषण)’ का ‘एतेक’ के संदर्भ में अर्थ बतलाते हैं ‘इतना’ व ‘एती (क्रिया विशेषण)’ का मतलब बतलाते है ‘इस ओर’ यानी ‘एती’ किसी निश्चित स्थान को इंगित नहीं करता। इसी प्रकार छत्तीसगढ़ी शब्दकोश में चंद्रकुमार चंद्राकर जी ‘एती (विशेषण)’ का मतलब ‘इधर’ लिखते हैं जो निश्चिचताबोधक नहीं है। अभी बुधवार 16 फरवरी के भास्कर के मधुरिमा परिशिष्ठ में छत्तीसगढ़ी की सुप्रसिद्ध भरथरी (लोकगाथा) गायिका एवं भास्कर वूमन ऑफ द ईयर सुरूज बाई खाण्डे के संबंध में आशीष भावनानी ने बहुत सुन्दर जानकारी प्रकाशित की है किन्तु लेखक नें यहां भी वही गलती की है, उन्होनें अति उत्साह में ‘यही है’ के स्थान पर छत्तीसगढ़ी भाषा में लिखा ‘ए ही हवै’ सुरूजबाई. जो अटपटा सा लग रहा है। मेरे अनुसार से यहां ‘इही आय’ ही सटीक बैठता है, ‘हवय’ का मतलब यद्धपि ‘है’ से है किन्तु हवय का प्रयोग किसी के पास रखी वस्तु के लिए किया जाता है किसी के परिचय के लिए नहीं। अगली पीढ़ी इसे पढेगी और इसे ही सहीं छत्तीसगढ़ी मानेगी क्योंकि मानकीकरण की बातें अकादमिक रहेंगी व्यवहार में जो भाषा आयेगी उसे ये माध्यम इसी प्रकार बिगाड़ देंगें, क्या हमारी भाषा का ऐसा ही विकास होगा।
संजीव तिवारीकुछ दिन पहले आइडिया मोबाईल नें अभिषेक बच्चन के चित्रों के साथ बड़े बड़े होर्डिंग में छत्तीसगढ़ी भाषा में विज्ञापन प्रदर्शित किया था उसी की देखा देखी वोडाफोन नें अब छोटी छोटी तख्ती अपने फुटकर रिचार्ज वाले पीसीओ, दुकानों व पान ठेलों में लगाया है जिसमें अंग्रेजी के वोडाफोन मोनों के साथ छत्तीसगढ़ी में लिखा है ‘एती मिलत हावे.’ छत्तीसगढ़ी भाषी एक नजर में इसे नकार देगा। इधर मिलता है, किधर मिलता है भाई, ये कहो जहां तख्ती लगा है वहां मिलता है यद्धपि कम्पनी इसका मतलब ‘यहां मिलता है’ से लगा रही है। सही भाषा में इसे ‘इहॉं मिलथे’ ‘इहॉं मिलत हावय’ होना चाहिए। ‘एती’ शब्द का शाब्दिक अर्थ ‘इधर’ होता है, प्रयोग में यहॉं के लिए ‘एती’ शब्द की जगह ‘इंहॉं’ ज्यादा प्रचलित है एवं ग्राह्य है। छत्तीसगढ़ी हिन्दी शब्दकोश में डॉ.पालेश्वर शर्मा जी ‘एती (विशेषण)’ का ‘एतेक’ के संदर्भ में अर्थ बतलाते हैं ‘इतना’ व ‘एती (क्रिया विशेषण)’ का मतलब बतलाते है ‘इस ओर’ यानी ‘एती’ किसी निश्चित स्थान को इंगित नहीं करता। इसी प्रकार छत्तीसगढ़ी शब्दकोश में चंद्रकुमार चंद्राकर जी ‘एती (विशेषण)’ का मतलब ‘इधर’ लिखते हैं जो निश्चिचताबोधक नहीं है। अभी बुधवार 16 फरवरी के भास्कर के मधुरिमा परिशिष्ठ में छत्तीसगढ़ी की सुप्रसिद्ध भरथरी (लोकगाथा) गायिका एवं भास्कर वूमन ऑफ द ईयर सुरूज बाई खाण्डे के संबंध में आशीष भावनानी ने बहुत सुन्दर जानकारी प्रकाशित की है किन्तु लेखक नें यहां भी वही गलती की है, उन्होनें अति उत्साह में ‘यही है’ के स्थान पर छत्तीसगढ़ी भाषा में लिखा ‘ए ही हवै’ सुरूजबाई. जो अटपटा सा लग रहा है। मेरे अनुसार से यहां ‘इही आय’ ही सटीक बैठता है, ‘हवय’ का मतलब यद्धपि ‘है’ से है किन्तु हवय का प्रयोग किसी के पास रखी वस्तु के लिए किया जाता है किसी के परिचय के लिए नहीं। अगली पीढ़ी इसे पढेगी और इसे ही सहीं छत्तीसगढ़ी मानेगी क्योंकि मानकीकरण की बातें अकादमिक रहेंगी व्यवहार में जो भाषा आयेगी उसे ये माध्यम इसी प्रकार बिगाड़ देंगें, क्या हमारी भाषा का ऐसा ही विकास होगा।
अगली पीढ़ी इसे पढेगी और इसे ही सही छत्तीसगढ़ी मानेगी क्योंकि मानकीकरण की बातें अकादमिक रहेंगी व्यवहार में जो भाषा आयेगी उसे ये माध्यम इसी प्रकार बिगाड़ देंगें
जवाब देंहटाएंसही है, ऐसा हर जगह हो रहा
जबतक एकर विरोध नइ करबोन अइसने होवत रही,
जवाब देंहटाएंअइसने चलत रही त तो डर हाबय अवइय 200 साल में छत्तीसगढ़ी के कोनों बोलइया मिलही भी...
स्थानीय भाषाओं के माध्यम से मार्केटिंग चल रही है।
जवाब देंहटाएंसही है, ऐसा हर जगह हो रहा|
जवाब देंहटाएंसार्थक चिन्ता. 'गाड़ा-गाड़ा बधाई' जैसे प्रयोग के लिए अभी भी मेरे कान अभ्यस्त नहीं हो पाए हैं और यह मुझे अटपटा लगता है. वैसे छत्तीसगढ़ी लिखने का अभ्यास और चलन दोनों कम होना इसका प्रमुख कारण मानता हूं मैं. बोलने में भी अक्सर माइकधारी छत्तीसगढ़ी विद्वान 'अपन डउकी-लइका से' हिंदी ही बोलते हैं, तब विनोद कुमार शुक्ल जी की पंक्ति याद आती है 'वह छत्तीसगढ़ी में झूठ बोल रहा है'
जवाब देंहटाएंसंभवतः व्यवसायगत उत्साह अतिरेक और असावधान सी नासमझी के कारण ऐसा हुआ होगा ! परन्तु आपकी चिंता जायज़ है भाषा के साथ गैरजिम्मेदाराना बर्ताव अपेक्षित नहीं है ! मेरा विरोध भी दर्ज किया जाए !
जवाब देंहटाएंस्थानिय चैनल के छत्तीसगढी समाचार अउ छत्तीसगढी फिलिम बनईया मन ल घला चेते जाना जाही
जवाब देंहटाएंआपके बिचार अउ चिन्ता म मोरो सहमति हे
बहुत सुंदर ध्यानाकर्षण करे हस संजीव भाई। हमर इहां जनैया घलो एखर आदर नई कर सकै त दूसर ला का कहन। बने बिचार रखे हस!!!!!!! पर आजकल उखड़े उखड़े काबर हस महराज? गोठ बात नही
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर ध्यानाकर्षण करे हस संजीव भाई। हमर इहां जनैया घलो एखर आदर नई कर सकै त दूसर ला का कहन। बने बिचार रखे हस!!!!!!! पर आजकल उखड़े उखड़े काबर हस महराज? गोठ बात नही
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