मदराजी महोत्सव: अस्तित्व संकट और संघर्ष (24 सितम्बर दाऊ मदराजी की पुण्य तिथि पर विशेष)

प्रस्तुति - लखनलाल साहू “लहर”

छत्तीसगढ़ी लोक संस्कृति में नाचा का विशिष्ट स्थान है। छत्तीसगढ़ी नाचा-गम्मत को दाऊ दुलार सिंह मदराजी ने नई ऊँचाई दी है तथा छत्तीसगढ़ी लोक संगीत व लोक गीतों को लोक कंठ तक पहुँचानें में स्व. खुमानलाल साव का विशिष्ट योगदान है। छत्तीसगढ़ी नाचा और छत्तीसगढ़ी लोक संगीत के ये दोनों शिखर पुरूष सदैव याद किये जायेंगे। मदराजी दाऊ का जन्म 1 अप्रैल 1911 में जिला मुख्यालय राजनांदगाँव से 7 कि.मी. दूर ग्राम रवेली के मालगुजार परिवार में हुआ था। इनके पिताजी रामाधीन साव एवं माता जी श्रीमती रेवती बाई साव थे। मदराजी दाऊ की प्रारंभिक शिक्षा प्राथ्रमिक शाला कन्हारपुरी में संपन्न हुई। छत्तीसगढ़ी लोक कला के सांस्कृतिक दूत श्री खुमानलाल साव जी का जन्म 05 सितम्बर सन् 1929 को डोंगरगाँव के पास खुर्सीटिकुल गाँव में मालगुजार परिवार में हुआ था। इनके पिता का नाम दाऊ श्री टीकम नाथ साव तथा माता श्रीमती कमला बाई साव थी। मदराजी दाऊ की माता जी रेवती और कमला बाई दोनों सगी बहनें थीं, जो ग्राम जंगलेशर निवासी जमींदार सिद्धनाथ साव की बेटियाँ थी। खुमान साव जी म्यूनिस्पल स्कूल में शिक्षकीय कार्य करते हुए छत्तीसगढ़ी लोक संगीत साधना में लगे रहे। बाद में वे ग्राम ठेकवा में आकर बस गए और 70 की दशक में लगातार चंदैनी गोंदा के माध्यम से छत्तीसगढ़ी लोक संस्कृति और गीतों को सँवारने में लगे रहे ।



छत्तीसगढ़ी नाचा-गम्मत और लोक संस्कृति के प्रति अनुराग रखने के कारण दाऊजी समर्पित भाव से कला जगत से जुड़े रहे और छत्तीसगढ़ी नाचा-गम्मत को जीवन भर साधते रहे। उन्होंने नाचा की खड़े साज को परिष्कृत और आधुनिक स्वरूप प्रदान किया। परिणाम स्वरूप छत्तीसगढ़ी नाचा-गम्मत जन-जन तक पहुँचा। दाऊ मदराजी ने सन् 1927-28 में रवेली नाचा पार्टी का गठन किया और छत्तीसगढ़ के विभिन्न अंचलों में बिखरे हुए कलाकारों को संगठित किया और नाचा के लिए काम करते रहे। छत्तीसगढ़ी नाचा-गम्मत को दर्शकों ने खूब सराहा। गाँव हो या शहर सन् 40 के दशक में नाचा की खूब धूम मची। दाऊजी सिनेमाघरों को भी मात देने में सफल रहे। सही मायने में नाचा, छुआछूत, भ्रष्टाचार, पूँजीवाद, सामाजिक कुरीतियाँ और ब्रिटिश शासन के खिलाफ एक जन आन्दोलन था जिससे लोग प्रभावित होते रहे और जुड़ते रहे।




दाऊजी जी की नाचा पार्टी में फिदा बाई, मदन निषाद, भुलवाराम, गोंविन्द राम निर्मलकर, किस्मत बाई, माला बाई, झुमुक दास, नियायिक दास, खुमान लाल साव, ठाकुर राम, मानदास टण्डन, सुखीराम निषाद, अमर सिंह, खम्भन लाल अरकरे, लालूराम, पंचराम देवदास, जगन्नाथ धोबी, नोहरलाल, आत्माराम कोशा, बिसौहा राम साहू, बिसराम साहू जैसे अनेक गुमनाम कलाकारों ने समर्पित भाव से काम किया।

मदराजी दाऊ जी के पास जीवन के अंतिम समय में हारमोनियम के सिवाय कुछ भी नहीं बचा। उन्हें आर्थिक तंगी और कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। 24 सितम्बर 1984 को अपने गृह ग्राम रवेली में अंतिम साँस ली। राज्य शासन ने नाचा के पितृपुरूष मदराजी दाऊ के निधन के पश्चात् उनकी स्मृति में कलाकारों को मंदराजी पुरूस्कार देने का निर्णय भी लिया है। जिसके अंतर्गत दो लाख रूपये सम्मानित होने वाले कलाकार को दाऊ दुलार सिंह मदराजी सम्मान के रूप में प्रदान किया जाता है। परंतु यह कैसी विडम्बना है, जीते जी मंदराजी दाऊ को और मृत्यु के पश्चात् उनकी स्मृति में आयोजित होनेवाले मंदराजी महोत्सव को भी आर्थिक तंगी से गुजरना पड़ रहा है।




27 वर्षों से लगातार मदराजी महोत्सव का सिलसिला जारी है। महोत्सव की शुरूआत 1993 में हुई। दाऊजी की कला यात्रा और यादों को संजोने, ग्रामीणों ने मदराजी महोत्सव समिति बनाई। आयोजन के प्रथम वर्ष 1 अप्रैल 1993, दिन गुरूवार को सोनहा बिहान के संचालक दाऊ महासिंग चंद्राकर व कलाकारों की उपस्थिति में मदराजी दाऊ की प्रतिमा का अनावरण किया गया जिसे ग्राम थनौद से लाया गया था। महोत्सव की शुरूआत करने में संगीत के पुरोधा स्व. खुमानलाल साव एवं मदराजी के छोटे भाई बलेश्वर साव सहित मदराजी महोत्सव समिति व ग्रामीणों का विशेष योगदान रहा। बिना किसी सरकारी मदद के कई वर्षों तक बलेश्वर साव जी व खुमानलाल साव जी मदराजी महोत्सव आयोजित करते रहे। छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद सरकार ने इस आयोजन के लिए आर्थिक सहायता घोषणा किया था परंतु इस राशि के को प्राप्त करने के लिए आयोजन समिति के पसीने छूट जाते हैं। संस्कृति विभाग और अन्य कार्यालयों के कई चक्कर लगाने पड़ते हैं। मदराजी महोत्सव को आज भी जनसहयोग से ही आयोजित किया जाता है। रवेली सहित आस-पास के ग्रामीण व कला प्रेमी इस आयोजन के लिए यथाशक्ति अपना आर्थिक योगदान देते आ रहे हैं।

छत्तीसगढ़ में होने वाले विभिन्न महोत्सवों की तरह मदराजी महोत्सव की भव्यता विशिष्ट है। मदराजी महोत्सव कलाकारों का कुंभ है जहाँ से छत्तीसगढ़ के छोटे-बड़े कलाकारों को पहचान मिलती रही है, परंतु 9 जून 2019 को संगीत के पुरोधा खुमानलाल साव जी के आकस्मिक निधन से छत्तीसगढ़ी लोक संगीत की दुनिया में सन्नाटा छा गया, कला जगत स्तब्ध है। 10-12 वर्ष की उम्र में मदराजी दाऊ की नाचा पार्टी से हारमोंनियम की रीड में सुरों का जादू बिखेरने वाले और चंदैनी गोंदा के माध्यम से छत्तीसगढ़ी लोक संगीत को नये आयाम देने वाले विराट व्यक्तित्व खुमानलाल साव जी को भारत सरकार ने सन् 2015 में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार प्रदान करने की घोषणा की और 4 अक्टूबर 2016 को तत्कालीन राष्ट्रपति महामहिम प्रणव मुखर्जी ने नई दिल्ली के राष्ट्रपति भवन में खुमान सर जी को संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार प्रदान किया। खुमान सर जी मदराजी महोत्सव के सूत्रधार थे। अब बलेश्वर साव जी बिल्कुल अकेले पड़ गये हैं। प्रति वर्ष कार्यक्रम की रूपरेखा दोनों मिलकर बनाते थे। खुमान सर के निवेदन के कारण छत्तीसगढ़ की कोई भी संस्था या कलाकार सहजता से मदराजी महोत्सव में उपस्थित होकर अपनी कला का प्रदर्शन करते थे। कलाकारों को बड़ी मुश्किल से मार्ग व्यय ही उपलब्ध हो पाता था।



दुर्भाग्य यह की कई बार मदराजी महोत्सव समिति के फरियाद के बावजूद शासन की आँखें नहीं खुली हैं और इस महोत्सव के लिए अपेक्षित सहयोग नहीं मिल रहा है। अगर कभी मिला भी तो ऊँट के मुँह में जीरा। मदराजी महोत्सव समिति ने जनप्रतिनिधियों के समक्ष यहाँ तक भी बात रखी है कि छत्तीसगढ़ में जिस प्रकार अन्य महोत्सवों को प्रशासनिक स्तर पर कराया जाता है ठीक उसी प्रकार मदराजी महोत्सव आयोजन की जिम्मेदारी भी शासन-प्रशासन को ले लेनी चाहिए और अपने संरक्षण में मदराजी महोत्सव का आयोजन करना चाहिए। परन्तु ऐसा आज तक नहीं हुआ जबकि मदराजी महोत्सव में सभी दल के जन प्रतिनिधि बराबर आते हैं। आयोजन की भव्यता किसी से छिपी नही है। बस जो भी जनप्रतिनिधि यहाँ अतिथि बनकर आता है दो-चार चिकनी-चुपड़ी बातें बोलकर और झूठे आश्वासनों का मरहम लगाकर चला जाता है। पता नहीं यह सिलसिला कब तक चलेगा? क्या ऐसे में छत्तीसगढ़ी लोककला, संस्कृति और साहित्य को हम संरक्षित कर पायेंगे?

लखनलाल साहू “लहर”
अध्यक्ष, साकेत साहित्य परिषद् सुरगी
निवास - ग्राम मोखला, पो. भर्रेगाँव,
जिला - राजनांदगाँव (छ.ग.)
मो - 9630312197
ई.मेल - lakhan.sahu12197@gmial.com

1 टिप्पणी:

  1. सुंदर, उपयोगी, सामयिक और जानकारी युक्त आलेख के लिए लेखक और आरंभ को बधाई।

    जवाब देंहटाएं

आपकी टिप्पणियों का स्वागत है. (टिप्पणियों के प्रकाशित होने में कुछ समय लग सकता है.) -संजीव तिवारी, दुर्ग (छ.ग.)

लेबल

संजीव तिवारी की कलम घसीटी समसामयिक लेख अतिथि कलम जीवन परिचय छत्तीसगढ की सांस्कृतिक विरासत - मेरी नजरों में पुस्तकें-पत्रिकायें छत्तीसगढ़ी शब्द Chhattisgarhi Phrase Chhattisgarhi Word विनोद साव कहानी पंकज अवधिया सुनील कुमार आस्‍था परम्‍परा विश्‍वास अंध विश्‍वास गीत-गजल-कविता Bastar Naxal समसामयिक अश्विनी केशरवानी नाचा परदेशीराम वर्मा विवेकराज सिंह अरूण कुमार निगम व्यंग कोदूराम दलित रामहृदय तिवारी अंर्तकथा कुबेर पंडवानी Chandaini Gonda पीसीलाल यादव भारतीय सिनेमा के सौ वर्ष Ramchandra Deshmukh गजानन माधव मुक्तिबोध ग्रीन हण्‍ट छत्‍तीसगढ़ी छत्‍तीसगढ़ी फिल्‍म पीपली लाईव बस्‍तर ब्लाग तकनीक Android Chhattisgarhi Gazal ओंकार दास नत्‍था प्रेम साईमन ब्‍लॉगर मिलन रामेश्वर वैष्णव रायपुर साहित्य महोत्सव सरला शर्मा हबीब तनवीर Binayak Sen Dandi Yatra IPTA Love Latter Raypur Sahitya Mahotsav facebook venkatesh shukla अकलतरा अनुवाद अशोक तिवारी आभासी दुनिया आभासी यात्रा वृत्तांत कतरन कनक तिवारी कैलाश वानखेड़े खुमान लाल साव गुरतुर गोठ गूगल रीडर गोपाल मिश्र घनश्याम सिंह गुप्त चिंतलनार छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग छत्तीसगढ़ वंशी छत्‍तीसगढ़ का इतिहास छत्‍तीसगढ़ी उपन्‍यास जयप्रकाश जस गीत दुर्ग जिला हिन्दी साहित्य समिति धरोहर पं. सुन्‍दर लाल शर्मा प्रतिक्रिया प्रमोद ब्रम्‍हभट्ट फाग बिनायक सेन ब्लॉग मीट मानवाधिकार रंगशिल्‍पी रमाकान्‍त श्रीवास्‍तव राजेश सिंह राममनोहर लोहिया विजय वर्तमान विश्वरंजन वीरेन्‍द्र बहादुर सिंह वेंकटेश शुक्ल श्रीलाल शुक्‍ल संतोष झांझी सुशील भोले हिन्‍दी ब्‍लाग से कमाई Adsense Anup Ranjan Pandey Banjare Barle Bastar Band Bastar Painting CP & Berar Chhattisgarh Food Chhattisgarh Rajbhasha Aayog Chhattisgarhi Chhattisgarhi Film Daud Khan Deo Aanand Dev Baloda Dr. Narayan Bhaskar Khare Dr.Sudhir Pathak Dwarika Prasad Mishra Fida Bai Geet Ghar Dwar Google app Govind Ram Nirmalkar Hindi Input Jaiprakash Jhaduram Devangan Justice Yatindra Singh Khem Vaishnav Kondagaon Lal Kitab Latika Vaishnav Mayank verma Nai Kahani Narendra Dev Verma Pandwani Panthi Punaram Nishad R.V. Russell Rajesh Khanna Rajyageet Ravindra Ginnore Ravishankar Shukla Sabal Singh Chouhan Sarguja Sargujiha Boli Sirpur Teejan Bai Telangana Tijan Bai Vedmati Vidya Bhushan Mishra chhattisgarhi upanyas fb feedburner kapalik romancing with life sanskrit ssie अगरिया अजय तिवारी अधबीच अनिल पुसदकर अनुज शर्मा अमरेन्‍द्र नाथ त्रिपाठी अमिताभ अलबेला खत्री अली सैयद अशोक वाजपेयी अशोक सिंघई असम आईसीएस आशा शुक्‍ला ई—स्टाम्प उडि़या साहित्य उपन्‍यास एडसेंस एड्स एयरसेल कंगला मांझी कचना धुरवा कपिलनाथ कश्यप कबीर कार्टून किस्मत बाई देवार कृतिदेव कैलाश बनवासी कोयल गणेश शंकर विद्यार्थी गम्मत गांधीवाद गिरिजेश राव गिरीश पंकज गिरौदपुरी गुलशेर अहमद खॉं ‘शानी’ गोविन्‍द राम निर्मलकर घर द्वार चंदैनी गोंदा छत्‍तीसगढ़ उच्‍च न्‍यायालय छत्‍तीसगढ़ पर्यटन छत्‍तीसगढ़ राज्‍य अलंकरण छत्‍तीसगढ़ी व्‍यंजन जतिन दास जन संस्‍कृति मंच जय गंगान जयंत साहू जया जादवानी जिंदल स्टील एण्ड पावर लिमिटेड जुन्‍नाडीह जे.के.लक्ष्मी सीमेंट जैत खांब टेंगनाही माता टेम्पलेट डिजाइनर ठेठरी-खुरमी ठोस अपशिष्ट् (प्रबंधन और हथालन) उप-विधियॉं डॉ. अतुल कुमार डॉ. इन्‍द्रजीत सिंह डॉ. ए. एल. श्रीवास्तव डॉ. गोरेलाल चंदेल डॉ. निर्मल साहू डॉ. राजेन्‍द्र मिश्र डॉ. विनय कुमार पाठक डॉ. श्रद्धा चंद्राकर डॉ. संजय दानी डॉ. हंसा शुक्ला डॉ.ऋतु दुबे डॉ.पी.आर. कोसरिया डॉ.राजेन्‍द्र प्रसाद डॉ.संजय अलंग तमंचा रायपुरी दंतेवाडा दलित चेतना दाउद खॉंन दारा सिंह दिनकर दीपक शर्मा देसी दारू धनश्‍याम सिंह गुप्‍त नथमल झँवर नया थियेटर नवीन जिंदल नाम निदा फ़ाज़ली नोकिया 5233 पं. माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकार परिकल्‍पना सम्‍मान पवन दीवान पाबला वर्सेस अनूप पूनम प्रशांत भूषण प्रादेशिक सम्मलेन प्रेम दिवस बलौदा बसदेवा बस्‍तर बैंड बहादुर कलारिन बहुमत सम्मान बिलासा ब्लागरों की चिंतन बैठक भरथरी भिलाई स्टील प्लांट भुनेश्वर कश्यप भूमि अर्जन भेंट-मुलाकात मकबूल फिदा हुसैन मधुबाला महाभारत महावीर अग्रवाल महुदा माटी तिहार माननीय श्री न्यायमूर्ति यतीन्द्र सिंह मीरा बाई मेधा पाटकर मोहम्मद हिदायतउल्ला योगेंद्र ठाकुर रघुवीर अग्रवाल 'पथिक' रवि श्रीवास्तव रश्मि सुन्‍दरानी राजकुमार सोनी राजमाता फुलवादेवी राजीव रंजन राजेश खन्ना राम पटवा रामधारी सिंह 'दिनकर’ राय बहादुर डॉ. हीरालाल रेखादेवी जलक्षत्री रेमिंगटन लक्ष्मण प्रसाद दुबे लाईनेक्स लाला जगदलपुरी लेह लोक साहित्‍य वामपंथ विद्याभूषण मिश्र विनोद डोंगरे वीरेन्द्र कुर्रे वीरेन्‍द्र कुमार सोनी वैरियर एल्विन शबरी शरद कोकाश शरद पुर्णिमा शहरोज़ शिरीष डामरे शिव मंदिर शुभदा मिश्र श्यामलाल चतुर्वेदी श्रद्धा थवाईत संजीत त्रिपाठी संजीव ठाकुर संतोष जैन संदीप पांडे संस्कृत संस्‍कृति संस्‍कृति विभाग सतनाम सतीश कुमार चौहान सत्‍येन्‍द्र समाजरत्न पतिराम साव सम्मान सरला दास साक्षात्‍कार सामूहिक ब्‍लॉग साहित्तिक हलचल सुभाष चंद्र बोस सुमित्रा नंदन पंत सूचक सूचना सृजन गाथा स्टाम्प शुल्क स्वच्छ भारत मिशन हंस हनुमंत नायडू हरिठाकुर हरिभूमि हास-परिहास हिन्‍दी टूल हिमांशु कुमार हिमांशु द्विवेदी हेमंत वैष्‍णव है बातों में दम

छत्‍तीसगढ़ की कला, साहित्‍य एवं संस्‍कृति पर संजीव तिवारी एवं अतिथि रचनाकारों के आलेख

लूट का बदला लूट: चंदैनी-गोंदा

  विजय वर्तमान चंदैनी-गोंदा को प्रत्यक्षतः देखने, जानने, समझने और समझा सकने वाले लोग अब गिनती के रह गए हैं। किसी भी विराट कृति में बताने को ...