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अब मीर अली मीर के 'नंदा जाही का रे' का जमाना है उनकी इस जायज चिंता के साथ ही लोक गायक और कवि छत्तीसगढ़ के आज को लिख रहे हैं। लोक गायक भी समय को गीतों में पिरो कर बाजार में परोस रहे हैं। समाज का बाजार है या बाजार का समाज कुछ समझ में नहीं आ रहा है। अभी बाजार से गुजरते हुए सरलग दो छत्तीसगढ़ी गीत सुनकर आगे बढ़ा हूं, झका-झक अंदाज में आधुनिकता बोध। गीत के शब्दों और भावों को पकड़ने का उदीम कर रहा हूं, एक गीत में टूरा कह रहा है टूरी से कि मैं तुम्हें फोन करूंगा एयरटेल नोकिया मोबाईल से। नोकिया को बाजार से गए जादा दिन नहीं हुए है यानी समय वर्तमान ही है। टूरा यह भी कह रहा है कि मन भर के मजा करेंगें पलंग या खटिये में, हीरो होंडा म बैठ के नंदन वन जाने को तैयार हैं फिर रात के बीत जाने तक मजा उड़ाने का वादा भी है। और भी बहुत कुछ खुल कर है उस गीत में, सबके लिए टूरी की स्वीकारोक्ति है वह दुहरा रही है। दूसरे गीत में फुल्ल आधुनिकता बोध यानी सुन्दरानी इफेक्ट है मुखड़े में ही टूरा टूरी से कह रहा है तेरी गोरी बदन को चूम-चूम के चांटूंगा। टूरी भी मस्तियाते हुए कह रही है मेरी गोरी बदन को चूम-चूम के चांट लेना रे। ये पतनशील गीत अगले पचास साल बाद सर्च और डाउनलोड किए जायेंगें नंदाये लोक गीतों की तरह। बहरहाल.. मैं आगे बढ़ गया हूं मुझे नारी अस्मिता की कुछ किताबें खरीदनी है।
- संजीव तिवारी
फ़ॉन्ट तो अलग और अच्छा दिख रहा है परंतु यह स्पीड रीडिंग में व्यवधान पैदा कर रहा है. कोई आसान दिखने वाला फ़ॉन्ट लगाएँ.
जवाब देंहटाएंजन - जन के विचार हर कहूँ भी देश अउ प्रदेश के स्तर ल बताथे ग । मनखे के सोच - विचार हर वोला छोटे अउ बडे बनाथे, सञ्जीव !
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