अब तक 4 सौ करोड़ का मामला सामने आया, 14 सौ 6 मामले निरस्त करने की कार्रवाई शुरू
कलेक्टर की पहल पर सामने आया भूमि घोटाला
सामाजिक कार्यकर्ता राजेश त्रिपाठी पूरे मामले का खुलासा करते हुए बताते हैं कि जिस प्रकार जमीनों की खरीदी बिक्री हुई हैं उनमें बड़े पैमाने पर फर्जी रजिस्ट्रियां की गई है जिनमें अधिकारी से लेकर दलाल शामिल है। उनकी मानें तो अगर इसकी जांच हो जाए तो यह घोटाला कई अरब रूपये का होगा। बड़े पैमाने पर जमीनों की खरीदी बिक्री के फर्जी मामले सामने आने के बाद रायगढ़ जिला प्रशासन ने कड़े तेवर अपना लिए हैं। वहीं इस मामले को लेकर कई सामाजिक कार्यकर्ता राजेश त्रिपाठी सीधे-सीधे प्रशासन को ही दोषी ठहरा रहें हैं। उनकी मानें तो जब इतनी बड़ी मात्रा में जमीनों की खरीदी बिक्री हो रही थी तब प्रशासन हरकत में क्यों नहीं आया। एक के बाद एक जमीनों के खरीदी बिक्री संबंधी फर्जीवाड़ा सामने आने के बाद जहां खरीददारों में हड़कंप मचा हुआ है, वहीं इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले दलाल भी भूमिगत होने लगे हैं।
कैसे आया मामला सामने
प्रदेश में इस तरह का बड़ा घोटाला पहले कभी सामने नहीं आया है और इस प्रकार की जमीनों की खरीदी बिक्री में फर्जीवाड़े की छोटी सी शिकायत मिलने के बाद जिला कलेक्टर मुकेश बंसल ने जांच के आदेश दिए। तब परत दर परत मामला खुलता चला गया और देखते ही देखते पुसौर ब्लाक के ग्राम लारा, झिर्रीटार,देवलसुर्रा, आडमुड़ा, बोडाझरिया, कांदागढ़, छपोरा, महलोई, एवं रियापाली के रिकार्ड खंगालने के बाद लगभग पांच हजार से अधिक ऐसी रजिस्ट्रियां सामने आर्इं जो एक ही दिन में बड़े पैमाने पर कराई गई थीं। जमीन खरीदने वाले लोग दिल्ली, उत्तरप्रदेश, बिहार, झारखण्ड सहित मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के दूसरे जिलों के रहने वाले थे और गवाह भी ऐसे जो सैकड़ों की संख्या में हस्ताक्षर करते ही चले गए थे। आनंद शर्मा तथा नटवर अग्रवाल नाम के गवाहों ने तो शतक का आंकड़ा भी पार कर दिया था। कलेक्टर मुकेश बंसल की मानें तो देश के सबसे बड़े पावर प्लांट के लगने से पहले बड़े पैमाने पर जमीनों की खरीदी बिक्री का रिकार्ड बनाने वाले दलालों ने इस मामले में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
एनटीपीसी बिजलीघर के लिए जमीनों की अवैध खरीदी बिक्री अपने ग्राहकों को जमीन दिलाकर उनके बदले में एनटीपीसी की तरफ से मुआवजा दिलाने का लालच देकर एक के बाद एक हजारों रजिस्ट्री कराने वाले दलाल अभी भी जिला कलेक्टरेट के आसपास सक्रिय हैं। ‘छत्तीसगढ़’ ने ऐसे ही एक जमीन दलाल से जब बात की तो जमीन दलाल ने उल्टे ही इस मामले में किसी भी प्रकार के फर्जीवाड़े से न केवल इंकार कर दिया बल्कि अपने आप को पाक साफ बताते हुए यहां तक कहा कि जमीनों की खरीदी बिक्री में बड़े पैमाने पर अधिकारियों के रिश्तेदार शामिल हैं, और इतना ही नहीं धारा 4 के प्रकाशन के बाद इस पर रोक लगनी थी लेकिन ऐसा हुआ नहीं। और अब जांच के बाद जमीनों के छोटे-छोटे टुकडे की रजिस्ट्री को गलत बताना यह बताता है कि अपनी गलतियों पर पर्दा डालने के लिये यह काम कर रहा है। जमीन दलाल ने यहां तक कहा कि मुआवजा बंटने से पहले कलेक्टर को पहले रोक लगानी थी लेकिन जब बड़े पैमाने पर मुआवजा बंट गया, तब इस प्रकार जांच करते हुए रोक लगाना समझ से परे है। हमने जिस दलाल से बात की वह अकेले जमीनों की खरीदी बिक्री में बतौर ग्राहक 148 रजिस्ट्रियों में बतौर गवाह अपने हस्ताक्षर किए हैं।
बातचीत में जमीन दलाल ने ऐसे कई बातें बताईं जो इस बात के संकेत थे कि जमीनों की रजिस्ट्री के समय रजिस्ट्री अधिकारी के अलावा संबंधित गांव के पटवारी तथा अन्य कई वरिष्ठ अधिकारी की सहमति थी, और उनकी मिलीभगत से एक ही दिन में 5 सौ से अधिक रजिस्ट्रियां बड़े आराम से छोटे-छोटे टुकड़ों की होती चली गईं। जब उनसे यह पूछा कि एक साथ जमीन की रजिस्ट्री में 148 मामलों में बतौर गवाह हस्ताक्षर करने पर क्या कानून का उल्लंघन नहीं है? तब जमीन दलाल का सधा हुआ उत्तर था कि उसने ही यह हस्ताक्षर किए हैं, उसका कोई प्रमाण जिला प्रशासन के पास नहीं है। उसके बाद कोई भी फंसाने के उद्देश्य से हस्ताक्षर कर सकता है। जमीन दलाल ने एक और खुलासा करते हुए बताया कि जिला कलेक्टर की रोक के बाद भी मुआवजा का वितरण किया गया है, और जांच के बीच में ही जिन अधिकारियों ने एनटीपीसी पावर प्लांट स्थल पर जमीन खरीदी थी। उनके पैसे बकायदा एसडीएम ने बुला-बुलाकर बांट दिए हैं और कुछ लोगों का रोका है। बांटे गए पैसे में मोटी रकम थी और वह पूर्व कलेक्टर कटारिया के समय बांटे गए, और कई जमीनों के बंटवारे के मामले में अधिकारियों की मिलीभगत है।
दलाल से बातचीत में इसका खुलाशा हुआ कि किस तरह ग्राम लारा व आसपास के गांव में खरीदी गई जमीनों में अधिकारियों की कितनी बड़ी संलिप्तता है और उनकी जानकारी में पहले से थी। इसीलिए जमीन की रजिस्ट्री करवाने वालों में कई अधिकारी शामिल थे। चार हजार मेगावाट वाले एनटीपीसी के प्रस्तावित पावर प्लांट स्थल के आसपास वाले ग्राम लारा सहित ग्राम झिर्रीटार और अन्य कई गांव का दौरा ‘छत्तीसगढ़’ टीम ने किया। जब ग्रामीणों से हमने बात की तो वह भी अपनी सफाई देते नजर आ रहे थे। जमीन घोटाले में पुसौर ब्लाक के कई गांव के सरपंच व उनके रिश्तेदार तथा नेतानुमा ग्रामीण इस पूरे मामले में महत्वपूर्ण भूमिका दलालों के साथ मिलकर निभाते चले गए थ। दो दिन पहले ही छत्तीसगढ़ ने रायगढ़ एसडीएम तीर्थराज अग्रवाल के कार्यालय के सामने ग्राम लारा की महिला सरपंच के पति सत्यानंद और उसके एक साथी पंकज गुप्ता से उनके क्षेत्र की जमीनों की अवैध रजिस्ट्री संबंधी चर्चा की तो दोनों पल्ला झाड़ते नजर आए। जानकार सूत्र बताते हैं कि इनके जैसे और कई पदाधिकारी है जिहोंने पुसौर ब्लाक के ग्राम लारा, झिर्रीटार सहित आसपास के गरीब किसानों को बहला फुसलाकर औने-पौने दामों में उनकी जमीनों को बेचने के लिए उल्लेखनीय भूमिका निभाई थी। और बदले में भूमि दलाल के साथ उनको भी मोटी रकम कमीशन की मिली थी।
क्या कहते हैं कलेक्टर
कलेक्टर मुकेश बंसल के अनुसार जमीनों की खरीदी बिक्री में सबसे बड़ा पहलू यह है कि छोटे-छोटे टुकड़ों में होने वाली रजिस्ट्रियों में एक ही गवाह सैकड़ों रजिस्ट्रियों में हस्ताक्षर करना पाया गया, और जमीन खरीदने वाले वे लोग थे जो दिल्ली, उत्तरप्रदेश, बिहार व अन्य दूसरे प्रांतों के निवासी हैं। उनके नाम से रजिस्ट्री कार्यालय में हस्ताक्षर भी फर्जी होने की आशंका पाई गई है। उन्होंने यह भी बताया कि पूरे मामले में एनटीपीसी के अधिकारियों के द्वारा भी जमीन खरीदने की बात सामने आने के बाद उनके वरिष्ठ अधिकारी को पा लिखकर वह सूची मांगी है जिन्होंने एनटीपीसी के प्रस्तावित पावर प्लांट स्थल पर बड़े पैमाने में जमीनों की खरीदी की है।
कलेक्टर के मुताबिक तो अब तक 5 हजार से भी अधिक रजिस्ट्रियों की जांच करने के बाद 4 सौ करोड़ का घोटाला सामने आ चुका है साथ ही साथ उन्होंने फर्जी हस्ताक्षर व फर्जी गवाह वाले प्रकरण जिला पुलिस अधीक्षक को भेजने के आदेश दिए हैं ताकि ऐसे लोगों के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज करके वसूली की जाए। ऐसा नहीं है कि जमीनों की खरीदी बिक्री में रायगढ़ जिले के बड़े लोग शामिल है बल्कि इस खरीदी बिक्री में ज्यादा से ज्यादा रकम कमाने के लिये एक सोची समझी राजनीति के तहत दिल्ली से लेकर उत्तरप्रदेश और उत्तरप्रदेश से लेकर बिहार व झारखण्ड सहित मध्यप्रदेश के बड़े लोग भी शामिल है। चूंकि जानकार सूत्र बताते हैं कि रजिस्ट्रियों की जांच के बाद यह बात सामने आई है कि दिल्ली सहित अन्य प्रदेशों में रहने वाले जमीन खरीददार रायगढ़ में रहने वाले किसी गवाह को जानते हैं ऐसा लगता नहीं। यह भी जानकारी मिली है कि जो जमीन खरीददार रजिस्ट्री में हस्ताक्षर कर चुका है वह रायगढ़ आया था या नहीं जांच का विषय है।
14 सौ रजिस्ट्र्री होगी निरस्त?
एसडीएम तीर्थराज अग्रवाल ने जांच में अब तक 14 सौ 6 मामले पकड़ भी लिए हैं, और इन सभी फर्जी रजिस्ट्रियों को निरस्त करने की कार्रवाई शुरू कर दी गई है। रायगढ़ एसडीएम तीर्थराज अग्रवाल की मानें तो सभी 14 सौ 6 मामले ग्राम झिर्रीटार के हैं, जहां करीब दो हजार से अधिक रजिस्ट्रियों की जांच की गई थी। पूरी जांच के बाद अभी तक 14 सौ 6 मामले ऐसे सामने आए हैं जिनमें बड़े पैमाने पर गड़बड़ी होनें की जानकारी मिली है। चर्चा के दौरान तीर्थराज अग्रवाल बताते है कि ग्राम झिर्रीटार के बाद देवलसुर्रा, आडमुड़ा, बोडाझरिया, कांदागढ़, छपोरा, महलोई, एवं रियापाली के साथ-साथ ग्राम लारा में भी जमीनों के खरीदी बिक्री संबंधी रिकार्ड की जांच चल रही है और इनमें भी कई फर्जीवाड़ा होनें की जानकारी मिलने पर कार्रवाई की जाएगी।
दैनिक छत्तीसगढ से सभार
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