विजय वर्तमान चंदैनी-गोंदा को प्रत्यक्षतः देखने, जानने, समझने और समझा सकने वाले लोग अब गिनती के रह गए हैं। किसी भी विराट कृति में बताने को बहुत कुछ होता है । अब हमीं कुछ लोग हैं जो थोड़ा-बहुत बता सकते हैं । यह लेख उसी ज़िम्मेदारी के तहत उपजा है...... 07 नवम्बर 1971 को बघेरा में चंदैनी-गोंदा का प्रथम प्रदर्शन हुआ। उसके बाद से आजपर्यंत छ. ग. ( तत्कालीन अविभाजित म. प्र. ) के लगभग सभी समादृत विद्वानों, साहित्यकारों, पत्रकारों, समीक्षकों, रंगकर्मियों, समाजसेवियों, स्वप्नदर्शियों, सुधी राजनेताओं आदि-आदि सभी ने चंदैनी-गोंदा के विराट स्वरूप, क्रांतिकारी लक्ष्य, अखण्ड मनभावन लोकरंजन के साथ लोकजागरण और लोकशिक्षण का उद्देश्यपूर्ण मिशन, विस्मयकारी कल्पना और उसका सफल मंचीय प्रयोग आदि-आदि पर बदस्तूर लिखा। किसी ने कम लिखा, किसी ने ज़्यादा लिखा, किसी ने ख़ूब ज़्यादा लिखा, किसी ने बार-बार लिखा। तब के स्वनामधन्य वरिष्ठतम साहित्यकारों से लेकर अब के विनोद साव तक सैकड़ों साहित्यकारों की कलम बेहद संलग्नता के साथ चली है। आज भी लिखा जाना जारी है। कुछ ग़ैर-छत्तीसगढ़ी लेखक जैसे परितोष चक्रवर्ती, डॉ हनुमंत नायडू जैसों
पिछले दिनों भिलाई के स्वामी श्री स्वरूपानंन्द सरस्वती महाविद्यालय में लाईनेक्स इंडिपेन्डेंट वर्क स्टेशन विषय पर एक कार्यशाला आयोजित किया गया था जिसमें विषय विशेषज्ञों के द्वारा लाइनेक्सं के अनुप्रयोग संबंधी वक्तव्य दिये गए.
प्राचार्य डॉ.(श्रीमती) हंसा शुक्ला ने बताया कि कार्यशाला के आयोजन का मुख्य उद्धेश्य महाविद्यालय के छात्र-छात्राओं को साफ्टवेयर की एक ऐसी तकनीक से अवगत कराना था जिसमें कि वे पूर्णतः स्वतंत्र वातावरण में कार्य कर सकें। कार्यशाला में उपस्थित मुख्य वक्ता क्षितिज सिंघई (निदेशक, इन्फोसाल्यूशन) ने लाईनेक्स तकनीक की बारीकियों तथा लाईनेक्स में काम करने की तरीकों और उपयोग में आने वाली भाषाओं के संबंध में छात्र-छात्राओं को जानकारी दी। उन्होंनें छात्र-छात्राओं को लाईनेक्स में कार्य करना भी सिखाया व लाईनेक्स से संबंधित सर्टिफिकेशन कोर्स के महत्व को भी बताया। रेड हैड के सचिन नायक जो कि विषय विशेषज्ञ के रूप में कार्यशाला में उपस्थित थे। उन्होंने लाईनेक्स और विन्डोज के अंतर को छात्र-छात्राओं को समझाया व बतलाया कि कम्प्यूटर के क्षेत्र में एकाधिकार को समाप्त करने में लाईनेक्स ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
इस समाचार से मुझे खुशी हुई कि अब धीरे धीरे लाईनेक्स के प्रति नई पीढ़ी की रूचि बढ़ रही है। प्राप्त जानकारी के अनुसार यह कार्यक्रम महाविद्यालय स्तर का था एवं इसमें व्याख्याता व छात्र छात्राओं नें भाग लिया, आगे इन्हीं छात्र छात्राओं को माईक्रोसाफ्ट से लोहा लेना है।
शुभकामनायें ...
बात खुशी की है, मैने सुना है लाईनेक्स कठिन ज़रूर है विन्डोज़ से लेकिन पूर्णतया
जवाब देंहटाएंसुरक्षित है , क्या ये सच है ?
लाइनेक्स का छोटा संस्करण एण्ड्रॉयड है, जो अब हर दूसरे व्यक्ति के जेब में रखे स्मार्टफ़ोन में है. लाइनेक्स तो अब घर घर पहुँच चुका है!
जवाब देंहटाएंजब १९९८ में लिनक्स के बारे में सुना था तब नहीं लगता था कि यह इतना फैल पायेगा।
जवाब देंहटाएंभाई साहब आप भी बधाई के पात्र हैं
जवाब देंहटाएंअच्छी जानकारी ...
जवाब देंहटाएंअच्छी जानकारी ... होली की हार्दिक शुभकामनायें...
जवाब देंहटाएंआपको जानकार ख़ुशी होगी कि सीबीएसई ने अपने पाठ्यक्रम में क्लास 9-10 के लिए लिनुएक्स को शामिल किया हुआ है. ऐसे ओपन ऑफिस का प्रचलन धीरे धीरे बढ़ रहा है. जरुरत है लोगों को बताने की और उन्हें aware करने की.
जवाब देंहटाएंकालि लाइनेकस के विषय मे कुछ जानकारी है तो बताना
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