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ऐसे में सरकारी नौकरी के लिए लाखो रूपयों के घूस की व्यवस्था करना और रोजगार की निश्चिंतता वाले क्षेत्र डाक्टर या इंजीनियर बनाने के लिए पैसे खर्च करना अभिभावकों का 'दायित्व' होता है। इस 'दायित्व' को अभिभवक कर्ज की तरह आवश्यक मानकर निभाते हैं, अपने कमजोर बच्चों को मैनेजमेंट कोटे से इंजीनियरिंग/मेडिकल कालेजों में भर्ती करवाते हैं और लाखों खर्च करते हैं। पीएमटी का वर्तमान कांड भी अभिभावकों के इसी मोह का परिणाम है। एक आम आदमी अपनी पूरी उम्र बारह लाख रूपये कमाने के लिए होम कर देता है और पीएमटी के एक पेपर के लिए लोग बारह लाख नगद यूं ही दे रहे थे। ऐसे एक दो नहीं सैकड़ों लोग है जो भावी पीढ़ी को भ्रष्टाचार रूपी गंदी नाली का रसास्वादन पहली ही सीढ़ी से करवा रहे थे। ऐसे बच्चे आगे चलकर क्या अन्ना हजारे का साथ दे पायेंगें। इस पीएमटी कांड के लिए मूलत: अभिभावकों का मोह ही जिम्मेदार हैं ऐसा भास्कर नें अपने त्वरित टिप्पणी में भी लिखा है। अभिभावकों के साथ ही सरकार भी इस मामले में कम दोषी नहीं है, पीएमटी परीक्षा पहले भी एक बार रद्द हो चुकी थी उसके बावजूद सरकार नें इसे गंभीरता से नहीं लिया और बच्चों के साथ खिलवाड़ कर दिया।
समाचार पत्रों से ही यह ज्ञात हुआ कि इस परीक्षा की जिम्मेदारी जिस सचिव स्तर के अधिकारी की थी वे व्यापम के अध्यक्ष हैं। सरकार नें इन्हें विशेष अनुरोध के साथ आसाम कैडर से छत्तीसगढ़ बुलाया और महत्वपूर्ण विभाग सौंपे क्योंकि ये एक दबंग भाजपा नेत्री के दामांद थे यानी सरकारी दामांद जी ने एक बार पेपर लीक हो जाने के बावजूद कोई विशेष सतर्कता नहीं बरती बल्कि छुट्टियों में थे। उनके निचले स्तर के अधिकारियों कर्मचारियों के संबंध में इसे पढ़ने के बाद कुछ कहना शेष रह ही नहीं जाता। सरकार इस कांड के बाद भले परीक्षार्थियों को आने-जाने का खर्च व रूकने का खर्च दान कर दे किन्तु उसकी अक्षमता के दाग धुलने वाले नहीं हैं। समाचार पत्रों ने यहां तक लिखा कि तखतपुर में जिस धर्मशाला में फर्जीवाड़ा अंजाम दिया जा रहा था उसे भाजपा के नेता ने बुक कराया था। सरकार को, खासकर मुख्यमंत्री को अपने इस फजीहत पर गंभीरता से सोंचना चाहिए और पार्टी के नाम पर प्रदेश में हो रहे बाहरी घुसपैठ पर ध्यान देना चाहिए। हमारे पास जनसंपर्क विभाग के ऐसे आंकड़े भी उपलब्ध है जिनमें सरकार नें भाजपा शासित प्रदेश या भाजपा के नेताओं के अनुशंसित पत्र-पत्रिकाओं को लाखों रूपये चना-मुर्रा की तरह बांटे हैं और प्रदेश में संवेदनशीलता से प्रकाशित हो रहे पत्र-पत्रिकाओं को ढेला भी नहीं दिया है। इसे बतलाने का आशय यह है कि प्रदेश में भाजपा के नाम ऐसे काम हो रहे हैं जिससे जनता दुखी है। पीएमटी कांड के मास्टर मांइंड व अन्य मुख्य सदस्य पकड़े गए हैं और आगे उनसे पूछताछ होगी, नये खुलाशे होंगें। सरकार को गंभीरता से इस कांड से सीख लेनी चाहिए।
इस कांड के बाद बार बार परीक्षा आयोजित होने से परीक्षार्थियों नें अपने मनोबल व उत्साह में कमी की बात कही है जिससे मैं सहमत नहीं हूं, उनके लिए तो यह और अच्छी बात है। उन्हें बार-बार अभ्यास का मौका मिल रहा है। इस कांड में जो परीक्षार्थी तखतपुर में पकड़े गए हैं उन्हें ताउम्र व्यापम की परीक्षा से वंचित किया जाना चाहिए एवं उनके अभिभावकों को कानूनी दायरे में लाते हुए उन पर भी कड़ी कार्यवाही की जानी चाहिए।
संजीव तिवारी
आप जानते हैं कि इस मसले में मैं क्या क्या कह सकता हूं ! पर कह नहीं सकूंगा !
जवाब देंहटाएंदो बार परीक्षाएं रद्द हुईं आगे एक या अनेक बार फिर से निशुल्क आयोजित करना पड़ेंगी तो फिर एक संस्था बतौर व्यापमं को अब तक हो चुकी और आगे होने वाली आर्थिक क्षति की भरपाई कौन करेगा ?
हजारों ईमानदार छात्र और उनके अभिभावक हलाकान परेशान हुए, उनका समय व्यर्थ हुआ,परीक्षा केन्द्र तक की यात्राओं वगैरह के खर्चों के अलावा उनके मनोबल पर जो नकारात्मक असर हुआ इसकी भरपाई कौन करेगा ?
विश्वसनीय छतीसगढ की छवि पर आये इस दाग को कौन धोने वाला है ?
पकडे गए छात्र अभिभावक और हटाये गए वीर शिरोमणि नौकरशाहों का बाल भी बांका हो पायेगा कभी ?
इस मुद्दे पर अनशन करने आएगा कोई ? :)
यही देश के कर्णधार हैं।
जवाब देंहटाएंऔर अब एक संयोग की चर्चा ...
जवाब देंहटाएंव्यापमं के परीक्षा नियंत्रक त्रिपाठी उर्फ 'त्रिवेदी' की जगह अब चौबे जी उर्फ 'चतुर्वेदी जी' लाये गए हैं :)
कठोर कार्रवाई और विश्वास-अर्जन आवश्यक है.
जवाब देंहटाएंन जाने कितने वर्षों से चल रहे इस प्रकार के रहस्य का पर्दाफाश होने तक कितने प्रतिभावानों को झेलना पडा होगा .. और कितने समाज में झूठ मूठ की प्रतिष्ठा हासिल कर चुके होंगे .. अभी भी यत्र तत्र चल ही रहा है !!
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