खानपान के क्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय भोज्यपदार्थों के प्रति बढ़ती जनता की रूचि एवं शहरीकरण के चलते हम अपने पारंपरिक खान-पान को विस्मृत करते जा रहे हैं। देश के कई क्षेत्रों में पारंपरिक खान-पान की परंपरा आज विलुप्ति के कगार पर है, जबकि माना जाता है कि खान-पान संस्कृति का महत्वपूर्ण अंग है। हमारी खान-पान की परंपरा हमारी क्षेत्रीय अस्मिता का गौरव है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए छत्तीसगढ़ के संस्कृति संचालनालय द्वारा 'गढ़कलेव' के नाम से पारंपरिक छत्तीसगढ़ी व्यंजनों का एक रेस्टॉरेंट रायपुर में खोला गया है।
'गढ़कलेवा' का परिसर एक ठेठ खूबसूरत छत्तीसगढ़ी गांव के रूप में तैयार किया गया है। इस स्थल की साजसज्जा और जनसुविधाएं छत्तीसगढ़ के ग्रामीण जीवन का आनंद दिलाते हैं। जिसे गांव के ही पारंपरिक शिल्पियों ने ही मूर्त रूप देते हुए आकार दिया है। वर्तमान में यहाँ पारंपरिक परिवेश और बर्तनों में लगभग तीन दर्जन छत्तीसगढ़ी व्यंजन परोसा जा रहा है। आगे मध्यान्ह तथा रात्रि भोजन भी उपलब्ध कराया जायेगा।

रोचक और स्वादिष्ट जानकारी..
जवाब देंहटाएंशानदार जानकारी है सर कृपया मेरे इस ब्लॉग Indihealth पर भी पधारे
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