महफूज रेस्तरॉं से निकलते हुए हमने वहां के मैनैजमैंट से पूछा कि इतने अच्छे और मशहूर रेस्तरॉं का नाम किसी साहित्यकार के नाम से कैसे कर दिया गया क्योंकि हमारे देश में तो साहित्यकारों के नाम से सार्वजनिक व सरकारी इमारतें होती है जिसकी पूछ परख साल में दो बार जयंती और पुण्यतिथि पर होती है. इसी बहाने सरकारी विभाग या चंद संजीदा लोग उस इमारत के बहाने उस साहित्यकार को याद कर लेते हैं. कट्टरपंथी स्लामिक राजनैतिक पार्टी मुस्लिम ब्रदरहुड के दमदार विपक्ष के बावजूद अरब में लिखने पढने वाले के नाम से रेस्तरॉं का खुलना अरब के साहित्य के प्रति लगाव की एक अलग छवि प्रस्तुत कर रहा था. प्रबंधन से जानकारी प्राप्त हुई कि यह रेस्तरॉं भारत के ओबेरॉय ग्रुप की है तो और भी खुशी हुई चलो हमारे देश में नोबेल पुरस्कार विजेता रविन्द्र नाथ के नाम पर कोई होटल या रेस्तरॉं हो कि ना हो यहां मिश्र में नोबेल विजेता के नाम पर ओबेरॉय ग्रुप नें कुछ उल्लेखनीय किया तो. साथ चल रहे मित्र नें बतलाया कि काहिरा के मुख्य सडक तलाल हर्ब स्ट्रीट में उसने एक स्थान सूचक पट्टी देखा था जिसमें मैमार अलशाय अल हिन्दी अर्थात हिन्दी टी हाउस लिखा था. यद्धपि वर्तमान में तलाल हर्ब स्ट्रीट में मैमार अलशाय अल हिन्दी जैसी कोई टी हाउस नहीं है. समय के गर्द में यह पट्टिका हमारे देश की याद दिलाते काहिरा के सडकों में टंगी है और इस स्थान पर भारतीय विदेश मंत्रालय का मौलाना आजाद सांस्कृतिक केन्द खोल दिया गया है, इस बात का हमें सूकून है.
कॉफी पीकर बाहर निकलने पर रास्ते के दुकानों में बिक रहे तिल्दा के चांवल नें पुनः ध्यान खींच लिया जो डेढ सौ रूपये किलो में बिक रहा था. छत्तीसगढ के रायपुर जिले का तिल्दा ब्लाक चांवल मिलों के लिए प्रसिद्ध है, हमारे ब्लॉगर साथी नवीन प्रकाश जी इसी नगर के समीप खरोरा से हैं और मैं भी इस नगर के लगभग तेरह किलोमीटर के फासले पर स्थित एक गांव का हूं. बचपन से तिल्दा के सासाहोली मिशन अस्पताल और चांवल मिलों के संबंध में सुनते आया हूं. सासाहोली मिशन अस्पताल के संबंध में तो पुरानी जानकारी पिछले दिनों तिल्दा में ही एक प्रांसीसी नागरिक से बातचीत करने और क्षेत्रीय दस्तावेजों को खंगालने से मिल गया था कि अंग्रेजों नें जब छत्तीसगढ में अपनी जडे जमानी शुरू की थी तो रायपुर से बिलासपुर सडक मार्ग से सिमगा के पास बैतलपुर फिर विश्रामपुर में चर्च की स्थापना कर ब्रिटैन के पादरियों की नियुक्ति की थी. इसके बाद रेल लाईन में रायपुर से बिलासपुर के मध्य तिल्दा में मिशनरी चर्च की स्थापना हुई और प्रदेश का पहला कुष्ट अस्पताल विश्रामपुर में और चर्च बैतलपुर मे अंग्रेजों के द्वारा खोला गया. तिल्दा व बैतलपुर के अस्पताल आज भी संचालित हैं और इन तीनों चर्चों का छत्तीसगढी भाषा, संस्कृति व परंपरा के दस्तावेजीकरण में अहम स्थान रहा है जिसके संबंध में फिर कभी चर्चा करेंगें अभी तो तिल्दा के दूसरे पहलू चांवल पर दिमाग अटका हुआ है. तिल्दा का चावल लगभग इन्ही दिनो से विदेशो मे महकता रहा है. छत्तीसगढ में इस पंचवर्षीय चुनाव में डॉ. रमन सिंह के जीत को जनता नें चांउर वाले बाबा की जीत कहा क्योंकि रमन सिंह नें धान का कटोरा कहे जाने वाले इस प्रदेश में गरीबों को तीन रूपये व एक रूपये किलों में चांवल मुहैया कराया. रमन के इस चमत्कार नें कांग्रेस के सभी रणनीतियों पर पानी फेर दिया और चांउर वाले बाबा नें चांउर का जलवा दिखा दिया. आज काहिरा में डेढ सौ रूपये किलो तिल्दा के चांउर को बिकते देखकर तीन रूपये वाले चांउर बाबा बहुत याद आ रहे थे.
रास्ते में मित्र से जब हमने भारत और मिश्र के रिश्तों की और निशानियों के संबंध में पूछा तो उन्होंने बतलाया कि काहिरा में डॉ.जाकिर हुसैन के नाम से भी एक महत्वपूर्ण स्ट्रीट है. अफ्रो एशियाई एकजुटता सम्मेलन के स्थानीय निवासी और भूगर्भशास्त्री डॉ.फंकरी लबीब नें अरूंधती रॉय के विश्व प्रसिद्ध उपन्यास ‘द गाड आफ स्माल थिंग‘ का अरबी में अनुवाद किया है इसके साथ ही अल आहर विश्वविद्यालय जहां मौलाना आजाद नें अपनी पढाई की है, में हिन्दी की पढाई होती है. इस विश्वविद्यालय के एक प्रोफेसर ए.एम.अहमद नें दिल्ली विश्वविद्यालय से पीएचडी की है और वे धाराप्रवाह हिन्दी बोलते हैं. हम लाख प्रयाशो के बाद भी प्रोफेसर साहब से नहीं मिल पाये. खैर ठीक है हम ना सहीं कोई और भारतीय सैलानी जब काहिरा आये तो इनसे जरूर मिलें.
पिरामिडो, ममियो, अजायबघरों व मिथकों के अतिरिक्त मिश्र के सफर में जीवंत यादों को फिर हम कभी आपसे बांटेंगें जिसमें तमार ए हिन्द, बेलादी खुब्ज का मजेदार स्वाद लेते, काहिरा पर्यटन पुलिस से रूबरू होते, काहिरा मैट्रो की सैर करते हुए उमडते हमारे विचारों से आपको अवगत करायेंगें. इस बीच समय मिलेगा तो कनाडा भी जायेंगें क्योंकि हमारे पिछले पोस्ट पर अदा जी नें हमें कनाडा आमंत्रित किया है. उनके स्नेहिल आमंत्रण के लिए धन्यवाद सहित.
संजीव तिवारी
अब काहिरा मे नही होगा मंहगाई का कहर
जवाब देंहटाएंचांऊर वाले बाबा बसाएंगे वहां एक नया शहर
दिया जाएगा उसे नाम धान का देश 36गढ
छोटे बड़े जुनियर सि्नियर सबका होगा बसर,
काहिरा यात्रा करवाने के लिए धन्यवाद,
अदा जी का निमंत्रण है, अब कनाड़ा चलें तो
कैसा रहेगा?
बढ़िया!
जवाब देंहटाएंलेकिन माजरा क्या है अपने भेजे से उपर निकल गया कि आप वहां गए बिना इतना जीवंत विवरण कैसे लिख रहे हैं, मुझे भी सिखाएं ;)
मज़ा आ गया आपकी आभासी यात्रा से!
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