'पहुना संवाद' महानदी और बम्‍हपुत्र का मिलन

असम के छत्‍तीसगढ़ वंशियों नें आज 'पहुना संवाद' के दूसरे दिन सभा में अपना संस्‍मरण सुनाया और उद्गार व्‍यक्‍त किया। उन्‍होंनें कहा कि हम आपके अत्‍यंत आभारी हैं कि आपने अपने संस्कृति विभाग के माध्‍यम से हमसे संपर्क स्थापित करने का महत्वपूर्ण कदम उठाया। संस्कृति संचालनालय के बुलावे पर असम से यहां आने से हम सभी अभिभूत हुए हैं, क्योंकि हमारे पूर्वज सैकड़ो बरस पहले इस धरती से कमाने खाने चले गए थे। इसके इतने दिनों बाद हमको याद किया गया है। हमारे पूर्वजों ने उन दिनों में जो संघर्ष किया है उसकी कहानी दुखद है। उन्‍होंनें कठिन परिश्रम किये, दुख भोगा, दाने-दाने को मोहताज हुए। छत्‍तीसगढ़ वापस आने की तमन्‍ना रहते हुए भी वे अंग्रेजों या चाय बागानों के मालिकों के द्वारा बंधक बना लिए जाने या फिर पैसे नहीं होने के कारण वापस अपनी धरती आ नहीं पाये। उन्होंने कठिन परिस्थितियों में भी अपना जीवन जीया और हम सबको इस काबिल बनाया कि हम असम में अपने पैरों पर खड़े हो सकें। हम उनकी चौथी, पांचवी पीढ़ी हैं हमारे दिलों में आज भी छत्‍तीसगढ़ जीवित है।
इस माटी की सोंधी खुशबू जो हमारे पूर्वजों के हृदय में समयई हुई थी उसे उन्‍होंनें पीढि़यों के अंतराल के बाद भी हमारे दिलों में बसाये रखा। इस बीच पूरे देश की संस्कृति में बहुत बदलाव आए या विकृतियां आई किन्‍तु हमारे पूर्वजों की उस संस्‍कृति और परम्‍पराओं को हमने बनाए रखा। आज भी सैकड़ो साल बाद भी हम छत्‍तीसगढ़ के रीति-रिवाज और परम्‍पराओं को असम में जीवंत बनाये हुए हैं। आज बम्‍हपुत्र के किनारे रहते हुए भी हमारे हृदय में छत्‍तीसगढ़ की महानदी उफान मारती है। हमारा रोम-रोम छत्‍तीसगढ़ को याद करके रोमांचित हो उठता है। हमारे बीच बहुत से ऐसे लोग भी विद्यमान हैं जो यह कहते हैं कि हमें कभी एक बार उस धरती को छूने का अवसर मिले और हमे वहां की एक मुट्ठी मिट्टी लाने का सौभाग्य मिले तो हमे शायद अपने जीवन का सबसे बङा सुख महसूस करेंगे। उद्बोधन देते हुए कई छत्‍तीसगढ़ वंशियों का गला भर आया और खुशी में उनके आंखों से आंसू बहने लगे। संवाद का यह अवसर बेहद भावनात्‍मक एवं आत्‍मीय संबंधों का एक इतिहास बनकर आज हमारे सामने आया।
इन्‍होंनें छत्‍तीसगढ़ के मुख्‍यमंत्री डॉ.रमन सिंह से अनुरोध किया है कि 150-200 साल बीत जाने के बावजूद हमने अपनी छत्‍तीसगढि़या संस्‍कृति को संजोए रखा है यह अपने आप में महत्वपूर्ण बात है किंतु संमय के साथ इसके मूल स्वरूप को खोने का भय भी हमारे मन में व्‍याप्‍त है। हम चाहते हैं यदि आप इस दिशा में प्रयास करें और हमारे लिए आपकी सरकार कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाए जिससे हम अपनी सांस्कृतिक अस्मिता को सहेज कर रख सकें। उन्‍होंनें छत्‍तीसगढ़ के मुख्‍यमंत्री डॉ.रमन सिंह को अपनों के बीच असम आने का न्‍यौता भी दिया। उन्‍होंनें कहा कि आप कृपया एक बार समय निकाल कर हमारे बीच असम आएं और हमारी जीवनशैली को देखें कि हम अभी भी किस तरह से अपनी भाषा और संस्कृति से जुडे हुए हैं। आपसे निवेदन है कि आप इसे बचाए रखने के लिए अपना सहयोग दें क्योंकि हम भी छत्तीसगढि़या ही हैं भले ही हम छत्तीसगढ़ से ढाई हजार किलोमीटर दूर रहते हों।
आज के संवाद में छत्‍तीसगढ़ से जी.आर.सोनी, जागेश्‍वर प्रसाद, आशीष ठाकुर, राम पटवा, छलिया राम साहनी और लक्ष्‍मण मस्‍तुरिया नें संबोधित किया। आज के कार्यक्रम में वरिष्‍ठ संगीतकार खुमान लाल साव, ब्‍लॉगर ललित शर्मा, संजीव तिवारी आदि उपस्थित थे। असम से आए छत्‍तीसगढ़ वंशियों नें छत्‍तीसगढ़ी में सुवा गीत, ददरिया, जस और पंथी गाया। असम के विभिन्‍न क्षेत्रों से आए प्रतिनिधिमंडल में चिंताराम साहू, गिरिजा सिंह, सुमाष चन्द्र कोंवर, जगेश्‍वर साहू, दीपचन्द्र सतनामी, धरमराज गोंड, दीपिका साहू, सुजित साहू, भुवन केंवट, गनपत साहू, मदन सतनामी, गुलाब किसान, जनक साहू, पिताम्‍बर लोधी, त्रिलोक कपूर सिंह, कमल तेली, दाताराम साहू, धीरपाल सतनामी, ललित कुमार साहू, दुर्गा साहू, शंकर चन्द्र साहू, पुर्णिमा साहू, तुलसी साहू, रमेश लोधी, अनिल पनिका, अजय पनिका, नितिश कुमार गोंड आदि हैं। 
असम से आए इन छत्‍तीसगढ़ वंशियों की भाषा और इनके द्वारा गाए जाने वाले गीतों पर मैं कल से ध्‍यान लगाए था। उनकी भाषा आज की हमारी भाषा से ज्‍यादा ठेठ है। असम एवं बंगाल का प्रभाव इनके उच्‍चारण में यद्धपि है फिर भी ये धारा प्रवाह रूप से छत्‍तीसगढ़ी बोलते हैं। मुझे लगता है कि बहुत सारे छत्‍तीसगढ़ी शब्‍दों को भी ये संजोए रखे हैं जिसे हम नंदा गया कह रहे हों। इनकी छत्‍तीसगढ़ी भाषा पर हमारे चिंतित साहित्‍यकारों का ध्‍यान जाना चाहिए।
इनके द्वारा गाए कुछ गीत मैनें रिकार्ड किए हैं जिसे आप लोगों के लिए हम यहां प्रस्‍तुत कर रहे हैं, गीतों में इनकी पीड़ा भी सुनिए-    
सुवा गीत ददरिया (लेजा लानि देबे नोनी छेना म आगी, ले जा लानि देबे)

6 टिप्‍पणियां:

  1. छत्तीसगढ़ के संस्कृति ल कैसे सुंदर संजो के धरे हावैं,कइसन सुग्हर गावत,बजावत अउ थिरकत हावैं । धन्य है छत्तीसगढ़ की संस्कृति ।

    जवाब देंहटाएं
  2. संस्कृति विभाग सिरतोन म सहंराये के ​लइक काम करिन, बधाई। बढ़ सुघर जानकारी भइया। असम म छत्तीसगढ़िया मनके अब तो राजनीति म तको दखल होवत हावय अइसन म उंकर आर्थिक अउ सामाजिक जीवन म कतका बदलाव होय हाबे इहू बात ल जाने के इच्छा हवय। खुशी के बात आए के असम म 200 साल ले रहे के बाद भी छत्तीसगढ़ के संस्कृति ल जिंदा राखे हावय...

    जवाब देंहटाएं
  3. सुवा - गीत म बिकट मिठास हे, शब्द - चयन घला बढ़िया हे, "मंझनिया" अउ "सतनाम" जैसे शब्द के प्रयोग होए हे । मोला तो वोकर बाजा हर पखावज बरोबर लागिस हे अउ गीत संग लय - ताल हर टूटिस भी हे,एहर अभ्यास के कमी के कारण ए, फेर कुल मिला के ए सुवागीत हर सँहराय के लाइक हे ।

    जवाब देंहटाएं
  4. सुवा - गीत म बिकट मिठास हे, शब्द - चयन घला बढ़िया हे, "मंझनिया" अउ "सतनाम" जैसे शब्द के प्रयोग होए हे । मोला तो वोकर बाजा हर पखावज बरोबर लागिस हे अउ गीत संग लय - ताल हर टूटिस भी हे,एहर अभ्यास के कमी के कारण ए, फेर कुल मिला के ए सुवागीत हर सँहराय के लाइक हे ।

    जवाब देंहटाएं

आपकी टिप्पणियों का स्वागत है. (टिप्पणियों के प्रकाशित होने में कुछ समय लग सकता है.) -संजीव तिवारी, दुर्ग (छ.ग.)

लेबल

संजीव तिवारी की कलम घसीटी समसामयिक लेख अतिथि कलम जीवन परिचय छत्तीसगढ की सांस्कृतिक विरासत - मेरी नजरों में पुस्तकें-पत्रिकायें छत्तीसगढ़ी शब्द Chhattisgarhi Phrase Chhattisgarhi Word विनोद साव कहानी पंकज अवधिया सुनील कुमार आस्‍था परम्‍परा विश्‍वास अंध विश्‍वास गीत-गजल-कविता Bastar Naxal समसामयिक अश्विनी केशरवानी नाचा परदेशीराम वर्मा विवेकराज सिंह अरूण कुमार निगम व्यंग कोदूराम दलित रामहृदय तिवारी अंर्तकथा कुबेर पंडवानी Chandaini Gonda पीसीलाल यादव भारतीय सिनेमा के सौ वर्ष Ramchandra Deshmukh गजानन माधव मुक्तिबोध ग्रीन हण्‍ट छत्‍तीसगढ़ी छत्‍तीसगढ़ी फिल्‍म पीपली लाईव बस्‍तर ब्लाग तकनीक Android Chhattisgarhi Gazal ओंकार दास नत्‍था प्रेम साईमन ब्‍लॉगर मिलन रामेश्वर वैष्णव रायपुर साहित्य महोत्सव सरला शर्मा हबीब तनवीर Binayak Sen Dandi Yatra IPTA Love Latter Raypur Sahitya Mahotsav facebook venkatesh shukla अकलतरा अनुवाद अशोक तिवारी आभासी दुनिया आभासी यात्रा वृत्तांत कतरन कनक तिवारी कैलाश वानखेड़े खुमान लाल साव गुरतुर गोठ गूगल रीडर गोपाल मिश्र घनश्याम सिंह गुप्त चिंतलनार छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग छत्तीसगढ़ वंशी छत्‍तीसगढ़ का इतिहास छत्‍तीसगढ़ी उपन्‍यास जयप्रकाश जस गीत दुर्ग जिला हिन्दी साहित्य समिति धरोहर पं. सुन्‍दर लाल शर्मा प्रतिक्रिया प्रमोद ब्रम्‍हभट्ट फाग बिनायक सेन ब्लॉग मीट मानवाधिकार रंगशिल्‍पी रमाकान्‍त श्रीवास्‍तव राजेश सिंह राममनोहर लोहिया विजय वर्तमान विश्वरंजन वीरेन्‍द्र बहादुर सिंह वेंकटेश शुक्ल श्रीलाल शुक्‍ल संतोष झांझी सुशील भोले हिन्‍दी ब्‍लाग से कमाई Adsense Anup Ranjan Pandey Banjare Barle Bastar Band Bastar Painting CP & Berar Chhattisgarh Food Chhattisgarh Rajbhasha Aayog Chhattisgarhi Chhattisgarhi Film Daud Khan Deo Aanand Dev Baloda Dr. Narayan Bhaskar Khare Dr.Sudhir Pathak Dwarika Prasad Mishra Fida Bai Geet Ghar Dwar Google app Govind Ram Nirmalkar Hindi Input Jaiprakash Jhaduram Devangan Justice Yatindra Singh Khem Vaishnav Kondagaon Lal Kitab Latika Vaishnav Mayank verma Nai Kahani Narendra Dev Verma Pandwani Panthi Punaram Nishad R.V. Russell Rajesh Khanna Rajyageet Ravindra Ginnore Ravishankar Shukla Sabal Singh Chouhan Sarguja Sargujiha Boli Sirpur Teejan Bai Telangana Tijan Bai Vedmati Vidya Bhushan Mishra chhattisgarhi upanyas fb feedburner kapalik romancing with life sanskrit ssie अगरिया अजय तिवारी अधबीच अनिल पुसदकर अनुज शर्मा अमरेन्‍द्र नाथ त्रिपाठी अमिताभ अलबेला खत्री अली सैयद अशोक वाजपेयी अशोक सिंघई असम आईसीएस आशा शुक्‍ला ई—स्टाम्प उडि़या साहित्य उपन्‍यास एडसेंस एड्स एयरसेल कंगला मांझी कचना धुरवा कपिलनाथ कश्यप कबीर कार्टून किस्मत बाई देवार कृतिदेव कैलाश बनवासी कोयल गणेश शंकर विद्यार्थी गम्मत गांधीवाद गिरिजेश राव गिरीश पंकज गिरौदपुरी गुलशेर अहमद खॉं ‘शानी’ गोविन्‍द राम निर्मलकर घर द्वार चंदैनी गोंदा छत्‍तीसगढ़ उच्‍च न्‍यायालय छत्‍तीसगढ़ पर्यटन छत्‍तीसगढ़ राज्‍य अलंकरण छत्‍तीसगढ़ी व्‍यंजन जतिन दास जन संस्‍कृति मंच जय गंगान जयंत साहू जया जादवानी जिंदल स्टील एण्ड पावर लिमिटेड जुन्‍नाडीह जे.के.लक्ष्मी सीमेंट जैत खांब टेंगनाही माता टेम्पलेट डिजाइनर ठेठरी-खुरमी ठोस अपशिष्ट् (प्रबंधन और हथालन) उप-विधियॉं डॉ. अतुल कुमार डॉ. इन्‍द्रजीत सिंह डॉ. ए. एल. श्रीवास्तव डॉ. गोरेलाल चंदेल डॉ. निर्मल साहू डॉ. राजेन्‍द्र मिश्र डॉ. विनय कुमार पाठक डॉ. श्रद्धा चंद्राकर डॉ. संजय दानी डॉ. हंसा शुक्ला डॉ.ऋतु दुबे डॉ.पी.आर. कोसरिया डॉ.राजेन्‍द्र प्रसाद डॉ.संजय अलंग तमंचा रायपुरी दंतेवाडा दलित चेतना दाउद खॉंन दारा सिंह दिनकर दीपक शर्मा देसी दारू धनश्‍याम सिंह गुप्‍त नथमल झँवर नया थियेटर नवीन जिंदल नाम निदा फ़ाज़ली नोकिया 5233 पं. माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकार परिकल्‍पना सम्‍मान पवन दीवान पाबला वर्सेस अनूप पूनम प्रशांत भूषण प्रादेशिक सम्मलेन प्रेम दिवस बलौदा बसदेवा बस्‍तर बैंड बहादुर कलारिन बहुमत सम्मान बिलासा ब्लागरों की चिंतन बैठक भरथरी भिलाई स्टील प्लांट भुनेश्वर कश्यप भूमि अर्जन भेंट-मुलाकात मकबूल फिदा हुसैन मधुबाला महाभारत महावीर अग्रवाल महुदा माटी तिहार माननीय श्री न्यायमूर्ति यतीन्द्र सिंह मीरा बाई मेधा पाटकर मोहम्मद हिदायतउल्ला योगेंद्र ठाकुर रघुवीर अग्रवाल 'पथिक' रवि श्रीवास्तव रश्मि सुन्‍दरानी राजकुमार सोनी राजमाता फुलवादेवी राजीव रंजन राजेश खन्ना राम पटवा रामधारी सिंह 'दिनकर’ राय बहादुर डॉ. हीरालाल रेखादेवी जलक्षत्री रेमिंगटन लक्ष्मण प्रसाद दुबे लाईनेक्स लाला जगदलपुरी लेह लोक साहित्‍य वामपंथ विद्याभूषण मिश्र विनोद डोंगरे वीरेन्द्र कुर्रे वीरेन्‍द्र कुमार सोनी वैरियर एल्विन शबरी शरद कोकाश शरद पुर्णिमा शहरोज़ शिरीष डामरे शिव मंदिर शुभदा मिश्र श्यामलाल चतुर्वेदी श्रद्धा थवाईत संजीत त्रिपाठी संजीव ठाकुर संतोष जैन संदीप पांडे संस्कृत संस्‍कृति संस्‍कृति विभाग सतनाम सतीश कुमार चौहान सत्‍येन्‍द्र समाजरत्न पतिराम साव सम्मान सरला दास साक्षात्‍कार सामूहिक ब्‍लॉग साहित्तिक हलचल सुभाष चंद्र बोस सुमित्रा नंदन पंत सूचक सूचना सृजन गाथा स्टाम्प शुल्क स्वच्छ भारत मिशन हंस हनुमंत नायडू हरिठाकुर हरिभूमि हास-परिहास हिन्‍दी टूल हिमांशु कुमार हिमांशु द्विवेदी हेमंत वैष्‍णव है बातों में दम

छत्‍तीसगढ़ की कला, साहित्‍य एवं संस्‍कृति पर संजीव तिवारी एवं अतिथि रचनाकारों के आलेख

लूट का बदला लूट: चंदैनी-गोंदा

  विजय वर्तमान चंदैनी-गोंदा को प्रत्यक्षतः देखने, जानने, समझने और समझा सकने वाले लोग अब गिनती के रह गए हैं। किसी भी विराट कृति में बताने को ...