ब्लॉ.ललित शर्मा के नये ब्लॉग
एनएच 43 के शेयर इशू होते ही
मेरे मन में दबी छिपी आकांक्षा
फिर हिलोरे मारने लगी...
बहुत दिनों से इच्छा थी कि
एक नया ब्लॉग बनांउ
जिसमें स्वरचित कवितायें पोस्ट करूं.
हिन्दी ब्लॉग जगत के टाप लिस्टों में
कविता ब्लॉगों की चढ़ती लोकप्रियता
मुझे बार-बार कविता लिखने को
प्रेरित करती रही है.
कविता ब्लॉगों के पोस्टों में पोस्टित
कवितायें मुझे मेरे सृजन को ललकारती हैं.
उनमें आये कमेंट मुझे चिढ़ाते हैं
और मेरा मन कहता है कि
तुम क्यों नहीं लिखते कवितायें ...
मेरा शाश्वत कहता है कि
मैं नहीं लिख पाउंगा कवितायें
क्योंकि पद्य गद्य की कसौटी है
जबकि मेरा मन कहता है कि क्यूं नहीं,
जो बात तुम लम्बे चौड़े गद्य में कहते हो
उसे थोड़ा छोटा करके चार-चार शब्दों में
एक के नीचे एक लिखते जाओ,
हो गई कविता.
'हो गई कविता ...'
पब्लिश करो उसे, पाठकों को पसंद आयेंगीं.
यकीं मानों, रविन्द्र नाथ, मुक्तिबोध सब
अब ब्लॉग से ही उदित होंगें
संपूर्ण विश्व की संवेदना ब्लॉग की कविताओं में
समा जावेगी.
ब्लॉग पाठकों के पास समय कम होता है,
ब्लॉग पढ़ने के लिए
वे पढ़ते कम हैं
अपनी उपस्थिति ज्यादा दर्ज करवाते हैं
लम्बे-चौड़े गद्य के बजाए
कविताओं वाले पोस्टों में
एक नजर घुमाते ही
'सुन्दर अभिव्यक्ति' दर्ज हो जाती है ...
तो कादम्बिनी फेम राजेन्द्र अवस्थी के चेले बनो
बंधन मुक्त समाज में
लीव इन रिलेशन वाली
नई कविता लिखो ...
टिप्पणिया पावो
और बड़े कवि बन जावो.
बारंबार मना रहा हूँ मन को
मुझे कवि मत बनाओ,
देखिये कब मानता है
मन और मानस के चलते द्वंद तक
कुछ राहत है
और मेरा एक अजन्मा ब्लाग
आप लोगों के सामने आहत है.
ब्लॉग कवियों से क्षमा सहित - मानसून के आगमन पर - निर्मल हास्य फुहार
संजीव तिवारी
एनएच 43 के शेयर इशू होते ही
मेरे मन में दबी छिपी आकांक्षा
फिर हिलोरे मारने लगी...
बहुत दिनों से इच्छा थी कि
एक नया ब्लॉग बनांउ
जिसमें स्वरचित कवितायें पोस्ट करूं.
हिन्दी ब्लॉग जगत के टाप लिस्टों में
कविता ब्लॉगों की चढ़ती लोकप्रियता
मुझे बार-बार कविता लिखने को
प्रेरित करती रही है.
कविता ब्लॉगों के पोस्टों में पोस्टित
कवितायें मुझे मेरे सृजन को ललकारती हैं.
उनमें आये कमेंट मुझे चिढ़ाते हैं
और मेरा मन कहता है कि
तुम क्यों नहीं लिखते कवितायें ...
मेरा शाश्वत कहता है कि
मैं नहीं लिख पाउंगा कवितायें
क्योंकि पद्य गद्य की कसौटी है
जबकि मेरा मन कहता है कि क्यूं नहीं,
जो बात तुम लम्बे चौड़े गद्य में कहते हो
उसे थोड़ा छोटा करके चार-चार शब्दों में
एक के नीचे एक लिखते जाओ,
हो गई कविता.
'हो गई कविता ...'
पब्लिश करो उसे, पाठकों को पसंद आयेंगीं.
यकीं मानों, रविन्द्र नाथ, मुक्तिबोध सब
अब ब्लॉग से ही उदित होंगें
संपूर्ण विश्व की संवेदना ब्लॉग की कविताओं में
समा जावेगी.
ब्लॉग पाठकों के पास समय कम होता है,
ब्लॉग पढ़ने के लिए
वे पढ़ते कम हैं
अपनी उपस्थिति ज्यादा दर्ज करवाते हैं
लम्बे-चौड़े गद्य के बजाए
कविताओं वाले पोस्टों में
एक नजर घुमाते ही
'सुन्दर अभिव्यक्ति' दर्ज हो जाती है ...
तो कादम्बिनी फेम राजेन्द्र अवस्थी के चेले बनो
बंधन मुक्त समाज में
लीव इन रिलेशन वाली
नई कविता लिखो ...
टिप्पणिया पावो
और बड़े कवि बन जावो.
बारंबार मना रहा हूँ मन को
मुझे कवि मत बनाओ,
देखिये कब मानता है
मन और मानस के चलते द्वंद तक
कुछ राहत है
और मेरा एक अजन्मा ब्लाग
आप लोगों के सामने आहत है.
ब्लॉग कवियों से क्षमा सहित - मानसून के आगमन पर - निर्मल हास्य फुहार
संजीव तिवारी
''दुर्लभ कविता''.
जवाब देंहटाएंअगर क्रम जारी रहा तो कविता पढ़ने की आदत डालनी पड़ेगी.
कालेज के दिनों में तो पहले चाय की शर्त पर तैयार होते थे कविता सुनने को और चाय खतम होते-होते किसी न किसी जरूरी काम के लिए माफी मांग लेनी पड़ती थी.
हा हा ,हा ..मै हमेशा कहती हूँ ज्यादा लंबा लिखा नहीं पढ़ सकती ...ये छोटा लगा ...
जवाब देंहटाएंस्वागत है आपका इस नए ब्लॉग के साथ . कविता तो आपने लिख ही ली .. शुभकामनाएं !!
जवाब देंहटाएं"हो गयी कविता"- हा हा हा
जवाब देंहटाएंकहते कहते कह डाली।
जवाब देंहटाएंकहते कहते कह गए , अंतर्मन की बात
जवाब देंहटाएंमानसून से मिल गयी,नए कवि की सौगात.
तिरछी नजरों से किया ,तिरछा-तिरछा वार
जिसकी सीधी नजरें ही ,हैं जैसे तलवार.
कवि संजीव तिवारी ने ,काट दिया है थान
मार्केट में चल पड़ी , कतरन की दूकान.
कोसा - रेशम खो गए , कतरन का है राज
ज्यों नक्कारखाने में , तूती की आवाज.
अब अगर तारीफ करूँ इस अभिव्यक्ति की तो शरद कोकास जी की निगाहों का ज़वाब देना पड़ेगा मुझे
जवाब देंहटाएंउनसे सामना कर लौटता हूँ
तब तक तारीफ सस्पेंड रखी जाए अगली तारीख दी जाए इसके लिए :-)
वैसे तो मैं छोटी-बड़ी कैसी भी पोस्ट पढ़ लेता हूँ बशर्ते वह मेरी रुचि के अनुकूल हो, लेकिन स्क्रीन पर लम्बी पोस्ट पढ़ना आंखों को थका देता है। कई बार तो मैं किसी अच्छी मगर लम्बी पोस्ट को पढ़ने के लिए अपने ऑफिस से उसका प्रिन्ट आउट निकालकर घर लाकर पढ़ता हूँ। लेकिन यह सच है कि कविता के ब्लॉगों पर अधिक फॉलोअर नजर आते हैं। लेकिन ऐसे सभी ब्लॉगों पर स्तरीय रचनायें हों यह जरूरी नहीं है। कई बार औसत दर्जे की रचनाओं पर वाह-वाह की टिप्पणियां भरी पड़ी रहती हैं जबकि दूसरी ओर कोई अच्छी पोस्ट टिप्पणियों के इन्तजार में रहती है।
जवाब देंहटाएंये लीजिए हमारी तरफ से भी -
जवाब देंहटाएंबढ़िया शानदार कविता लिखी है
क्या भाव हैं
शिल्प का तो कहना ही क्या
नया प्रयोग है
पूरा मौलिक विषय है
... इत्यादि.
आगे से आप सिर्फ और सिर्फ कविताएँ ही लिखा करें. मेरी तरफ से 1 अदद टिप्पणी पक्की समझें :)
'अति'सुन्दर अभिव्यक्ति :)
जवाब देंहटाएंनये ब्लोग के साथ स्वागत है।
जवाब देंहटाएंहा हा!!! ये भी खूब रही....
जवाब देंहटाएंबहुत खूब....::)))
जवाब देंहटाएंक्या बात है, बहुत खूब
जवाब देंहटाएंवार्ता की 401 वीं पोस्ट पर आपका स्वागत है।
जवाब देंहटाएंसुन्दर अभिव्यक्ति!
जवाब देंहटाएंआपकी कविताओं का इंतजार है.
जवाब देंहटाएंकृष्ण धर शर्मा
रायपुर, छ. ग.
वाह जी ...आपका भी स्वागत है इस कवितायों की दुनिया में
जवाब देंहटाएंहोगे हे बालकनी खाली ...
जवाब देंहटाएंकुछु टिपियाये नई सकौ
लेकिन मन के बिचार
प्रकट होगे हे एकदम झकास ....