छत्तीसगढ़ी के इस कहावत का मतलब है 'खतरा मोल क्यूं लेते हो'. इस कहावत में दो छत्तीसगढ़ी शब्दों को समझना होगा, 'काबर' और 'झँपावत'.
'काबर' शब्द क्रिया विशेषण है जो क्यूं से बना है, अतः 'काबर' का अर्थ है किसिलए. 'काबर' का प्रयोग छत्तीसगढ़ी में समुच्चय बोधक शब्द क्योंकि के लिए भी प्रयुक्त होता है, 'मैं अब जाग नी सकंव काबर कि मोला नींद आवत हे'. इस कहावत में 'काबर' का अर्थ किसिलए से ही है.
'झँपावत' 'झप' का क्रिया विशेषण है जो संस्कृत शब्द 'झम्प' से बना है जिसका अर्थ है 'जल्दी से कूदना, तुरंत, झटपट, शीघ्र' छत्तीसगढ़ी शब्द 'झपकुन' से यही अर्थ प्रतिध्वनित होता है. इसी 'झप' से बना शब्द है 'झंपइया' जिसका अर्थ है टकराने, गिरने या संकट में फंसने वाला. टकराने, गिरने या संकट में फंसने वाली क्रिया के भाव को प्रकट करने वाला शब्द है 'झंपई'. इसी शब्द का क्रिया रूप है 'झंपाना' जिसका मतलब डालना, जान बूझ कर फंसना, गिरना, कूद पड़ना (to fall down, collide) से है.
उपरोक्त शब्दों से मिलते जुलते शब्दों का भी अर्थ देखें. 'झपटई' छीनने की क्रिया, 'झपक' पलक झपकने की क्रिया - समय का परिमाप . काबर के अर्थ से परे 'काबा' का अर्थ है 'दोनों हाथो के घेरे में समाने योग्य' 'काबा भर कांदी - दोनों हाथो के घेरे मे समाने लायक घास', अंग्रेजी शब्द 'हग' जैसा 'काबा में पोटारना'.
well
जवाब देंहटाएंthanx
रोचक विवरण..
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