पिछले कुछ महीनों से
लगातार
और पिछले दिनों से
बार बार
पूछ रहा हूँ मैं
छत्तीसगढ़ के गांवों से ,
गांवों में रहने वाले
रोग ग्रस्त, गरीब
ग्रामीणों से,
बस्तर के जंगलों से,
जंगल में रहने वाले
लंगोटी पहने आदिवासियों से
रायपुर के एमजी रोड से,
वहॉं के दुकानों में
बारह-सोलह घंटे
जिल्लत से काम करते
नौकरों से
और भी कई ऐसे लोगों से
जिनका सचमुच में सीधा वास्ता है
जल जंगल और जमीन से
कि भाई, बिनायक सेन कौन है ?
मुझे किसी नें भी
नहीं बतलाया.
हैरान हूँ मैं ,
पूरी दुनिया जानती है उन्हें
छत्तीसगढ़ के शोषित पीडि़त
जन-जन के दधीचि के रूप में
किन्तु दुख है ?
छत्तीसगढ़ का जन उसे पहचानता नहीं है
फिर क्यूं पिछले कुछ महीनों से
लगातार
और पिछले दिनों से
बार बार
पूछ रहा हूँ मैं
कि भाई, बिनायक सेन कौन है
जिन्हें नहीं मिल पाया विदेशी अवार्ड
जिन्हें नहीं मिल पाया नामी वकील
जिन्हें नहीं मिल पाया विरोध का मुखर स्वर
जो आज भी न्याय के आश में बंद हैं
छत्तीसगढ़ व बस्तर के जेलों में.
मन, मत पूछ किसी से भी कुछ
क्योंकि कुछ लोग
कुछ भी कह देते हैं
और कुछ लोग
कुछ भी समझ लेते हैं
ऐसा पूछने से लोग मुझे
मानवता का दुश्मन समझ बैठेंगें.
संजीव तिवारी
चिन्तनीय।
जवाब देंहटाएंकितने बिनायक हैं यहॉं
जवाब देंहटाएंजिन्हें नहीं मिल पाया अंग्रेजी अवार्ड
जिन्हें नहीं मिल पाया नामी वकील
जिन्हें नहीं मिल पाया विरोध का मुखर स्वर
जो आज भी न्याय के आश में बंद हैं
छत्तीसगढ़ व बस्तर के जेलों में
कटु सत्य
भले ही सजा से पहले डॉ बिनायक सेन को कोई नहीं जानता हो पर अब सारा देश उन्हे जानता है और उनके समर्थन में एकजुट है।
जवाब देंहटाएंनंदिता हक्सर द्वारा संपादित एक पुस्तक मैंने दो-तीन साल पहले पढ़ी थी- Indian Doctor In Jail : The Story Of Binayak Sen इस परिप्रेक्ष्य में इससे अधिक गंभीर तथ्य और जानकारियों वाली कोई सामग्री मेरे देखने में नहीं आई.
जवाब देंहटाएंमैं समझ नहीं पा रहा कि आपकी कविता का अभिधेयार्थ निकाला जाए या व्यंग्यार्थ ? अपनी अक्षमता पर मुझे खेद है .
जवाब देंहटाएंअदालत और अखबारों की मेहरबानी से अब सब जान गये हैं ।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन रचना। बधाई।
जवाब देंहटाएंनव वर्ष 2011 की अनेक शुभकामनाएं !
नव वर्ष 2011 की हार्दिक शुभकामनाएं
चुड़ैल से सामना-भुतहा रेस्ट हाउस और सन् 2010 की विदाई
http://sumitdasmahant.blogspot.com
जवाब देंहटाएंएला एड कर लेहू हमर छत्तीसगढ मा।
नव वर्ष की शुभकामनाएं !
जवाब देंहटाएंविनायक सेन जो काम छत्तीसगढ में कर रहे थे वही काम बंगाल में करके दिखायें । जिन अंग्रेजों ने भारतीय क्रान्तिकारियों के साथ बर्बर अत्याचार किया , वे ही आज विनायक सेन के साथ नरम रुख अपना रहे हैं , यह आश्चर्य की बात है । " परोपदेशे पाण्डित्यम् सर्वत्र सुकरं नृणाम् । "
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