भारतीय - अमरीकी मित्रों का साहित्यिक प्रयास 'अन्यथा' के अंक 14 पर प्रसिद्ध कथाकार एस.आर.हरनोट, छत्तीसगढ के चितेरे कथाकार मित्र कैलाश बनवासी व लोकबाबू के साथ ही मेरी एक कहानी प्रकाशित हुई है, इसे इस लिंक से पढा जा सकता है:-
हमारी छत्तीसगढ़ की पारंपरिक जीवन शैली को जीवंत करती ये कहानी बहुत ही रोचक है ,छत्तीसगढ़ी शब्दों का उपयोग आपके अथाह छत्तीसगढ़ी प्रेम को प्रदर्शित करता है जो ज्ञानवर्धक के साथ-साथ अनुकरणीय है ......
वाह! क्षेत्रीयता को अपने आप में समेटे ,एक बेहद मार्मिक कहानी. क्षेत्रीय बोली में पात्रों के संवाद सजीव हो उठे हैं. बूढे का डर, युवा की इच्छाएं, और गाँव छोड़ने का दर्द उभर कर सामने आया है. बधाई.
बहुत बधाई हो संजीव भाई!
जवाब देंहटाएंबहुत-बहुत बधाई भैय्या जी,
जवाब देंहटाएंहमारी छत्तीसगढ़ की पारंपरिक जीवन शैली को जीवंत करती ये कहानी बहुत ही रोचक है ,छत्तीसगढ़ी शब्दों का उपयोग आपके अथाह छत्तीसगढ़ी प्रेम को प्रदर्शित करता है जो ज्ञानवर्धक के साथ-साथ अनुकरणीय है ......
बहुत-बहुत धन्यवाद...
आपका सुभाष भाई
आप को बहुत बधाई! कहानी पढ़ने पर फिर मिलते हैं।
जवाब देंहटाएंवाह! क्षेत्रीयता को अपने आप में समेटे ,एक बेहद मार्मिक कहानी. क्षेत्रीय बोली में पात्रों के संवाद सजीव हो उठे हैं. बूढे का डर, युवा की इच्छाएं, और गाँव छोड़ने का दर्द उभर कर सामने आया है. बधाई.
जवाब देंहटाएंvandana A dubey