इस छत्तीसगढ़ी मुहावरे का भावार्थ 'प्रचलन समाप्त होना' है. इस मुहावरे में 'तइहा' एवं 'बइहा' दो शब्द प्रयुक्त हुए हैं जिसे जानने का प्रयास करते हैं.
छत्तीसगढ़ी शब्द 'तइहा' क्रिया विशेषण है इसका अर्थ बहुत पहले का, पुरानी बातें है. 'तइहा' का प्रयोग लिखने में 'तैहा' के रूप में भी होता है, 'तैहा' के संबंध में कहा जाता है कि यह अरबी शब्द 'तै : बीता हुआ' एवं 'हा' जोड़कर तैहा बना है जो बीत चुका के लिए छत्तीसगढ़ी में प्रयुक्त होता है. वाक्य प्रयोगों में 'तैहा के गोठ : पुरानी बातें' जैसे शब्दों का प्रयोग होता है.
छत्तीसगढ़ी शब्द 'बइहा' हिन्दी शब्द बावला से बना है जिसका अर्थ है पागल, मूर्ख. छत्तीसगढ़ी में 'बइहा' का प्रयोग क्रोधित होने के भाव के लिए भी किया जाता है, 'बइहा गे रे : पागल हो गया क्या रे / गुस्सा गया क्या रे. इसी तरह अन्य प्रयोगों में 'बइहा दुकाल : पागल कर देने वाला अकाल', 'बइहा पूरा : अचानक आने वाली बाढ़' आदि. इसी के करीब का छत्तीसगढ़ी शब्द है 'बई' जो सन्निपात होने पर कहा जाता है. मेरी जानकारी में स्नायुतंत्र संबंधी बीमारी लकवा मारने की क्रिया को भी 'बई' या 'बाय' कहा जाता है यथा 'बई मारना'.
ए हाना ल प्रयोग मा लाथन हमू ....मगर एखर बारे म
जवाब देंहटाएंअइसन बात ल नई जानत रेहेन .....लगे रहौ संजीव भाई