इनकी रचनाओं का प्रकाशन अखण्ड ज्योति, साप्ताहिक हिन्दुस्तान, धर्मयुग, ब्लिट्ज, नागपुर टाइम्स (अंग्रेजी दैनिक) आदि से लेकर स्थानीय पत्र-पत्रिकाओं तथा प्रसारण दूरदर्शन के अतिरिक्त, आकाशवाणी के नागपुर, रायपुर, भोपाल, इंदौर, रीवां, छतरपुर तथ इलाहाबाद केन्द्रों से हुआ है । आप प्रधानत: हिन्दी तथ छत्तीसगढी तथा गौणत: अंगेजी व संस्कृत में लिखते हैं ।
इन्होंने दैनिक भास्कर एवं नव-भारत दैनिक में तीन वर्ष तक लोक दर्शन नामक ललित निबन्धों का स्तम्भ नियमित रूप से लिखा ।
प्रकाशित पुस्तकों में छत्तीसगढ के लोक गीत (विवेचनात्मक, सन् 1962), हर मौसम में छन्द लिखूंगा (हिन्दी गीत संग्रह सन् 1993), लव-कुश (खण्ड काव्य सन् 2001), लोक-दर्शन (सनातन, इस्लाम, जैन, बौद्ध, मसीही, सिख आदि दर्शन व पर्वो पर निबंध संग्रह, सन् 2003) तपत करू भई तपत कुरू (छत्तीसगी कविता संग्रह, 2006) तथा गीत-अगीत (हिन्दी काव्य संग्रह, सन् 2007) है ।
देश के अनेक काव्य संग्रहों के अतिरिक्त, रविशंकर विश्वविद्यालयों के एम.ए. (हिन्दी) के लोक साहित्य विषय हेतु पूर्व निर्धारित छत्तीसगढी काव्य संकलन तथा वर्तमान में निर्धारित छत्तीसगढी भाषा और साहित्य किताबों में भी शर्मा जी की कविताएं संग्रहित हैं ।
श्री दानेश्वर शर्मा की चर्चा शिकागो विश्वविद्यालय द्वारा प्रकाशित रिवोलुशनिज्म इन छत्तीसगढी पोएट्री में भी हुई है । श्री शर्मा विश्व प्रसिद्ध संस्था फोर्ड फाउन्डेशन द्वारा भारत में विकास हेतु सरकारी एवं गैर-सरकारी संगठनों के साथ 50 वर्षीय साझेदारी पर प्रकाशित 11 पुस्तकों के संपादकीय सलाहकार हैं ।
आप छत्तीसगढ के एक मात्र ऐसे कवि हैं, जिनके गीतों के ग्रामोफोन रिकाडर्स व कैसेट देश की सर्वाधिक प्रसिद्ध कंपनियों यथा हिज मास्टर्स वायस (कलकत्ता) म्यूजिक इंडिया पोलीडोर (मुंबई), सरगम रिकार्डस (बनारस) तथा वीनस रिकार्डस (मुंबई) ने बनाए हैं ।
फीचर फिल्म मोर धरती मईया में भी इनका गीत है ।
भिलाई इस्पात संयंत्र द्वारा प्रतिवर्ष आयोजित छत्तीसगढ लोक कला महोत्सव के संस्थापक-संयोजक श्री दानेश्वर शर्मा ने पंथी नर्तक देवदास, पंडवानी गायिका पदमभूषण तीजन बाई, रितु वर्माा आदि अनेक कलाकारों को अन्तर्राष्ट्रीय ,क्षितिज पर पहुचाने तथा राष्ट्रीय सम्मान उपलब्ध कराने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है ।
पिछले कुछ वर्षो से श्री दानेश्वर शर्मा की ख्याति श्रीमद भागवत महापुराण और देवी पुराण के अच्छे प्रवचनकार के में में भी हुई है । सन् 2006 में इन्हें राष्ट्रपति के द्वारा साहित्य सम्मान प्राप्त हुआ तथ सन् 2007 में अमेरिका के न्यूयार्क में आयोजित आठवें विश्व हिन्दी सम्मेलन में भागीदारी का अवसर ।
इनका पता है – एम. 582, पदमनाभपुर, दुर्ग (छ.ग.), 491001 फोन नं. 0788-2324867
दानेश्वर शर्मा जी पर ये पोस्ट देख कर बहुत खुशी हुयी. मैंने उनकी लव कुश नामक पुस्तक पढी है. मुझे मेरे अग्रज डा आदित्य शुक्ला नें मुझे भेंट करी थी. आदित्य जी भी दानेश्वर जी के शिष्यों में से एक हैं तथा उनसे दानेश्वर जी के अनेक संस्मरण सुनने का अवसर प्राप्त होता रहा है. इस बात का अफ़सोस है की विश्व हिन्दी सम्मेलन के दौरान उनके दर्शन का मौका हाथ से छूट गया, गीरीश पंकज जी नें कहा भी था की चलो.. पर जब तक उनसे मिलने पहुंचे वे जा चुके थे.. खैर.. आपकी पोस्ट पढ़ कर अच्छा लगा.. धन्यवाद..
जवाब देंहटाएंआपकी पोस्ट पढ़कर अच्छा लगा....... धन्यवाद..
जवाब देंहटाएंसन्जीव जी ,बहूत श्रमसाध्य कार्य किया है आपने , इनकी तबत कुरु भई तबत कुरु कहा मिल सकेगी बताने का कष्ट करे !!
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
सन्जीव जी ,बहूत श्रमसाध्य कार्य किया है आपने , इनकी तबत कुरु भई तबत कुरु कहा मिल सकेगी बताने का कष्ट करे !!
जवाब देंहटाएंधन्यवाद