
इस अवसर पर कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे पद्मश्री डॉ. महादेव प्रसाद पाण्डेय ने देश की वर्तमान दुर्व्यवस्था पर गहन चिंता प्रकट करते हुए कहा कि क्या इसी दिन के लिए गांधी जी ने स्वराज का सपना देखा था। क्या इसी दिन के लिए भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद, विद्यार्थी जी जैसे न जाने कितने योद्धाओं ने अपना बलिदान दिया? डॉ. पाण्डेय ने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान अपने जेल में बिताए दिनों की याद करते हुए कहा कि तब सब कुछ छूट जाए किंतु देशप्रेम न छूटे यही जज्बा था। देश के लिए लोग सोचते थे, किंतु आज सभी केवल अपने लिए सोच रहे हैं। यह ठीक नहीं है। मुख्य अतिथि कुलपति सच्चिदानंद जोशी ने कहा कि गणेश शंकर विद्यार्थी के कार्यों से गांधी जी पं. नेहरू से लेकर तमाम महान देशभक्त प्रभावित थे। वे भारतीय पत्रकारिता के आदर्श पुरुष हैं। प्रमुख वक्ता आचार्य डॉ. महेश चंद्र शर्मा ने कहा कि शुचिता के अभाव के चलते सामाजिक ताना-बाना बिगड़ रहा है। उन्होंने गणेश शंकर विद्यार्थी के जीवन प्रसंगों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि तब के मजिस्ट्रेट ज्वाला प्रसाद ने विद्यार्थी जैसे सादा जीवन उच्च विचार के त्यागी पुरुष को सजा देने के बाद पश्चाताप की अग्नि में इस प्रकार जले कि वे नौकरी त्याग कर संत बन गए।
पं. दानेश्वर शर्मा ने अपने विचार काव्य पंक्तियों के माध्यम से किया। इसके पूर्व बख्शी सृजनपीठ के अध्यक्ष बबन प्रसाद मिश्र ने स्वागत भाषण दिया एवं कहा कि भाषीय संस्कृति एवं संपन्नता को संग्रहित करने के लिए चौतरफा हमले हो रहे हैं, इसके लिए हमें सावधान रहना होगा। श्री मिश्र ने कहा कि बख्शी सृजनपीठ की यह कोशिश है कि वह साहित्य, कला, संस्कृति एवं भाषा के क्षेत्र में नित नए प्रयोग कर उसे और संवारने तथा नई सोच निर्मित कर लोगों में राष्ट्रबोध की भावना जागृत करने की पूरी कोशिश कर रहे हैं। कार्यक्रम का संचालन युवा पत्रकार एवं कथाकार शिवनाथ शुक्ल तथा आभार प्रदर्शन बीएसपी हायर सेकंडरी स्कूल की व्याख्याता एवं साहित्यकार श्रीमती सरला शर्मा ने किया।

mxm RSS wale hi kyn the program me?
जवाब देंहटाएं...प्रभावशाली अभिव्यक्ति!!!
जवाब देंहटाएंbahut sundar lekh, yathaarth our prabhaavashaali.
जवाब देंहटाएंअनुकरणीय व्यक्तित्व ।
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