छत्तीसगढ़ की नग्नता शुरू से प्रदर्शन की वस्तु रही है। बस्तर में बस्तर बालाओं की नग्नता देखने के लिए अंग्रेज पुरुष उतावले होते थे वही अंग्रेज महिलाएं छत्तीसगढ़ के पुरुष की नग्नता देखने के लिए भी उतावली रही है। स्वतंत्रता के पूर्व रायपुर जेल में ऐसा वाकया घटित हुआ है।
दुर्ग के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी नरसिंह प्रसाद अग्रवाल जी उस समय स्वतंत्रता आंदोलन के चलते रायपुर जेल में निरुद्ध थे। कैदियों को अंग्रेजो के द्वारा सुविधा नहीं दिया जाता था, 1 किलो दाल में 25-30 किलो पानी मिलाकर परोसा जाता था, शिकायत सुनी नहीं जाती थी। नरसिंह प्रसाद अग्रवाल जी ने भी शिकायत किया किंतु जेल प्रबंधन ने नहीं माना।
नरसिंह प्रसाद अग्रवाल जी ने विरोध का एक नया तरीका अपनाया, उन्होंने जेल में अपना समस्त वस्त्र उतार दिया और दिगंबर हो गए। उन्होंने कहा कि जब तक यह व्यवस्था नहीं सुधर जाती, मैं कपड़ा नहीं पहनूंगा। नागपुर में पदस्थ पुलिस महानिरीक्षक मिस्टर मरु को जब इसकी जानकारी मिली तब उस अंग्रेज अफसर की पत्नी ने इस विचित्र हिंदुस्तानी को देखने की इच्छा प्रकट की।
पति ने टाला तो पत्नी जिद करने लगी, अंग्रेज पति अपनी पत्नी को लेकर नागपुर से रायपुर पहुंचे। कैदी को उनके सामने पेश किया गया।
मुझे लगता है कि उनके सामने भौतिक रूप से छत्तीसगढ़ भले नंगा खड़ा था किन्तु अंग्रेजों ने स्वयं अपनी नग्नता का दर्शन किया होगा। मरु दम्पत्ति के आदेश से मामला सुलझा और नरसिंह प्रसाद अग्रवाल जी को खादी के कपड़े दिए गए।
-संजीव तिवारी
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
आपकी टिप्पणियों का स्वागत है. (टिप्पणियों के प्रकाशित होने में कुछ समय लग सकता है.) -संजीव तिवारी, दुर्ग (छ.ग.)