हिन्दी के लगातार बढते ब्लागों के बावजूद अभी तक यह माना जा रहा था कि हिन्दी ब्लागों से अभी आमदनी कुछ भी नहीं होने वाली है. उल्टा नेट के पैसे और ब्लाग में रमने का समय दोनों बेहिसाब खर्च हो रहे हैं. गूगल एडसेंस के हिन्दी ब्लागों से रूठ जाने के कारण प्राय: सभी हिन्दी ब्लागरों का यह मानना रहा है कि ब्लाग लेखन से आय हिन्दी के बजाए अंग्रेजी ब्लागों के जरिए ही संभव है.
समय समय पर इस संबंध में काफी टिप्पणीपाउ पोस्ट भी लिखे गए और आशा का डोर थामे हुए हिन्दी ब्लागर न केवल जमें रहे बल्कि दो-दो चार-चार दस-दस ब्लाग एक साथ लिखते रहे हैं. हम में से अधिकांश हिन्दी ब्लागर्स ब्लाग लेखन से पैसा कमाने के जुगत में निरंतर लगे हैं किन्तु प्रिट मीडिया में हमारे ब्लाग के कुछ पोस्टों के प्रकाशन से प्राप्त दो-चार सौ रूपयों के अतिरिक्त कोई बडी और नियमित आमदनी नहीं हो पाई है. हम लगातार प्रयासरत रहे कि छत्तीसगढ के राजनैतिक नेताओं के बैनर में नियमित ब्लाग लेखक के रूप में हम अपने हिन्दी ब्लाग लेखन को व्यावसायिक रूप दे पायें किन्तु यह नहीं हो पाया. वहीं एक अनाम ब्लागर बिना आहट प्रोफेशनल ब्लागर की तरह एक सरकारी संस्था का नियमित हिन्दी ब्लाग लिखने का काम पा गया.
रायपुर विकास प्राधिकरण का यह ब्लाग पूर्णत: आधिकारिक शासकीय ब्लाग है. हालांकि लेखक के ब्लागर प्रोफाईल से अभी प्रथम दृष्टया यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि इसके लेखक कौन हैं किन्तु लेखक नें अपने प्रोफाईल में अपने निवास स्थान के लिए जो शव्द प्रयोग किया है उस शव्द का प्रयोग केवल दो ब्लागर प्रोफाईल में हुआ है. इससे परे आप रायपुर विकास प्राधिकरण के ब्लाग का अवलोकन करें, यह ब्लाग किसी सक्षम व अनुभवी ब्लाग लेखक या किसी वेब निर्माण इकाई के द्वारा लिखा जा रहा है जिससे यह प्रतीत होता है कि यह व्यावसायिक तौर से किसी हिन्दी ब्लागर्स से लिखवाया जा रहा है, हो सकता है कि प्राधिकरण के द्वारा इसके लिए नियमित रूप से कोई राशि भी प्रदान किया जा रहा होगा.
यदि ऐसा हो रहा होगा तो यह हम सभी हिन्दी ब्लागरों के लिए अत्यंत शुभ समाचार है क्योंकि केन्द्र सरकार के लगभग सभी मंत्रालय अंग्रेजी में अपने ब्लाग लिख रहे हैं जो भविष्य में हिन्दी में भी लिखे जायेंगें और धीरे-धीरे राज्य सरकारें व अन्य उपक्रम भी हिन्दी में ब्लाग लेखन आरंभ करेंगें ही. हिन्दी ब्लागर्स के सरकारी नौकरी के पद भी विज्ञापित किए जायेंगें, ऐसे में हिन्दी ब्लागरों को कोई ना कोई नियमित ब्लाग लेखन का काम निश्चित ही मिल सकेगा.
मैं तो आज ही से अपना विज्ञापन चिपका रहा हूं, पहले तो चूक गया, अब और नहीं बस और नहीं .....
सजीव आलेख........
जवाब देंहटाएंसंजीव आलेख
__अभिनन्दन !
nice one...kaash esi ek naukri hamen bhi mil jaye ...:)
जवाब देंहटाएंअगर यह सु समाचार सत्य है तो बढिया है ।
जवाब देंहटाएंआपके मुँह में बिना शर्करा वाला घी-शक्कर
जवाब देंहटाएंउम्मीद पे दुनिया कायम है :)
जवाब देंहटाएंवाह ये तो दिलचस्प जानकारी है संजीव भाई और उत्साहवर्धक भी
जवाब देंहटाएंचलो, बढ़िया है. क्या ये विज्ञापन कॉपी मुक्त है कि मुझे नया बनाना पड़ेगा वरना यही चेंप दे. :)
जवाब देंहटाएंएक विज्ञापन मेरा भी लगा लें
जवाब देंहटाएंहम कविता में ब्लॉगिंग करते हैं
ब्लॉगिंग करवा लें जी जमकर
जमाकर रहेंगे ऐसे हैं दिनकर
नोट भी मिलने चाहिए भरकर।
अरे वाह! हम भी रायपुर में रहते हैं और हमें पता ही नहीं कि ऐसा भी है।
जवाब देंहटाएंBest of Luck!
जवाब देंहटाएं"ऊंचे पारिश्रमिक में बेआवाज़ ब्लॉगिंग…", ज़रा स्पष्ट करें कि यह पंक्ति ग्राहक बनाने के लिये है या बिगाड़ने के लिये… :) :)
जवाब देंहटाएंउम्मीद बढ़ाती पोस्ट। शुक्रिया।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी जानकारी दी है संजीव जी आपने। अब ब्लॉगर्स को कोई निठ्ठला तो नही कहेगा कम से कम...:)
जवाब देंहटाएंबहुत बढिया जानकारी, धन्यवाद.
जवाब देंहटाएंबहुत बढिया।
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जल में रह कर भी बेचारा प्यासा सा रह जाता है।
जिसपर हमको है नाज़, उसका जन्मदिवस है आज।
संजीव जी
जवाब देंहटाएंक्या बात है।
बढ़िया लेख!
जवाब देंहटाएंपोस्ट के बीच में लिंक भी अच्छे दिये हैं।
बहुत ही प्रोत्साहित करने वाला लेख।
जवाब देंहटाएंबहुतायात
जवाब देंहटाएंदिलचस्प
जवाब देंहटाएंsir muje bhe tips dijiye kaise mai bhe ek blog bna sakta ho
जवाब देंहटाएंaccha sa my7786832221 whatsapp