हेमंत साहू : असम निवासी छत्तीसगढ़ वंशी चित्रकार सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

छत्‍तीसगढ़ की कला, साहित्‍य एवं संस्‍कृति पर संजीव तिवारी एवं अतिथि रचनाकारों के आलेख

लूट का बदला लूट: चंदैनी-गोंदा

  विजय वर्तमान चंदैनी-गोंदा को प्रत्यक्षतः देखने, जानने, समझने और समझा सकने वाले लोग अब गिनती के रह गए हैं। किसी भी विराट कृति में बताने को बहुत कुछ होता है । अब हमीं कुछ लोग हैं जो थोड़ा-बहुत बता सकते हैं । यह लेख उसी ज़िम्मेदारी के तहत उपजा है...... 07 नवम्बर 1971 को बघेरा में चंदैनी-गोंदा का प्रथम प्रदर्शन हुआ। उसके बाद से आजपर्यंत छ. ग. ( तत्कालीन अविभाजित म. प्र. ) के लगभग सभी समादृत विद्वानों, साहित्यकारों, पत्रकारों, समीक्षकों, रंगकर्मियों, समाजसेवियों, स्वप्नदर्शियों, सुधी राजनेताओं आदि-आदि सभी ने चंदैनी-गोंदा के विराट स्वरूप, क्रांतिकारी लक्ष्य, अखण्ड मनभावन लोकरंजन के साथ लोकजागरण और लोकशिक्षण का उद्देश्यपूर्ण मिशन, विस्मयकारी कल्पना और उसका सफल मंचीय प्रयोग आदि-आदि पर बदस्तूर लिखा। किसी ने कम लिखा, किसी ने ज़्यादा लिखा, किसी ने ख़ूब ज़्यादा लिखा, किसी ने बार-बार लिखा। तब के स्वनामधन्य वरिष्ठतम साहित्यकारों से लेकर अब के विनोद साव तक सैकड़ों साहित्यकारों की कलम बेहद संलग्नता के साथ चली है। आज भी लिखा जाना जारी है। कुछ ग़ैर-छत्तीसगढ़ी लेखक जैसे परितोष चक्रवर्ती, डॉ हनुमंत नायडू जैसों

हेमंत साहू : असम निवासी छत्तीसगढ़ वंशी चित्रकार


हेमंत साहू, असम निवासी छत्तीसगढ़ वंशी ऐसे चित्रकार हैं जो अपनी तूलिका से यथार्थ के विद्रूप, भक्ति और प्रेम आदि की अद्भुत इंद्रधनुषी छटा बिखेरते हैं। ये इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय के फाइन आर्ट के ऐसे विद्यार्थी हैं जिन्होंने विश्वविद्यालय सहित छत्तीसगढ़ और असम का नाम रौशन किया है। इनकी पेंटिंग्स की प्रदर्शनी देश के विभिन्न हिस्सों में लगती है। हम प्रत्यक्ष रूप से इनके बनाये दो-चार पेंटिंस ही देख पाए हैं क्योंकि जब हम असम अध्ययन दौरे में थे तब इनसे ज्यादा समय तक इस विषय पर हमारी बात नही हो पाई। इनके घर मे इनकी बहन जहां सिद्धस्थ गायिका हैं, जो छत्तीसगढ़ी सहित असमी लोकगीत गाती हैं और कुछ असमी फिल्मों में इन्होंने गीत गाया है। वहीं इनके छोटे भाई वाइल्डलाइफ फोटोग्राफर जिन्हें अभी कुछ माह पूर्व ही पी एचडी अवार्ड हुआ है। उपलब्धियों के आंकड़ों के अनुसार प्रदीप कुमार साहू असम निवासी छत्तीसगढ़ वंशियोँ में पहले डॉक्टरेट होल्डर हैं। यद्यपि मेडिकल डॉक्टरों की संख्या लगभग 30-40 होगी। यहां फेसबुक पर हमने हेमंत के कुछ और चित्रों को देखा। अपने अल्प चित्र ज्ञान के साथ ही यह पाया कि, हेमंत अद्भुत उदीयमान चित्रकार हैं। इस क्षेत्र के डॉ. सुनीता वर्मा और अतुल पानसे जी से मेरी दुआ-सलाम है जिनके चित्रों को देखकर मार्डन पेंटिंस को बूझने का उदीम करते रहा हूँ। इस लिहाज से हेमंत के चित्रों से कविता फूटती है और रंगों से मधुर संगीत झरता है। यह आंखों से संगीत को अनुभव करना है।


हेमंत साहू

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