राज्य स्थापना की दसवीं वर्षगांठ के अवसर पर दिये जाने वाले 23 सम्मानों /पुरस्कारों की घोषणा राज्य शासन ने कर दी है। इसमें 26 लोगों को आज 1 नवंबर को शाम 6.30 बजे साइंस कालेज ग्राउंड में राज्य अलंकरण से सम्मानित किया जाएगा। समारोह में प्रदेश की विभूतियों के नाम से विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय कार्यो के लिए सम्मान दिया जाएगा।
इन अलंकरणों में पं.सुन्दरलाल शर्मा पुरस्कार राज्य में साहित्य के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिये दिया जाता रहा है, इस वर्ष राज्य शासन द्वारा पं.सुन्दरलाल शर्मा सम्मान के लिये संयुक्त रूप से जिन नामों की घोषणा की गई है, उसमें से डॉ.उज्वल पाटनी के नाम पर हमें आपत्ति है। साहित्य के लिये दिया जाने वाला पं.सुन्दरलाल शर्मा सम्मान इस वर्ष संयुक्त रूप से डॉ.उज्वल पाटनी एवं डॉ.विनय कुमार पाठक को दिया गया है। डॉ. उज्वल पाटनी का नाम इस सम्मान में 'घुसेडने' के लिये इस सम्मान को साहित्य और आंचलिक साहित्य के रूप में विभक्त कर दिया गया।
प्रदेश सरकार द्वारा डॉ.उज्वल पाटनी को साहित्यकार के रूप में थोपे जाने का यह निंदनीय प्रयास है, डॉ.उज्वल पाटनी पेशे से दांतों के डाक्टर हैं और व्यक्तित्व विकास की क्लास लेते रहे हैं, इन्होंनें व्यक्तित्व विकास पर ही किताबें लिखी हैं जिसका अनुवाद अन्य विदेशी भाषाओं में भी हुआ है, दूसरों को अपने व्यक्तित्व को प्रभावशाली बनाने का ट्रिक बताने वाले इस मायावी नें स्वयं अपने व्यक्तित्व को राज्य शासन के सम्मुख ऐसा प्रस्तुत किया कि रातो रात प्रदेश के बरसों से साहित्य सेवा कर रहे साहित्यकार दरकिनार कर दिये गए और जादुई ट्रिक सिखाने वाली किताब के लेखक को प्रदेश का सर्वोच्च साहित्य सम्मान हेतु चुन लिया गया।
हम राज्य शासन के इस चयन का विरोध करते हैं, छत्तीसगढ की साहित्य बिरादरी, लेखन धर्मियों के लिये आज का यह दिन काला दिन के रूप में याद किया जायेगा। इस पर पुन: लिखूंगा ... अभी ...
डॉ. विनय कुमार पाठक जी को बधाई एवं छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना दिवस की आप सभी को शुभ कामनायें।
सरकारी तंत्र को क्या हो गया है क्या उन्हें कोई और साहित्यकार नही मिला था छत्तीसगढ़ में ? डां उज्जव पाटनी को मै साहित्यकार की श्रेणी में कभी नही मानता, हो सकता है पर्सनालटी डवलेपमेंट में उनकी अच्छी पकड़ हो पर साहित्य में उनका क्या योगदान है ? समझ से परे है उनके जैसे तथाकथित साहित्यकारो के लिखे गए किताब(कट,कापी.पेस्ट) रेल्वे स्टेशनों के स्टालो में ही शोभा बढ़ाते है वाकई छत्तीसगढ़ सरकार का ये कदम काफी निंदनीय है ..... शेम शेम शेम
जवाब देंहटाएंसाहित्य के मैदान में डां उज्वल पाटनी इस खिलाडी का नाम तो मैं पहली बार सुन रहा हूं। शायद इस विधा से जुडे सभी पाठक लेखक के लिए नया नाम हो खैर पाटनी जी का कोई दोष नहीं, हमें तो इन्तजार है जुरी कमेटी के महानुभवों की जिसने इस नाम का चयन किया कम से कम उसकी विद्वता तो पता चल ही जाएगा ।
जवाब देंहटाएंचिन्तनीय।
जवाब देंहटाएंतिवारी साहब
जवाब देंहटाएंनमस्कार, आप का नया प्रशंसक हूँ ,आप की निर्भीकता अनुकरण के योग्य है .
निश्चित ही चिंता का विषय है ।
जवाब देंहटाएंसियासतदानों और उनके दरबानों को मैं इस तर्क के बिना पर मुआफ़ कर रहां हूं कि अनपढ लोगों को शिक्चित करने की ज़िम्मेदारी से हम मुकर नहीं सकते पर मूर्खों को बुद्धिमान बनाने का ठेका साहित्यकारों ने नहीं लिया है।
जवाब देंहटाएंबज में प्राप्त कमेंट :-
जवाब देंहटाएंGirish Pankaj - BADHAI SANJIV IS SAHASIK LEKH KE LIYE. YAH SHARMNAK HAI. KAL MAINE SADHANA TV KE KARYKRAM MEY BHI YAHI BAAT KAHI. PATANI NAMAK DR.KAB SAHITYKAR HO GAYA? VYAKTITVA VIKAAS PAR DO-CHAR KITABE LIKHANE SE KOI SAHITYAKAAR NAHI BAN JATA. MUJHE SHARM UN LOGON PAR AA RAHI HAI, JINHONE DR. PATANI KA CHAYAN KIYA. AUR APNE DIMAG KA DIVALIYAPAN JAHIR KAR DIYA. HE RAAM.....
Dr. Mahesh Sinha - सभी सरकारी सम्मानों का यही हाल है.
Satish Chouhan - संजीव जी अपने प्रदेश के लगभग हर विभाग का यही हाल हैं चाउर वाले बाबा के राज में भुखे नंगे और चापलूस ही चलेगें आप तो
बस की बोर्ड पीटिऐ या कलम रगडिऐ कुछ होने से रहा ..........सतीश कुमार चौहान भिलाई
आपकी चिंता जायज़ है !
जवाब देंहटाएंआपसे अक्षरश: सहमत हूँ।
जवाब देंहटाएंअंधरा बन बइठिस धरमराज ,कोल्हिया ओखर कानूनबाज,
जवाब देंहटाएंकइसन मा आही सुखद - सुराज,चारो - मुड़ा हे जंगल राज .
बघुवा बैरागी बनगे,कुकुर घलो तियागी बनगे,
हुन्डरा मन रागी बनगे,चितवा अनुरागी बनगे.
डोमी सिपइहा बनगिन आज...
हंसा मन दागी बनगे , कौवा बड़भागी बनगे,
जुगनू मन आगी बनगे,कुकरा मन बागी बनगे.
अजगर मन पहिरे हे ताज...
गदहा मन ज्ञानी बनगे , हाथी अज्ञानी बनगे,
भलुवा मन दानी बनगे,तेंदुवा बलिदानी बनगे.
पापी गावत हें सुर साज...........
ज्ञानी-गुनी डा. विमल कुमार पाठक जी को हार्दिक बधाइयां
सहमत!! चिंता का विषय!
जवाब देंहटाएंgood subject. wirodh ki baat karanaa hi asalee wirodh hai. himmat bani rahe
जवाब देंहटाएंपोस्ट की पहली पंक्ति दुरुस्त करने के लिए- कुल 24 सम्मान-पुरस्कारों में से महाराजा प्रवीरचंद भंजदेव सम्मान (तीरंदाजी) और महाराजा रामानुज प्रताप सिंहदेव सम्मान(श्रम) इस वर्ष निरंक रहा, शेष 22 में से दो के संयुक्त ग्रहिता रहे और दो के 2009 के लंबित ग्रहिता, इस प्रकार कुल 26 व्यक्ति/संस्थाएं, सम्मानित हुए. पद्म पुरस्कारों और राज्य सम्मान में भी दुर्ग-भिलाई का दबदबा दिखाई देता है और इसका एक प्रमुख कारक सम्मान-पुरस्कारों के प्रति जागरूकता और उद्यम भी है, जो इस अंचल में प्रतिभा के साथ पर्याप्त रूप में है.
जवाब देंहटाएंder se aaya lekin asehmat hone ka koi karan hi nahi hai. aapki baat se pure taur par sehmat hun.
जवाब देंहटाएंनिर्भीक लेख संजीव भी. आभार. डाक्टर साहब ला बधाई.
जवाब देंहटाएंधनतेरस के हार्दिक सुभ कामना.
दीपावली के इस शुभ बेला में माता महालक्ष्मी आप पर कृपा करें और आपके सुख-समृद्धि-धन-धान्य-मान-सम्मान में वृद्धि प्रदान करें!
जवाब देंहटाएंबदलते परिवेश मैं,
जवाब देंहटाएंनिरंतर ख़त्म होते नैतिक मूल्यों के बीच,
कोई तो है जो हमें जीवित रखे है,
जूझने के लिए है,
उसी प्रकाश पुंज की जीवन ज्योति,
हमारे ह्रदय मे सदैव दैदीप्यमान होती रहे,
यही शुभकामनाये!!
दीप उत्सव की बधाई...................
दीपावली की बहुत बहुत बधाई.
जवाब देंहटाएंआप के विचारों से सहमत हूँ.