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छत्‍तीसगढ़ की कला, साहित्‍य एवं संस्‍कृति पर संजीव तिवारी एवं अतिथि रचनाकारों के आलेख

लूट का बदला लूट: चंदैनी-गोंदा

  विजय वर्तमान चंदैनी-गोंदा को प्रत्यक्षतः देखने, जानने, समझने और समझा सकने वाले लोग अब गिनती के रह गए हैं। किसी भी विराट कृति में बताने को बहुत कुछ होता है । अब हमीं कुछ लोग हैं जो थोड़ा-बहुत बता सकते हैं । यह लेख उसी ज़िम्मेदारी के तहत उपजा है...... 07 नवम्बर 1971 को बघेरा में चंदैनी-गोंदा का प्रथम प्रदर्शन हुआ। उसके बाद से आजपर्यंत छ. ग. ( तत्कालीन अविभाजित म. प्र. ) के लगभग सभी समादृत विद्वानों, साहित्यकारों, पत्रकारों, समीक्षकों, रंगकर्मियों, समाजसेवियों, स्वप्नदर्शियों, सुधी राजनेताओं आदि-आदि सभी ने चंदैनी-गोंदा के विराट स्वरूप, क्रांतिकारी लक्ष्य, अखण्ड मनभावन लोकरंजन के साथ लोकजागरण और लोकशिक्षण का उद्देश्यपूर्ण मिशन, विस्मयकारी कल्पना और उसका सफल मंचीय प्रयोग आदि-आदि पर बदस्तूर लिखा। किसी ने कम लिखा, किसी ने ज़्यादा लिखा, किसी ने ख़ूब ज़्यादा लिखा, किसी ने बार-बार लिखा। तब के स्वनामधन्य वरिष्ठतम साहित्यकारों से लेकर अब के विनोद साव तक सैकड़ों साहित्यकारों की कलम बेहद संलग्नता के साथ चली है। आज भी लिखा जाना जारी है। कुछ ग़ैर-छत्तीसगढ़ी लेखक जैसे परितोष चक्रवर्ती, डॉ हनुमंत नायडू जैसों

आजादी के दिन का समाचार पत्र : धरोहर

आप सभी को स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाये

छत्तीसगढ के दुर्ग मे आज भी है आजादी के दिन का समाचार पत्र जिसे सम्हाला है सक्सेरिया परिवार ने धरोहर की तरह.
15 अगस्त को स्वराज्य के सूर्योदय से दिल्ली मे रौनक
9 अगस्त को दैनिक विश्वामित्र , मुम्बई से प्रकाशित समाचार पत्र का वह ऐतिहासिक समाचार जो लोगों के मन में उत्‍साह व रोमांच भर रहा था ।
तब सोने की कीमत थी 98.25 रु. प्रति तोला व चान्दी का भाव था 157.25 रु.प्रति किलो . मुम्बई मे तब नीलकमल फिल्म लगी थी ! और भी कई रोचक व एतिहासिक पलो को याद करने को विवश करते इस समाचार पत्र का चित्र हम यहा प्रस्तुत कर रहे है .

हर दौर मे छत्तीसगढ के सपूतो के बलिदान, त्याग और समर्पण से मजबूत हुआ मेरा भारत

आज मै इस पावन बेला पर भाई संजीत त्रिपाठी के स्वर्गीय पिता श्री मोती लाल जी त्रिपाठी, छत्तीसगढ के वरिष्ठ स्वतंत्रता सग्राम सेनानी एवं मेरे श्वसुर जो स्व.त्रिपाठी जी के ग्रुप के कनिष्ठ सदस्य थे, स्व. श्री लक्ष्‍मण प्रसाद जी दुबे स्वतंत्रता सग्राम सेनानी को शत शत नमन करता हू ! उनका सम्पूर्ण जीवन आदर्श रहा उनका सन्देश निदा फाजली के इस शेर मे देखें -

हरेक घर मे दिया भी जले अनाज भी हो,
अगर न हो तो कहीं एसा तो एहतियाज भी हो .
हुकूमतों को बदलना तो कुछ मुहाल नहीं,
हुकूमतें जो बदलता है वो समाज भी हो .

पुन: शुभकामनाये !

टिप्पणियाँ

  1. स्वतंत्रता दीवस हम हमारी और से भी सभी स्वतंत्रता सेनानियों शत-शत नमन।

    और आप को भी स्वतंत्रता दिवस की शुभ-कामनायें...

    सुनीता(शानू)

    जवाब देंहटाएं
  2. स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाये

    जवाब देंहटाएं
  3. tripathi ji jaise anek senani gumnam hai, aapne unke bare me jankari di esliye aapko dhanyawad aur tripathi ji ko mera naman... happy independence day.
    ashwini kesharwani

    जवाब देंहटाएं
  4. रोचक और संग्रहणीय जानकारी। आपको स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाए।

    जवाब देंहटाएं
  5. गज़ब!! क्या चीज ढूंढ कर लाए हो आप!!
    तारीफ़, तारीफ़ और तारीफ़!!


    नमन है स्वर्गीय पिताज़ी और लक्ष्मण बबा सहित उन सभी जाने-अनजाने शहीदों को और उन जाने-अनजाने सेनानियों को भी जिन्होंनें एक सपना देखा आज़ाद भारत का और उसे पूरा कर हमें सौंप भी गए! नमन है उन माताओं को जिन्होनें ऐसे सपूतों को जन्म दिया!!

    स्वतंत्रता दिवस की बधाई व शुभकामनाएं

    जवाब देंहटाएं
  6. हुकूमतें सहजता से बदलती हैं भारत में - यह तो देश की ताकत है ही. और इसी से भविष्य की आशा भी नजर आती है.
    बहुत अच्छी सामग्री मिली. धन्यवाद.

    जवाब देंहटाएं
  7. उस समय का अखबार देख कर बहुत ख़ुशी महसूस हुई।
    स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक बधाई।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. वास्तव मे कितना अदभूद और अद्वितीय रहा होगा वो समय और ये खबर और अखबार दोनों लाजवाब
      इतना पुरना अखबार देख कर बहुत खुशी हुई

      हटाएं
  8. Wishing you a very very Happy Independence Day..

    Bahut hi accha laga yeh akhbaar ko dekhkar.. Aur Bharat ke harr swatantrata senani ko mera salaam..

    Jai Hind..

    Aman..

    जवाब देंहटाएं
  9. हुकूमतों को बदलना तो कुछ मुहाल नहीं,

    हुकूमतें जो बदलता है वो समाज भी हो.

    आजादी ओजादी तो कहीँ दिखती नहीं. बस इसी शेर पर अमल की जरूरत है अब.

    जवाब देंहटाएं
  10. स्वतंत्रता दिवस की विलंबित शुभ-कामनाएँ... :)

    जवाब देंहटाएं

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आपकी टिप्पणियों का स्वागत है. (टिप्पणियों के प्रकाशित होने में कुछ समय लग सकता है.) -संजीव तिवारी, दुर्ग (छ.ग.)

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