यशश्वी गीतकार संत की कृति मउँहा झरे

"26 जनवरी 2014 को राजपथ नई दिल्ली में आयोजित गणतंत्र दिवस के मुख्य समारोह में जब मउँहा झरे रे.. मउँहा झरे रे.. गीत की पंक्तियां गूंजी और इस छत्तीसगढ़ी लोकगीत पर जब असम के कलाकारों ने भाव नृत्य कर वहां उपस्थित हजारों दर्शकों की तालियां बटोरी तो नि:संदेह हर छत्तीसगढ़िया का सीना चौड़ा हो गया। लोगों के मन में जिज्ञासा थी कि इस गीत के रचनाकार कौन हैं?.. और जब लोगों को पता चला कि इस गीत के रचयिता संस्कारधानी राजनांदगांव के श्री हर्ष कुमार बिंदु है तो लोग चौंक उठे।" किताब के शुरुआती पन्नो में 'लोकगीतों का अविराम यात्री..' में इस किताब के सर्जक से हम सब का परिचय कराते हुए मउँहा झरे किताब के प्रेरक भाई वीरेंद्र बहादुर सिंह की कलम से ऐसा लिखा हुआ पढ़ा तो यकबक मुझे भी विश्वास नहीं हुआ। मैं अब तक इस गीत को पारंपरिक लोकगीत समझ रहा था और संग्रह मेरे हाथ मे होने के बावजूद शीर्षक को लोक प्रतीक के रूप में कवि के द्वारा उपयोग किया हुआ मान रहा था। हर्ष हुआ कि, हर्ष कुमार बिंदु जी की किताब मउँहा झरे मेरे हाथ में है। 
इस किताब में अपने परिवेश से पाठकों को परिचित कराते हुए अपने लेखकीय में स्वयं हर्ष कुमार बिंदु ने लिखा कि छत्तीसगढ़ की संस्कारधानी राजनांदगांव कला, साहित्य और संगीत की त्रिवेणी है। वे उसी संस्कारधानी के निवासी हैं और उसी संस्कारधानी से यह किताब प्रकाशित हुई है। वे आगे लिखते हैं कि पारंपरिक देवी जस गीत का संस्कार इन्हें अपने पिता बंशीलाल गढ़वाल से प्राप्त हुआ। छत्तीसगढ़ी जस गीतों के वर्तमान स्वरूप और इसके विकास को भी इसमें इन्होंने चित्रित किया है। साथ ही अपनी रचना एवं संगीत यात्रा को भी इस में रेखांकित किया है। इन्होंने छत्तीसगढ़ी देवी जस गीत के प्रथम रचनाकार खैरागढ़ रियासत के राजा कमल नारायण सिंह को बताया है। 
बिंदु जी ने चंदैनी गोंदा, अनुराग धारा, स्वर धारा जैसे सुप्रसिद्ध कलामंचों के साथ भी काम किया है। इनके द्वारा लिखी गई माता पाताल भैरवी की आरती नित्यप्रति राजनांदगांव के पताल भैरवी मंदिर में गायी जाती है। इनके लिखे गीतों के कई कैसेट भी जारी हो चुके हैं। जिनमें मां पाताल भैरवी महिमा एवं नई माने काली कैसेट प्रमुख हैं। जिसे कविता वासनिक एवं लाली ठाकुर आदि ने स्वर दिया है। जस गीत के साथ ही इन्होंने छत्तीसगढ़ के पारंपरिक लोक गीतों का भी सृजन किया है जिसे ख्यात गायकों ने स्वर दिया स्वर दिया है। 
प्रस्तुत पुस्तक मउँहा झरे बिंदु जी की ऐसे ही रचनाओं का संकलन है। जो यत्र-तत्र बिखरी हुई थी किंतु प्रकाशित नहीं हुई थी। इन्हें संकलित कर प्रकाशित कराने के संबंध में उन्होंने सोचा भी नहीं था। बेहद संकोची एवं अल्पभाषी बिंदु जी ने इसके लिए सही मायनों में कोई प्रयास ही नहीं किया था। व्‍याख्‍याता एवं कलानाट्य धर्मी मुन्‍ना बाबू एवं सवेरा संकेत के वरिष्ठ सह-संपादक और लोक समीक्षक ठाकुर वीरेंद्र बहादुर सिंह की प्रेरणा से यह संकलन तैयार हो पाया। वीरेंद्र भाई और मुन्‍ना बाबू के उदीम से ही बिंदु जी के इन उत्कृष्ट गीतों से हमारा साक्षात्कार हो पाया। वीरेंद्र भाई ने इसी किताब में राजनांदगांव की सांस्कृतिक विरासत का उल्लेख करते हुए लिखा भी कि 'संस्कारधानी के रचना कर्म करने वाली साहित्य एवं संगीत की नई पीढ़ी हमेशा अपना बेहतर ही देने का प्रयास करती है।' ..और उन्होंने इस बेहतर रचना को बेहतरीन ढंग से हमे दिया।
डॉ पीसी लाल यादव ने इस किताब की भूमिका में अनेक उदाहरणों के साथ, इस कृति का समीक्षात्मक विवेचन किया है। डॉ यादव इस कृति की उपयोगिता को बहुत सरल शब्दों में स्पष्ट करते हुए लिखते है कि "मउँहा झरे लोक जीवन के ऐना ये, लोक परंपरा के गुरतुर बैना ये। ये मा जिंदगी के मरम, दया-धरम, करमइता के पोठ करम सबो के सुघरई  समाये हे।" और यह भी "मोला भरपूर विश्वास हे जेन गीत जन-जन के कंठ म बसे हे ओ गीत मन ल पाठक किताब के रूप म पढ़ के अउ आनंदित होही।"
इस संग्रह में 110 गीत संग्रहित हैं, जो लोक छंद में छत्तीसगढ़ी के सांस्कृतिक पहलुओं को उद्घाटित करते हैं। इसमें छत्तीसगढ़ी फिल्म बीए फस्ट ईयर ईयर के गीत- आ जाना तै मोला झन तरसा ना रे, सब झन कहिथें तोला कतको हे तोरे सही,  नइ माने रे मन गोरिया, मोरे मन के सजनी तै, सन सनासन सनन सनन पवन चले, खनके रे कंगना, बेरा पहाति अंगना मा मोरे, छम छम पैजन बाजे, आदि के साथ ही अन्य गीत संग्रहित हैं। जिनमें जस गीतों की संख्‍या ज्‍यादा है। छत्‍तीसगढ़ में जस गीत गायन की परम्‍परा बहुत पुरानी है। जस गीत गीतों में लोक में प्रचलित आराध्य के आख्यानों का संदर्भ होता है जो हमें रोमांचित करता है। इसी रोमांच को पकड़ते हुए बिन्‍दु जी लोक भाषा में लोक के मन की बात कहते हुए प्रेम गीत, करमा, व्यंग गीत, खेल गीत, काया खंडी भजन, सुवा गीत, पंथी गीत,  होली गीत और जस गीत तक अपनी लेखनी को विस्तार देते हैं। जो अभिजात्य के बंधनों को तोड़कर नाचने को विवश करते हैं। शायद इसीलिए इन लोक गीतों के साहित्यिक स्‍थापना पर अपनी टिप्पणी देते हुए वरिष्ठ साहित्यकार डॉ जीवन यदु ने लिखा कि "मेरा मानना है कि बिंदु जी का उद्देश्य साहित्य सृजन ना होकर लोग रंजन का सृजन करना है। लोकरंजन भी बहुमूल्य है इसे हमें बिसराना नहीं चाहिए।" हर्ष कुमार बिंदु ऐसे ही लोकरंजनी रचनाओं के लोकप्रिय रचनाकार हैं। जिनके अनेक गीत ऑडियो कैसेट के माध्यम से लोककंठ में तरंगित हैं। आप सब जानते हैं कि इस किताब के शीर्षक गीत 'मउँहा झरे' को तो व्यापक लोकप्रियता प्राप्त हुई है और यह गीत छत्तीसगढ़ के आंगन से देश विदेश में लोकप्रिय हो गया है। कवि को इससे बड़ा रिवार्ड और क्या चाहिए।

मउँहा झरे का विमोचन डॉ.रमन सिंह के द्वारा पिछले वर्ष किया गया था। इस किताब को बैगा ग्रुप राजनांदगांव नें प्रकाशित करवाया है। किताब का मूल्‍य 150 रू. है। इसकी प्रति के लिए आप श्री हर्ष कुमार बिन्‍दु मो. 9589039768, राजनांदगांव से संपर्क कर सकते हैं।
- संजीव तिवारी
#Mahuaa Jhare Re Mahuaa Jhare, #महुआ झरे रे महुआ झरे

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

आपकी टिप्पणियों का स्वागत है. (टिप्पणियों के प्रकाशित होने में कुछ समय लग सकता है.) -संजीव तिवारी, दुर्ग (छ.ग.)

लेबल

संजीव तिवारी की कलम घसीटी समसामयिक लेख अतिथि कलम जीवन परिचय छत्तीसगढ की सांस्कृतिक विरासत - मेरी नजरों में पुस्तकें-पत्रिकायें छत्तीसगढ़ी शब्द Chhattisgarhi Phrase Chhattisgarhi Word विनोद साव कहानी पंकज अवधिया सुनील कुमार आस्‍था परम्‍परा विश्‍वास अंध विश्‍वास गीत-गजल-कविता Bastar Naxal समसामयिक अश्विनी केशरवानी नाचा परदेशीराम वर्मा विवेकराज सिंह अरूण कुमार निगम व्यंग कोदूराम दलित रामहृदय तिवारी अंर्तकथा कुबेर पंडवानी Chandaini Gonda पीसीलाल यादव भारतीय सिनेमा के सौ वर्ष Ramchandra Deshmukh गजानन माधव मुक्तिबोध ग्रीन हण्‍ट छत्‍तीसगढ़ी छत्‍तीसगढ़ी फिल्‍म पीपली लाईव बस्‍तर ब्लाग तकनीक Android Chhattisgarhi Gazal ओंकार दास नत्‍था प्रेम साईमन ब्‍लॉगर मिलन रामेश्वर वैष्णव रायपुर साहित्य महोत्सव सरला शर्मा हबीब तनवीर Binayak Sen Dandi Yatra IPTA Love Latter Raypur Sahitya Mahotsav facebook venkatesh shukla अकलतरा अनुवाद अशोक तिवारी आभासी दुनिया आभासी यात्रा वृत्तांत कतरन कनक तिवारी कैलाश वानखेड़े खुमान लाल साव गुरतुर गोठ गूगल रीडर गोपाल मिश्र घनश्याम सिंह गुप्त चिंतलनार छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग छत्तीसगढ़ वंशी छत्‍तीसगढ़ का इतिहास छत्‍तीसगढ़ी उपन्‍यास जयप्रकाश जस गीत दुर्ग जिला हिन्दी साहित्य समिति धरोहर पं. सुन्‍दर लाल शर्मा प्रतिक्रिया प्रमोद ब्रम्‍हभट्ट फाग बिनायक सेन ब्लॉग मीट मानवाधिकार रंगशिल्‍पी रमाकान्‍त श्रीवास्‍तव राजेश सिंह राममनोहर लोहिया विजय वर्तमान विश्वरंजन वीरेन्‍द्र बहादुर सिंह वेंकटेश शुक्ल श्रीलाल शुक्‍ल संतोष झांझी सुशील भोले हिन्‍दी ब्‍लाग से कमाई Adsense Anup Ranjan Pandey Banjare Barle Bastar Band Bastar Painting CP & Berar Chhattisgarh Food Chhattisgarh Rajbhasha Aayog Chhattisgarhi Chhattisgarhi Film Daud Khan Deo Aanand Dev Baloda Dr. Narayan Bhaskar Khare Dr.Sudhir Pathak Dwarika Prasad Mishra Fida Bai Geet Ghar Dwar Google app Govind Ram Nirmalkar Hindi Input Jaiprakash Jhaduram Devangan Justice Yatindra Singh Khem Vaishnav Kondagaon Lal Kitab Latika Vaishnav Mayank verma Nai Kahani Narendra Dev Verma Pandwani Panthi Punaram Nishad R.V. Russell Rajesh Khanna Rajyageet Ravindra Ginnore Ravishankar Shukla Sabal Singh Chouhan Sarguja Sargujiha Boli Sirpur Teejan Bai Telangana Tijan Bai Vedmati Vidya Bhushan Mishra chhattisgarhi upanyas fb feedburner kapalik romancing with life sanskrit ssie अगरिया अजय तिवारी अधबीच अनिल पुसदकर अनुज शर्मा अमरेन्‍द्र नाथ त्रिपाठी अमिताभ अलबेला खत्री अली सैयद अशोक वाजपेयी अशोक सिंघई असम आईसीएस आशा शुक्‍ला ई—स्टाम्प उडि़या साहित्य उपन्‍यास एडसेंस एड्स एयरसेल कंगला मांझी कचना धुरवा कपिलनाथ कश्यप कबीर कार्टून किस्मत बाई देवार कृतिदेव कैलाश बनवासी कोयल गणेश शंकर विद्यार्थी गम्मत गांधीवाद गिरिजेश राव गिरीश पंकज गिरौदपुरी गुलशेर अहमद खॉं ‘शानी’ गोविन्‍द राम निर्मलकर घर द्वार चंदैनी गोंदा छत्‍तीसगढ़ उच्‍च न्‍यायालय छत्‍तीसगढ़ पर्यटन छत्‍तीसगढ़ राज्‍य अलंकरण छत्‍तीसगढ़ी व्‍यंजन जतिन दास जन संस्‍कृति मंच जय गंगान जयंत साहू जया जादवानी जिंदल स्टील एण्ड पावर लिमिटेड जुन्‍नाडीह जे.के.लक्ष्मी सीमेंट जैत खांब टेंगनाही माता टेम्पलेट डिजाइनर ठेठरी-खुरमी ठोस अपशिष्ट् (प्रबंधन और हथालन) उप-विधियॉं डॉ. अतुल कुमार डॉ. इन्‍द्रजीत सिंह डॉ. ए. एल. श्रीवास्तव डॉ. गोरेलाल चंदेल डॉ. निर्मल साहू डॉ. राजेन्‍द्र मिश्र डॉ. विनय कुमार पाठक डॉ. श्रद्धा चंद्राकर डॉ. संजय दानी डॉ. हंसा शुक्ला डॉ.ऋतु दुबे डॉ.पी.आर. कोसरिया डॉ.राजेन्‍द्र प्रसाद डॉ.संजय अलंग तमंचा रायपुरी दंतेवाडा दलित चेतना दाउद खॉंन दारा सिंह दिनकर दीपक शर्मा देसी दारू धनश्‍याम सिंह गुप्‍त नथमल झँवर नया थियेटर नवीन जिंदल नाम निदा फ़ाज़ली नोकिया 5233 पं. माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकार परिकल्‍पना सम्‍मान पवन दीवान पाबला वर्सेस अनूप पूनम प्रशांत भूषण प्रादेशिक सम्मलेन प्रेम दिवस बलौदा बसदेवा बस्‍तर बैंड बहादुर कलारिन बहुमत सम्मान बिलासा ब्लागरों की चिंतन बैठक भरथरी भिलाई स्टील प्लांट भुनेश्वर कश्यप भूमि अर्जन भेंट-मुलाकात मकबूल फिदा हुसैन मधुबाला महाभारत महावीर अग्रवाल महुदा माटी तिहार माननीय श्री न्यायमूर्ति यतीन्द्र सिंह मीरा बाई मेधा पाटकर मोहम्मद हिदायतउल्ला योगेंद्र ठाकुर रघुवीर अग्रवाल 'पथिक' रवि श्रीवास्तव रश्मि सुन्‍दरानी राजकुमार सोनी राजमाता फुलवादेवी राजीव रंजन राजेश खन्ना राम पटवा रामधारी सिंह 'दिनकर’ राय बहादुर डॉ. हीरालाल रेखादेवी जलक्षत्री रेमिंगटन लक्ष्मण प्रसाद दुबे लाईनेक्स लाला जगदलपुरी लेह लोक साहित्‍य वामपंथ विद्याभूषण मिश्र विनोद डोंगरे वीरेन्द्र कुर्रे वीरेन्‍द्र कुमार सोनी वैरियर एल्विन शबरी शरद कोकाश शरद पुर्णिमा शहरोज़ शिरीष डामरे शिव मंदिर शुभदा मिश्र श्यामलाल चतुर्वेदी श्रद्धा थवाईत संजीत त्रिपाठी संजीव ठाकुर संतोष जैन संदीप पांडे संस्कृत संस्‍कृति संस्‍कृति विभाग सतनाम सतीश कुमार चौहान सत्‍येन्‍द्र समाजरत्न पतिराम साव सम्मान सरला दास साक्षात्‍कार सामूहिक ब्‍लॉग साहित्तिक हलचल सुभाष चंद्र बोस सुमित्रा नंदन पंत सूचक सूचना सृजन गाथा स्टाम्प शुल्क स्वच्छ भारत मिशन हंस हनुमंत नायडू हरिठाकुर हरिभूमि हास-परिहास हिन्‍दी टूल हिमांशु कुमार हिमांशु द्विवेदी हेमंत वैष्‍णव है बातों में दम

छत्‍तीसगढ़ की कला, साहित्‍य एवं संस्‍कृति पर संजीव तिवारी एवं अतिथि रचनाकारों के आलेख

लूट का बदला लूट: चंदैनी-गोंदा

  विजय वर्तमान चंदैनी-गोंदा को प्रत्यक्षतः देखने, जानने, समझने और समझा सकने वाले लोग अब गिनती के रह गए हैं। किसी भी विराट कृति में बताने को ...