विगत सात जुलाई को सृजन गाथा ब्लाग पर रायपुर में दस जुलाई को राष्ट्रीय ब्लॉग संगोष्ठी आयोजित किये जाने का समाचार प्रकाशित हुआ. इसके पूर्व निमंत्रण पत्रों एवं आमंत्रण मेल से प्रमोद वर्मा स्मृति समारोह 2009 की जानकारी प्राप्त हो चुकी थी और इस कार्यक्रम में वक्ताओं को सुनने के लिये हमारी ललक जाग उठी थी. इसी कार्यक्रम के अवसर पर राष्ट्रीय ब्लॉग संगोष्ठी आयोजित किये जाने के समाचार नें हमारे उत्साह को दुगना कर दिया. साथी ब्लागर्स से चर्चा होते रही, इसके संबंध में राजकुमार ग्वालानी जी एवं बाबला जी का पोस्ट आपने पढा ही है.
मेरे एवं साथी ब्लागर्स के लिये यह एक अच्छा सुअवसर था कि देश के नामी गिरामी साहित्यकारों के सममुख ब्लाग की उपादेयता पर बहस सुनने और करने का मौका मिलेगा. इस राष्ट्रीय ब्लागर्स संगोष्ठी के आयोजक जयप्रकाश मानस जी नें संगोष्ठी का विषय 'छपास पीड़ा का इलाज मात्र हैं ब्लॉग?' रखा था. पोस्ट के अनुसार इस संगोष्ठी के मुख्य अतिथि देश के महत्वपूर्ण आलोचक एवं भारतीय ज्ञानपीठ के पूर्व निदेशक डॉ. प्रभाकर तथा विशिष्ट अतिथि वरिष्ठ कवि एवं आलोचक श्री प्रभात त्रिपाठी, रायगढ़ एवं भाषाविद एवं हिन्दी का पताका पहराने वाले ए. अरविंदाक्षन, कालीकट तथा इसकी अध्यक्षता करने वाले थे हमर मयारू ब्लॉगर रविशंकर श्रीवास्तव जी (रविरतलामी).
मैं नियत समय से डेढ घंटे पहले ही पहुच गया क्यूंकि मुझे आने वाले ब्लागरों को पहचानकर उन्हें इकत्रित करना था, साथ ही मोबाईल फोन से ब्लागर्स साथियों से चर्चा भी होती रही. रवि भाई से कार्यक्रम स्थल में जाते ही मुलाकात हो गई. इसके बाद साथियों को बुलाने के लिये जब फोन किया तो रायपुर के कई ब्लागर्स साथी यों नें बतलाया कि इस संबंध में समाचार पत्रों में कोई समाचार नहीं छपा है, प्रमोद वर्मा स्मृति समारोह कार्यक्रम के पल-पल की जानकारी समाचार पत्रों में है किन्तु आगर-ब्लागर के लिये वहां कोई स्थान नहीं है लगता है इसीलिये इस संबंध में कोई समाचार नहीं है. हमने साथियों को मानस जी एवं रवि भाई के ब्लाग में प्रकाशित पोस्ट का हवाला देते हुए कहा कि हमें इन समाचार पत्रों से क्या लेना देना हमारा समाचार ब्लाग में आ गया यानी कार्यक्रम तय है समझो, जल्दी आवो. इसे स्पष्ट करने के लिये समाचार पत्रों के कार्यलय में इस संबंध में जानना चाहा तो सभी नें बतलाया कि छपा-छपाया कार्यक्रम विवरण हमें भेजा गया है वहां ब्लागर्स संगोष्ठी का कोई नामोनिशान नहीं है. तब तक तपेश जैन जी नें मुझे वह स्थान दिखा दिया था जहां राष्ट्रीय ब्लागर्स गोष्ठी होनी थी. कार्यक्रम में पहले से ही शरद कोकाश जी, वरिष्ठ अधिवक्ता एवं साहित्यकार कनक तिवारी जी, डॉ.रामकुमार बेहार जी, पुलिस विभाग के जनसंपर्क अधिकारी, विनोद साव जी, हेमंत वैष्णव जी भी उपस्थित थे.
हमारी संगोष्ठी हुई, फोटेसेशन भी हुआ पर जिस विषय पर गर्मागरम बहस होनी थी उसे भांप कर साहित्यकार ब्लागरों के पास नहीं आये. हां एकाध साहित्यकार नें हमारे कार्यक्रम को झांक कर देखा भी तो किसी दूसरे साहित्यकार नें कह दिया 'अरे यार ब्लागरों की गोष्ठी है' तो पहला रूकने की बजाय वहां से जाना ही उचित समझा. कुल मिलाकर प्रतिवादी को बार बार नोटिस तामील करने के बाद भी हाजिर नहीं होने के बिला पर मामला एकपक्षीय ब्लागरों के पक्ष में सुनाया गया. और सभी ब्लागर्स जीत के उत्साह में रायपुर प्रेस क्लब की ओर कूच कर गये. जहां रवि रतलामी जी, अनिल पुसदकर जी, राजकुमार ग्वालानी जी, बी.एस.पाबला जी, त्र्यंबक शर्मा जी, संजीत त्रिपाठी जी, सचिन अवस्थी जी के साथ ही रायपुर प्रेस क्लब के सदस्यों के बीच उत्साह से ब्लागरी महफिल सजी एवं भविष्य में ब्लागर्स सम्मेलन कराए जाने की योजना पर चर्चा हुई.
जय प्रकाश मानस जी, संजय द्विवेदी जी, बी.एस.पाबला जी, रवि रतलामी जी और अनिल पुसदकर जी
मैं और रवि भईया
फोटो - रूपेश यादव जी से साभार
संजीव तिवारी
िस जानकारी के लिये आभार और बहुत बहुत बधाई
जवाब देंहटाएंविस्तृत जानकारी के लिए धन्यवाद.
जवाब देंहटाएंसंजू भैया एकदम माडलईच बना डाला आपने तो।गज़ब का फ़ोटू लगाया है जी इतना खपसूरत तो मै आज तक़ नही नज़र आया।हा हा हा हा।बढिया रहा ज्ञान के भंडार रवि भैया से मिलना और आप लोगो से भी बहुत दिनो बाद मुलाकात हुई थी।मज़ा आया कुछ पल तो मीठे बीते।मिलेंगे फ़िर एक बार ब्लागर मीट में।
जवाब देंहटाएंdhero badhaayee sahib
जवाब देंहटाएंarsh
सुन्दर! विवरण झकास है। अनिल पुसदकर की ये वाली फ़ोटुयें उनके काम आयेंगी। :)
जवाब देंहटाएंसुन्दर! झकास फ़ोटॊ विवरण! अनिल पुसदकर की फ़ोटो का उपयोग उनको समुचित तरीके से करना चाहिये। :)
जवाब देंहटाएंचलिये संजीव ने कनक तिवारी,विनोद साव जैसे लेखक-ब्लॉगरों के साथ मेरा नाम ले लिया है तो सच्चाई बता ही दूँ. दर-असल यह सम्मेलन प्रमोद वर्मा स्म्रति सम्मान आयोजन् के अंतर्गत होने वाले विविध सत्रों के साथ ही प्रस्तावित था और इसके आयोजक जयप्रकाश मानस ने अवसर की प्रासंगिकता को देखते हुए एक पंथ दो काज की सहज अवधारणा के साथ लेखकों का परिचय ब्लॉगर्स के साथ कराने के उद्देश्य से इसकी संकल्पना की थी.लेकिन मूल कार्यक्रम मे विलम्ब , समयाभाव ,साहित्यकारों की अत्याधिक व्यस्तता तथा बहुत कम संख्या में ब्लॉगरों की उपस्थिति के कारण नियत स्थान पर अपने समस्त उद्देश्यों के साथ यह सम्मेलन सम्पन्न नहीं हो पाया .जयप्रकाश जी मूल रूप से मुख्य कार्यक्रम के आयोजक मन्डल के प्रमुख सदस्य होने के कारण भी अपनी अन्यान्य जिम्मेदारियों की वज़ह से लगातार भागदौड में लगे रहे .अत: उन्हें दोष नहीं दिया जा सकता. अंतत: प्रेस क्लब में बैठकर बातचीत हो सकी लेकिन हम जैसे डबल रोल वाले लोगों का वहाँ जाना सम्भव नहीं हो सका .फिर भी छोटे भाई संजीव तिवारी की तत्परता से श्री रवि रतलामी से मेरी भेंट साम्पन्न हुई और इस क्षणिक मुलाकात में भी कुछ सैद्धांतिक व तकनीकी चर्चा उनसे हो गई.इस खलिश को शीघ्र ही पाबला जी द्वारा एक ब्लॉगर सम्मेलन के आयोजन के माध्यम से दूर किये जाने का स्वप्न आज ही देखा गया है.
जवाब देंहटाएंअनिल भैया की तो एकदम शानदार फोटू लगाए हो भैया, इतनी अच्छी उनकी फोटू तो आजतक हमारे फेवरेट रूपेश ने नहीं ली उनकी।
जवाब देंहटाएंवैसे एंगल देखकर लग रहा है कि हो न हो ये फोटो रूपेश ने ही खींची है क्योंकि जहां अनिल भैया होते हैं वहां रूपेश का कैमरा ऐसा ऐसा एंगल लेता है जैसा अन्य किसी के लिए नहीं लेता ;)
बहरहाल ब्लॉगर्स वाले कार्यक्रम की बात करें तो जैसा कि अनुमान था वैसा ही हुआ। इसलिए अपने प्रोफेशन की व्यस्तता कहें या कि अनुमान को एक कारण बताएं अपन नहीं पहुंच सके। लेकिन आप सभी से फिर एक बार प्रेस क्लब में मिलना और चर्चा करना अच्छा लगा।
सही कहा और यही तरीका है सही सही रिपोर्ट प्रस्तुत करने का. आभार आपका.
जवाब देंहटाएंब्लॉगर संगोष्ठी का सुन्दर विवरण/चि्त्रण पे्श किया… धन्यवाद। हमारा "नेता" कैसा हो, अनिल पुसदकर जैसा हो…
जवाब देंहटाएंTest comment
जवाब देंहटाएंबढ़िया लगा यह पोस्ट पढ़ कर।
जवाब देंहटाएंरायपुर को जबलपुर की हार्दिक बधाइयां
जवाब देंहटाएंसंगोष्ठी संबंधित पोस्ट तो ठीक है लेकिन इसमें कोई शक नहीं कि अनिल जी का एकल फोटो बेहतरीन है। अनूप जी की इस बात से पूर्ण सहमति है कि
जवाब देंहटाएं"अनिल पुसदकर की फ़ोटो का उपयोग उनको समुचित तरीके से करना चाहिये।"