भारत में नगरों के नामों को बदलने का आगाज महानगर मुम्बई की जनता ने किया था। मुम्बई का नामकरण स्थानीय देवी मुंबा के नाम पर एवं स्थानीय मराठी भाषा के आधार पर किया गया है। कोलकाता का नाम देवी काली और स्थानीय बाग्ला भाषा के आधार पर बदला गया। मद्रास को भी स्थानीय तमिल भाषा के कारण चेन्नई नाम से बदल दिया गया। बैंगलोर को भी स्थानीय भाषा के अनुरूप बेंगलुरू कर दिया गया, त्रिवेंद्रम को तिरुवनंतपुरम एवं पॉन्डिचेरी अब पुडुचेरी हो गया है। इसके साथ ही देश के विभिन्न नगरों के नाम बदले जाने का प्रस्ताव भी है जिसमें देल्ही को दिल्ली या इंद्रप्रस्थ, अहमदाबाद को कर्णावती, इलाहाबाद को प्रयाग या तीर्थराज प्रयाग, पटना को पाटलिपुत्र, मुगलसराय को दीनदयालनगर, औरंगाबाद को सांभाजीनगर, लखनऊ को लक्ष्मणपुरी या लखनपुर या लखनावती, ओस्मानाबाद को धराशिव, फैजाबाद को साकेत, मध्य प्रदेश में जबलपुर का जाबालिपुरम, भोपाल का भोजपाल, उज्जैन का उज्जयिनी या अवन्तिका, अवंतिपुर, इंदौर का इंदुरधार या धारा नगरी, महेश्वर का माहिष्मति, मंदसौर का दशपुर, अमरकंटक का आम्रकुट, माडू का माडवगढ़, विदिशा का भिलसा या देश नगर, ओंकारेश्वर का माधाता और ग्वालियर का गोपगिरिया करने का प्रस्ताव है। इन नगरों के निवासियों नें अपनी दलीलों की तथ्यात्मक प्रस्तुति शासन के समक्ष रखी थी तभी शासन नें बरसों से चलते नामों को बदलने का प्रस्ताव मंजूर किया था।
रायपुर को ‘रइपुर’ या ‘रैपुर’ करने की हमारी मांग के पीछे हमारी भाषा की ताकत है कि हम इसे तब से ‘रइपुर’ या ‘रैपुर’ ही कहते आ रहे हैं जब से इस नगर को बसाया गया। ऐतिहासिक दस्तावेजों के अनुसार दक्षिण कोसल की इस बस्ती की स्थापना लगभग सन् 1405 में रतनपुर के हैहय राजवंश के लहुरी शाखा के राय ब्रह्मदेव ने की थी। राय ब्रम्हदेव ने इसे राजधानी बनाया, राय ब्रम्हदेव की राजधानी के कारण इस नगर का नाम पड़ा ‘राय का पुर - रायपुर’। राय ब्रम्हदेव के यहां राजधानी बनाने के पूर्व रायपुर के पास कोई बस्ती रही हो, इस बात के प्रमाण उपलब्ध नहीं है। ऐतिहासिक व पुरातात्विक तथ्यों के अतिरिक्त प्रो. डी.एस. मिश्र की कृति ‘बेमेतरा से बैरन बाजार’ से रायपुर के क्रमिक विकास को समझा जा सकता है।
देश में स्थानीय भाषा के आधार पर नगरों के नाम बदले गए है इस लिए हम और हमारे मित्र स्थानीय भाषा की प्राथमिकता के आधार पर रायपुर को ‘रइपुर’ (‘रैपुर’) व नया रायपुर को ‘नवा रइपुर’ किये जाने की मांग करते हैं। आप इस संबंध में अपना सुझाव हमें टिप्प णियों के माध्यरम से अवश्य देवें ताकि हम अग्रिम कार्यवाही हेतु अग्रजों से संपर्क कर रणनीति तय कर सकें।
संजीव तिवारी
उपर दिया गया चित्र - मित्र प्रमोद अचिन्त के द्वारा नाम बदलने के लिए मांग उठाने की याद दिलाने के लिए भेजा गया एसएमएस
रायपुर के नाव ला भले रइपुर, रैपुर धर दव, फ़ेर नवा राजधानी के नाम अभनपुर होना चाही :)
जवाब देंहटाएंइस बात पर विवाद की महती संभावना है। जब बुद्ध और तुलसीदास ने उनके समय में प्रचलित बोली और शब्दों का उपयोग किया। जब एक शब्द अपना दृश्य बना लेता है तो दूसरा शब्द उस दृश्य को वैसा नहीं बना पाता। जो स्वीकार्य लम्बे समय में अपनी जगह जमाता है वैसा दूसरा नहीं। जैसा आगरा का नाम बदलकर रखा गया था जो अब किसी को भी याद नहीं....
जवाब देंहटाएंरायपुर ही रहन दे एला भाई अउ फ़ेर नामकरण करनाच हे तो भ्रष्टाचारधानी करवा दे
जवाब देंहटाएंनाम से एक सम्बन्ध स्थापित हो जाता है।
जवाब देंहटाएंरायपुर ही सठिक लग रहा है !
जवाब देंहटाएंइसके बाद सारे घर के बदल डालियेगा जैसे जगदलपुर को जगदुगुडा :)
जवाब देंहटाएंभाई संजय तिवारी को जन्मदिन की ढेर सारी बधाइयाँ .
जवाब देंहटाएंआज ग्राम चौपाल www.ashokbajaj.com में आपके जन्मदिन पर फोटोग्राफी का विशेष उपहार .
नाम बदलने से काम बदल जाएं तो सब कुछ चलेगा
जवाब देंहटाएंइस विषय पर कोई जानकारी नहीं ... पर रायपुर से ही सब परिचित हैं .. मुंबई को आज भी लोंग बौम्बे या बम्बई कहते हैं
जवाब देंहटाएंआप ही ने लिखा है कि नगर का नाम राय ब्रह्मदेव के कारण रायपुर पड़ा। फिर रायपुर ही रहे तो क्या परेशानी है? ऐसे लोगों की भी संख्या कम नहीं जो इसे 'रायपुर' ही कहते हैं। नाम परिवर्तन से क्या मिलेगा?
जवाब देंहटाएं-हितेन्द्र
रायपुर के इतिहास के बारे में अच्छी जानकारी दी है आपने।
जवाब देंहटाएंरायपुर के नाम हा सहीं हे गा, काबर के राय का पुर होवय के सेती रायपुरे हा बने लागथे । अब रायपुर ला रैपुर नइते रयपुर कबो तो सबो जगा के नाम ला घलो निमारे ल परही गुंण्डरदेही गुररदही अउ बालोद के नाम ह बलउद हो जाही।
जवाब देंहटाएंVery nice post.
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