जतिन दास की मांग जायज है

लगभग 17 वर्ष पूर्व भिलाई स्पात संयंत्र द्वारा अपने चौकों के सौदर्यीकरण के तहत प्रसिद्व कलाकार जतिन दास के द्वारा निर्मित कलाकृतियॉं भिलाई के सेक्टर 1 स्थित संयंत्र प्रवेश द्वार के पूर्व चौंक पर लगाई गई थी. कहते हैं कि इस कलाकृति को लगाने में संयत्र का लगभग 40 लाख रूपया खर्च हुआ था जिसमें लगभग 10 लाख रूपया जतिन दास को भुगतान किया गया था. हालांकि उस समय स्थानीय स्तर पर इसका जमकर विरोध भी हुआ था कि स्थानीय कलाकारों की उपेक्षा कर बडी राशि खर्च करने का कोई औचित्य नहीं है किन्तु तत्कालीन प्रबंध निदेशक नें विरोध के बावजूद जतिन दास की कृतियों को यहॉं ससम्मान स्थापित किया.

आडे—तिरछे व उडते पक्षियों की लौह आकृतियॉं गोलाई में आकार लेकर संयत्र आने वालों का स्वागत करने लगी. वहां स्थापित कला को भिलाई के या छत्तीसगढ के कितने लोगों नें समझा यह कहा नहीं जा सकता किन्तु प्रसिद्व कलाकर की इस कृति के प्रति स्थानीय जनता की आस्था आरंभ से ही नहीं जाग पाई. जनता इस चौक को चिडियों की आकृतियों के कारण 'मुर्गा चौक' का नाम दे दिया. जतिन दास स्थापना के समय के विवाद और स्थापना के दिनों के बाद सभी के स्मृति से ओझल हो गए.


आज फिर जतिन दास जी इस लिये याद आये कि उनके द्वारा छत्तीसगढ में अपने संपर्कों से संपर्क कर यह बतलाया गया कि भिलाई स्पात संयत्र के द्वारा उनकी कलाकृतियों को उखाड दिया गया है और कबाड की तरह फेंक दिया गया है. यह बात हम स्थानीय निवासियों को भी ज्ञात नहीं थी. संयत्र के द्वारा जेपी सीमेंट को एकतरफा फायदा पहुचाने के उद्देश्य से फ्लाई ओवर का निर्माण कार्य का प्रारम्भ किया गया था और संयत्र के द्वारा बहुत साफगोई से यह प्रचारित किया जा रहा था कि संयत्र के मालवाहक ट्रकों को सुगमतापूर्वक पहुचाने के उद्देश्य से यह फ्लाई ओवर बनाया जा रहा है. इस फ्लाई ओवर के रास्ते में सेक्टर 1 का मुर्गा चौंक भी आ रहा था किन्तु हम यह सोंचते रहे कि इस चौंक पर स्थापित जतिन दास की कलाकृति फ्लाई ओवर की नीचे अपने मूल स्थान में सुरक्षित रहेगी. ज्यादा से ज्यादा कुछ मीटर आगे पीछे करके इसे बचाया जा सकेगा.


भिलाई स्पात संयंत्र ने ऐसा कुछ भी प्रयास नहीं किया बल्कि जतिन दास की कलाकृतियों को बेरहमी से उखाड कर मैत्रीबाग भेज दिया गया जहां परिवहन में कुछ कलाकृतियां टूट भी गई. मैत्री बाग में उन्हें कबाड की तरह डम्प कर दिया गया. विश्वस्त सूत्रों का कहना है कि संयंत्र अब इन कलाकृतियों को मैत्री बाग में स्थापित करेगी. क्या जतिन दास को इसकी सूचना दी गई है के जवाब में संयंत्र के अधिकारी यह स्वीकारते हैं कि उन्हें सूचना दी गई है. किन्तु जतिन दास जी छत्तीसगढ में प्रकाशित खबर के माध्यम से कहते हैं कि उन्हें यह तब पता चला जब वे भिलाई मुर्गा चौंक आये और वहां से अपनी कलाकृतियों को गायब पाये. दूसरी तरफ सूत्र यह भी बतलाते हैं कि इसे मुर्गा चौक से मैत्री बाग में स्थापित करने के एवज में जतिन दास संयंत्र से मोटी रकम की मांग कर रहे हैं एवं संयंत्र द्वारा हील हवाला करने पर मीडिया संपर्कों का उपयोग संयंत्र पर दबाव बनाने के लिए कर रहे है.

अब जो भी हो इसमें जनता की रूचि ज्यादा नहीं है किन्तु आश्चर्य होता है कि संयंत्र के वास्तुविद व योजनाकार आगामी सत्रह साल के नगर परिवहन योजना का भी आंकलन नहीं कर पाये. संयंत्र के उत्पादन व कच्चे माल के परिवहन की भविष्य की आवश्यकताओं पर संयंत्र के अभियंताओं नें कैसे नहीं सोंचा यह समझ से परे है. सत्रह साल पहले 40 लाख रूपये खर्च करके मुर्गा चौंक स्थापित करने की योजना बनाते समय क्यों नहीं सोंचा गया कि अगले 17 सालों में आवश्यकतानुसार इसके उपर फ्लाई ओवर बनाया जायेगा इसलिये इसे यहां स्थापित ना किया जाय.

जिस मैत्री बाग में इसे स्थापित करने की दलील यह कह कर दी जा रही है कि यहां जनता की ज्यादा आवाजाही है, तो क्या यही बात पंद्रह साल पहले नहीं थी. तब भी मैत्री बाग उपयुक्त स्थान था किन्तु संयंत्र के दूरदर्शी अभियंताओं, अधिकारियों नें इसे सेक्टर 1 में स्थापित किया. लगाने में 40 लाख और उखाडने भी लाखों खर्च किये गए होगें अब इसे पुन: लगाने में करोडो खर्च किये जायेगें. इस करोड में बंदर बाट नहीं होगी यह भी स्वीकार करने योग्य बात नहीं है क्योंकि अभी कुछ दिन पहले ही इसी मुर्गा चौंक के पास का फ्लाई ओवर स्लेब भरभराकर गिर गया था और घटना व परिस्थितियां स्वमेव सिद्व कर गई.

ऐसे में जतिन दास जो उन कलाकृतियों के जनक है कुछ पैसे मांग भी रहे है तो संयंत्र के अधिकारियों की सांसें क्यूं फूल रही है. संयंत्र नें स्वयं फैसले करके अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त जतिन दास की कलाकृतियां लगाई है तो उसे उनके सम्मान की रक्षा भी करनी चाहिए.

आज राहुल सिंह जी के फोन नें चौकाया, भिलाई स्पात संयंत्र से कोई काम नहीं पडने के कारण उधर आना जाना नहीं होता पर आज दोपहर को ही निकल पडा यह देखने कि मुर्गा चौक का क्या हाल है. चौक तो बरकरार है पर जतिन दास की कलाकृतियों का कोई अता पता नहीं है. वापस घर आते तक मित्रों के दो और मेल प्राप्त हो चुके थे जिसमें जतिन दास का विरोध भी दर्ज था. ई टीवी के दुर्ग—भिलाई प्रभारी वैभव पाण्डेय एवं अन्य पत्रकारों से वस्तुस्थिति की जानकारी लिया. शाम तक छत्तीसगढ नें प्रमुखता से इस खबर को अपने मुख्य पृष्ट पर लगा दिया था धन्यवाद छत्तीसगढ.

संजीव तिवारी 

9 टिप्‍पणियां:

  1. मेरे लिए यह चौंकाने वाली बात इसलिए हुई कि दिल्‍ली के एक परिचित ने फोन कर इस बारे में जानना चाहा.

    जवाब देंहटाएं
  2. आपका लेख वास्तव में एक छुपे हुए हकीकत को बयां कर रहा हैं...लिहाजा मुझे भी यह कहने में कोई संकोच दिखाई नहीं पड़ता कि जतिन दास जी की मांग जायज हैं...आप अगर मेरा जिक्र नहीं भी करते तो चलता ...क्योंकि सच तो यह हैं कि मेरे से ज्यादा इस बारे में आपका पता था हां ..थोड़ी सी मदद आपकी जानकारी को पुख्ता बनाने में जरुर की हैं....पर सच में इस लेख में पुरी मेहनत आपकी हैं। आपको इस लेख के लिए बहूत-बहूत बधाई ...प्रणाम.

    जवाब देंहटाएं
  3. kalakaron ki durdasha har yug men hui hai chahe wah katha me jiwit tajmahal bananewala hi kyon na ho .par trasadi kala ko kyon jhelani pade.
    is dharohar ko surakshit rahana chahiye sath hi kalakar ko sasamman usaka haq.
    AAPAKO AABHAR NAHIN PRANAM SWIKAR HO.

    जवाब देंहटाएं
  4. मालिक,
    दास की मांग जायज़ है या नाजायज़ यह तय करना तो आपके ही अख्तियार में है !

    जवाब देंहटाएं
  5. पता नहीं कलाकृतियों की स्थापना और उखाड़ना इतने हल्कें में कैसे कर दिया जाता है।

    जवाब देंहटाएं
  6. जतिन दास जी का कहना जायज है, किसी भी कलाकृति पर कलाकार का कापी राईट होता है।

    जवाब देंहटाएं
  7. nice post !!! thanks for sharing with us

    http://www.bigindianwedding.com/

    जवाब देंहटाएं
  8. आज 15/04/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर (सुनीता शानू जी की प्रस्तुति में) लिंक की गया हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
    धन्यवाद!

    जवाब देंहटाएं

आपकी टिप्पणियों का स्वागत है. (टिप्पणियों के प्रकाशित होने में कुछ समय लग सकता है.) -संजीव तिवारी, दुर्ग (छ.ग.)

लेबल

संजीव तिवारी की कलम घसीटी समसामयिक लेख अतिथि कलम जीवन परिचय छत्तीसगढ की सांस्कृतिक विरासत - मेरी नजरों में पुस्तकें-पत्रिकायें छत्तीसगढ़ी शब्द Chhattisgarhi Phrase Chhattisgarhi Word विनोद साव कहानी पंकज अवधिया सुनील कुमार आस्‍था परम्‍परा विश्‍वास अंध विश्‍वास गीत-गजल-कविता Bastar Naxal समसामयिक अश्विनी केशरवानी नाचा परदेशीराम वर्मा विवेकराज सिंह अरूण कुमार निगम व्यंग कोदूराम दलित रामहृदय तिवारी अंर्तकथा कुबेर पंडवानी Chandaini Gonda पीसीलाल यादव भारतीय सिनेमा के सौ वर्ष Ramchandra Deshmukh गजानन माधव मुक्तिबोध ग्रीन हण्‍ट छत्‍तीसगढ़ी छत्‍तीसगढ़ी फिल्‍म पीपली लाईव बस्‍तर ब्लाग तकनीक Android Chhattisgarhi Gazal ओंकार दास नत्‍था प्रेम साईमन ब्‍लॉगर मिलन रामेश्वर वैष्णव रायपुर साहित्य महोत्सव सरला शर्मा हबीब तनवीर Binayak Sen Dandi Yatra IPTA Love Latter Raypur Sahitya Mahotsav facebook venkatesh shukla अकलतरा अनुवाद अशोक तिवारी आभासी दुनिया आभासी यात्रा वृत्तांत कतरन कनक तिवारी कैलाश वानखेड़े खुमान लाल साव गुरतुर गोठ गूगल रीडर गोपाल मिश्र घनश्याम सिंह गुप्त चिंतलनार छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग छत्तीसगढ़ वंशी छत्‍तीसगढ़ का इतिहास छत्‍तीसगढ़ी उपन्‍यास जयप्रकाश जस गीत दुर्ग जिला हिन्दी साहित्य समिति धरोहर पं. सुन्‍दर लाल शर्मा प्रतिक्रिया प्रमोद ब्रम्‍हभट्ट फाग बिनायक सेन ब्लॉग मीट मानवाधिकार रंगशिल्‍पी रमाकान्‍त श्रीवास्‍तव राजेश सिंह राममनोहर लोहिया विजय वर्तमान विश्वरंजन वीरेन्‍द्र बहादुर सिंह वेंकटेश शुक्ल श्रीलाल शुक्‍ल संतोष झांझी सुशील भोले हिन्‍दी ब्‍लाग से कमाई Adsense Anup Ranjan Pandey Banjare Barle Bastar Band Bastar Painting CP & Berar Chhattisgarh Food Chhattisgarh Rajbhasha Aayog Chhattisgarhi Chhattisgarhi Film Daud Khan Deo Aanand Dev Baloda Dr. Narayan Bhaskar Khare Dr.Sudhir Pathak Dwarika Prasad Mishra Fida Bai Geet Ghar Dwar Google app Govind Ram Nirmalkar Hindi Input Jaiprakash Jhaduram Devangan Justice Yatindra Singh Khem Vaishnav Kondagaon Lal Kitab Latika Vaishnav Mayank verma Nai Kahani Narendra Dev Verma Pandwani Panthi Punaram Nishad R.V. Russell Rajesh Khanna Rajyageet Ravindra Ginnore Ravishankar Shukla Sabal Singh Chouhan Sarguja Sargujiha Boli Sirpur Teejan Bai Telangana Tijan Bai Vedmati Vidya Bhushan Mishra chhattisgarhi upanyas fb feedburner kapalik romancing with life sanskrit ssie अगरिया अजय तिवारी अधबीच अनिल पुसदकर अनुज शर्मा अमरेन्‍द्र नाथ त्रिपाठी अमिताभ अलबेला खत्री अली सैयद अशोक वाजपेयी अशोक सिंघई असम आईसीएस आशा शुक्‍ला ई—स्टाम्प उडि़या साहित्य उपन्‍यास एडसेंस एड्स एयरसेल कंगला मांझी कचना धुरवा कपिलनाथ कश्यप कबीर कार्टून किस्मत बाई देवार कृतिदेव कैलाश बनवासी कोयल गणेश शंकर विद्यार्थी गम्मत गांधीवाद गिरिजेश राव गिरीश पंकज गिरौदपुरी गुलशेर अहमद खॉं ‘शानी’ गोविन्‍द राम निर्मलकर घर द्वार चंदैनी गोंदा छत्‍तीसगढ़ उच्‍च न्‍यायालय छत्‍तीसगढ़ पर्यटन छत्‍तीसगढ़ राज्‍य अलंकरण छत्‍तीसगढ़ी व्‍यंजन जतिन दास जन संस्‍कृति मंच जय गंगान जयंत साहू जया जादवानी जिंदल स्टील एण्ड पावर लिमिटेड जुन्‍नाडीह जे.के.लक्ष्मी सीमेंट जैत खांब टेंगनाही माता टेम्पलेट डिजाइनर ठेठरी-खुरमी ठोस अपशिष्ट् (प्रबंधन और हथालन) उप-विधियॉं डॉ. अतुल कुमार डॉ. इन्‍द्रजीत सिंह डॉ. ए. एल. श्रीवास्तव डॉ. गोरेलाल चंदेल डॉ. निर्मल साहू डॉ. राजेन्‍द्र मिश्र डॉ. विनय कुमार पाठक डॉ. श्रद्धा चंद्राकर डॉ. संजय दानी डॉ. हंसा शुक्ला डॉ.ऋतु दुबे डॉ.पी.आर. कोसरिया डॉ.राजेन्‍द्र प्रसाद डॉ.संजय अलंग तमंचा रायपुरी दंतेवाडा दलित चेतना दाउद खॉंन दारा सिंह दिनकर दीपक शर्मा देसी दारू धनश्‍याम सिंह गुप्‍त नथमल झँवर नया थियेटर नवीन जिंदल नाम निदा फ़ाज़ली नोकिया 5233 पं. माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकार परिकल्‍पना सम्‍मान पवन दीवान पाबला वर्सेस अनूप पूनम प्रशांत भूषण प्रादेशिक सम्मलेन प्रेम दिवस बलौदा बसदेवा बस्‍तर बैंड बहादुर कलारिन बहुमत सम्मान बिलासा ब्लागरों की चिंतन बैठक भरथरी भिलाई स्टील प्लांट भुनेश्वर कश्यप भूमि अर्जन भेंट-मुलाकात मकबूल फिदा हुसैन मधुबाला महाभारत महावीर अग्रवाल महुदा माटी तिहार माननीय श्री न्यायमूर्ति यतीन्द्र सिंह मीरा बाई मेधा पाटकर मोहम्मद हिदायतउल्ला योगेंद्र ठाकुर रघुवीर अग्रवाल 'पथिक' रवि श्रीवास्तव रश्मि सुन्‍दरानी राजकुमार सोनी राजमाता फुलवादेवी राजीव रंजन राजेश खन्ना राम पटवा रामधारी सिंह 'दिनकर’ राय बहादुर डॉ. हीरालाल रेखादेवी जलक्षत्री रेमिंगटन लक्ष्मण प्रसाद दुबे लाईनेक्स लाला जगदलपुरी लेह लोक साहित्‍य वामपंथ विद्याभूषण मिश्र विनोद डोंगरे वीरेन्द्र कुर्रे वीरेन्‍द्र कुमार सोनी वैरियर एल्विन शबरी शरद कोकाश शरद पुर्णिमा शहरोज़ शिरीष डामरे शिव मंदिर शुभदा मिश्र श्यामलाल चतुर्वेदी श्रद्धा थवाईत संजीत त्रिपाठी संजीव ठाकुर संतोष जैन संदीप पांडे संस्कृत संस्‍कृति संस्‍कृति विभाग सतनाम सतीश कुमार चौहान सत्‍येन्‍द्र समाजरत्न पतिराम साव सम्मान सरला दास साक्षात्‍कार सामूहिक ब्‍लॉग साहित्तिक हलचल सुभाष चंद्र बोस सुमित्रा नंदन पंत सूचक सूचना सृजन गाथा स्टाम्प शुल्क स्वच्छ भारत मिशन हंस हनुमंत नायडू हरिठाकुर हरिभूमि हास-परिहास हिन्‍दी टूल हिमांशु कुमार हिमांशु द्विवेदी हेमंत वैष्‍णव है बातों में दम

छत्‍तीसगढ़ की कला, साहित्‍य एवं संस्‍कृति पर संजीव तिवारी एवं अतिथि रचनाकारों के आलेख

लूट का बदला लूट: चंदैनी-गोंदा

  विजय वर्तमान चंदैनी-गोंदा को प्रत्यक्षतः देखने, जानने, समझने और समझा सकने वाले लोग अब गिनती के रह गए हैं। किसी भी विराट कृति में बताने को ...