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प्रदर्शनी के उद् घाटन अवसर पर कैलाश बुधवार नें कहा कि उन्हें इस बात पर गर्व हो रहा है कि शंकर्स वीकली के बाद कार्टून पर केन्द्रित पत्रिका का प्रकाशन दिल्ली, मुम्बई तथा तथाकथित बडी जगह से न होकर एक छोटी सी जगह रायपुर से होना गर्व की बात है ।
इस अवसर पर ब्रिटेन के वरिष्ठ कार्ट्रनिस्ट रॉन मैकगेरी, युवा कार्टूनिस्ट शार्ली चैन प्रेस इंफारमेशन व्यूरो की श्रीमति एम सुभासिनी, तेजेन्द्र शर्मा, मनीष तिवारी, आकाश शर्मा, पवन आर्या, एलिशन रिबेलो सहित आप्रवासी भारतीय व ब्रिटेन के गणमान्य नागरिक भारी संख्या में अपस्थित थे । यह प्रदर्शनी 9 मई तक चलेगी । इस संबंध में विस्तृत विवरण कार्ट्रन वॉच के वेब साईट से प्राप्त किया जा सकता है ।
कल मेरे मेल बाक्स में भाई त्र्यंबक के उक्त अवसर के फोटो को पाकर मन अति प्रफुल्लित हुआ साथ में रायपुर से प्रकाशित समाचार पत्रों में इस खबर को पढकर आत्मिक संतुष्टि भी हुई ।
कार्टून वॉच के संपादक व कर्मठ व प्रतिभावान पत्रकार, कार्टूनिस्ट त्र्यंबक शर्मा एवं उनके कार्टूनी सफर के संबंध में भाई संजीत त्रिपाठी और समरेन्द्र शर्मा जी बेहतर जानते हैं, भिलाई में मेरी उनसे दुआ सलाम (हा, हा, हा) थी । भविष्य में इस संबंध में छत्तीसगढ से एक पोस्ट 'हम' लगाने का प्रयास करेंगें ।
खाडी से छत्तीसगढ के प्रेमी भाई दीपक शर्मा की प्रतिबद्धता एवं अपने ब्लाग विप्लव में इसे जीवंत रखने के लिये मैं उनका हृदय से आभारी हूं । दीपक भाई के छत्तीसगढ प्रेम को मेरा नमन ।
संजीव तिवारी
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बधाई और तरक्की हो।
जवाब देंहटाएंbadhaai.......hamesha safaltaa mile
जवाब देंहटाएंकार्टून वाच वाकई अपने आप में एक अलग अनोखी पहल कही जा सकती है।
जवाब देंहटाएंइसके लिए त्र्यंबक शर्मा जी बधाई के पात्र हैं।
कार्टून्स के प्रति उनकी निष्ठा व लगाव इसी बात से झलकते हैं कि देश भर में ऐसी पत्रिका आज अगर कहीं से निकल रही है तो रायपुर से ही निकल रही है।
त्र्यंबक जी से सिर्फ़ एक दो मुलाकातें ही हुई हैं पर उनके कार्टून्स से आज भी "इस्पात टाईम्स" में मुलाकात होते ही रहती है।
शुभकामनाएं
जानकारी के लिये धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंअगर कही भी छ्त्तीसगढ का नाम गर्व से आता है मुझे ना जाने क्यो ऐसा लगता है जैसे कि वह मेरे लिये एक उपलब्धी है !! आज पुनः मन वही आनंद अनुभव कर रहा है ।
जवाब देंहटाएंकहते है प्रेम सबको अच्छा बना देता है ,जब से ब्लाग गिरि मे आया हूँ ,तब से आप का और सन्जीत भाई का स्नेह हमेशा मिलता रहा है ,आप ने स्नेह्वश ही कुछ ज्यादा कह दिया वरना यह खाकसार इतना वजन नही रखता !!्निश्चय यही छ्त्तीस्गढीयो कि रीत है प्रेम दो और दो देते रहो अनँत तक !!
बड़ा अच्छा लगा जानकर, बधाई.
जवाब देंहटाएंशर्मा जी काफी समय से लगे हैं , उनके अथक परिश्रम का ही फल है जो आज उनकी पत्रिका भारत के बाद सफलता के नए आयाम चूमने सरहद पार पहुंच रही है
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