
नये गीतकारों के बारे में आपकी राय दें?
सच कहूं तो गीतकार बनने और तुकबंदी करने की ख्वाइश रखने वाले कई मिल जायेंगे। पर गीत लिखना कठिन विधा है। इसमें धुन भी चाहिए, शिल्प, भाव का समावेश रचना में होना चाहिए। नये लोग मेहनत करने से कतराते हैं। एक अच्छा गीतकार वहीं होता है जो अपने संस्कृति की समझ रखता हो। मौलिक रचना को लोग पसंद करते हैं। गीतकार लक्ष्मण मस्तुरिहा से मैं प्रभावित रहा। उनकी सोच से औरों को प्रेरणा लेना चाहिए। पहले जब लोग कविता लिख लेते थे तब मंच खोजते थे। आज का कवि मंच पहले खोजता है बाद में कविता खोजने की बारी आती है। सफलता का सूत्र है गंभीर रचनात्मक लेखन। इसके लिए खूब पढ़ें और लिखने का अभ्यास भी किया जाये।
छालीवुड में आपके हिसाब से सुलझे निर्देशक कौन है?
मैं सतीश जैन को ही सुलझे निर्देशक के रूप में पाता हूं। पर उनके साथ दिक्कत ये है कि वे सारा ध्यान सफलता पर देते हैं। छत्तीसगढ़ की भाषा, संस्कृति के प्रति वे सावधान नहीं है। जबकि मेरे विचार से ऐसा होना चाहिए।
आपने मंच पर कविताएं पढ़ी, व्यंग्य लेखन, फिल्मों के लिए गीत लिखे क्या फिल्म बनाने की इच्छा रखते हैं?
सवाल अच्छा है पर अभी तक किसी ने आफर नहीं दिया। बुध्दि है पर पैसा नहीं। मौका मिले तो जरूर छत्तीसगढ़ी फिल्म बनाऊंगा।
आपने वर्तमान में कौन सी किताबें लिखी है? क्या छत्तीसगढ़ी फिल्मों के लिए गीत लिखे हैं?
छत्तीसगढ़ी फिल्म भांवर के लिए मैंने चार गीत लिखे हैं। क्षमानिधि मिश्रा की ये फिल्म जल्द ही प्रदर्शित होगी। इसके अलावा मयारू भौजी, नयना, झन भूलौ मां बाप ला, लेड़गा नं. 1, गजब दिन भइगे, सीता फिल्म के लिए मैंने गीत तैयार किये हैं। 13 स्क्रिप्ट तैयार है। दस पुस्तकें पाठकों के बीच पहुंचने वाली है। इनमें नमन छत्तीसगढ़, छत्तीसगढ़ी में अमरनाथ मरगे हास्य व्यंग्य संग्रह, गजल संकलन 'भुइंया या अकारू' शामिल है। तथा सूर्य नगर की चांदनी, उत्ता धुर्रा, उबुक चुबुक, उजले गीतों की यात्रा, भीड़ की तन्हाई, सबले बढ़िया छत्तीसगढ़िया जल्द प्रकाशित होगी।
बहुत अच्छा लगा इसे पढना।
जवाब देंहटाएंभेड़ का तो नाम चल गया, अधिकतर यही मानव आचरण होता है.
जवाब देंहटाएंएक अच्छा गीतकार वह होता है जो अपनी संस्कृति की समझ रखता हो.वास्तव में ऐसे ही गीत अमर हुए हैं जिनमें संस्कृति की महक रही है.हिट होना क्षणिक है,अमर होना दीर्घकालिक.छत्तीसगढ़ी में अमर गीतों के गीतकार आज भी उँगलियों पर गिने जा सकते हैं.श्री रामेश्वर वैष्णव को मैंने कई बार कविसम्मेलन के मंच पर सुना है.इनके गीतों में सरलता और सहजता के साथ संस्कृति की झलक, सुनने वालों को भाव विभोर कर देती है.उत्कृष्ट प्रस्तुति के लिए संजीव जी ,बधाई.
जवाब देंहटाएंफिल्में सार्थक हों तभी गुणवत्ता बढ़ेगी। सटीक अवलोकन।
जवाब देंहटाएंआज दिनांक ३० अप्रैल को साहित्य निकेतन कार्यशाला ,नई दिल्ली द्वारा वर्ष के श्रेष्ठ क्षेत्रीय लेखन के लिए "सारस्वत-सम्मान"से नवाजे जाने पर संजीव जी को बधाई.
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रविष्टि !
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