आदरणीय संजीव जी,,,,
सादर नमस्ते
मैं विश्व हिंदी सचिवालय का कार्यवाहक महासचिव व विश्व हिंदी समाचार पत्रिका का सम्पादक गुलशन सुखलाल हूँ...
आपके कार्यों, प्रयासों व विशेषकर आरम्भ का समर्थ-प्रशंसक भी...
कुछ वर्ष पहले बहुत कठिनाई से माइक्रोसॉफ्ट का हिंदी IME प्राप्त हुआ था... सीर्फ इंस्टॉल कर पाया.. बाँट नहीं पाया...
जब वह खराब हुआ तो काफी दिनों तक बाराहा से काम चलाया और उसका खूब प्रचार भी किया.. लेकिन अब शायद उसके लिए पैसे आदि की मांग होती है जो छात्र छात्राओं के लिए कठिनाई का कारण बना...
फिर एक दिन एक मित्र के माध्यम से 'आरम्भ' तक पहुँचा... अब खुद इस्तेमाल करता हूँ और प्रचार भी...
आपका प्रयास सराहनीय है और आप जैसे अन्य हिंदी सेवी मिलकर हिंदी को सुलभ बना रहे हैं.. आभार ...
विश्व हिंदी सचिवालय के त्रैमासिक सूचनापत्र 'विश्व हिंदी समाचार' के हालिया अंक में अपने सम्पादकीय में मैंने 'आरम्भ' और हिंदी टूलकिट का लिंक जोड़ा.. उसके लिए भी बहुत से आभार आए हैं जिनका मैं हकदार न होकर मात्र वाहक हूँ... "तेरा तुझको अर्पण" स्वीकरें...
सूचनापत्र की एक प्रति संलग्न करके भेज रहा हूँ...
इसके भावी अंकों में आपका भी योगदान हो पाए तो प्रसन्नता होगी...
आपका
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गंगाधरसिंह सुखलाल ' गुलशन '
कार्यवाहक महासचिव
विश्व हिंदी सचिवालय
प्रशंसा का शुक्रिया मित्र .
जवाब देंहटाएंगुण का अभाव नहीं है,
सराहने वालों का अभाव होता है
अच्छा लगा जानकर.
जवाब देंहटाएंअच्छाई का गुणगान होता ही है.बधाई.
जवाब देंहटाएंआप सचमुच बधाई के पात्र हैं।
जवाब देंहटाएं------
नमक इश्क का हो या..
पैसे बरसाने वाला भूत...