भिलाई में इन दिनों नगर पालिक निगम द्वारा अवैध कब्जा हटाओ अभियान चलाया जा रहा है. इस अभियान में पूरी की पूरी बस्ती को उजाड कर करोडो की जमीन अवैध कब्जों से छुडाई जा रही है. लोगों से पूछो तो ज्यादातर का कहना है कि निगम द्वारा व्यवस्थापन कर इन्हें दूसरा मकान दे दिया गया है पर ये निगम द्वारा दिये गये मकान को उंची कीमत में बेंचकर यहां कब्जा जमाए हुए है. यह सच भी है कि भिलाई में कई ऐसे झुग्गी झोपडी में रहने वाले करोडपति हैं. और इन्हें अवैध कब्जा करने के जहां भी मौके मिलते हैं जमीन कब्जा कर लेते हैं और पहले कब्जा की गई जमीन को उंची दाम में बेच देते हैं. अब सही कुछ भी हो, घर से बेघर होने के कुछ चित्र मेरे मोबाईल कैमरे की नजर से ----
अपने टूटते घर को देखकर बिलखती एक बालिका
बेधरबार हुए एक वृद्ध महिला से टीवी वाले ने लिया साक्षात्कार
झपटता रहा तोडक मशीन
नगर निगम के डंडा छाप सुरक्षा कर्मचारियों के साथ
अपने अंतिम समय में वसीयत में अब क्या लिखवायें
पुलिस तो है प्रशासन का मौसेरा भाई
नेताओं नें भी इससे अपनी राजनीति चमकाई
और मुहल्ले का अंतिम घर भी टूटा
साहब का आदेश पूरा हुआ : नगर निगम के अधिकारी
अब यही होटल कम माल बनेगा यहां
फ़िर चला डंडा प्रशासन का
जवाब देंहटाएंवादा पुरा हुआ सुशासन का
देख लेना अभी और होगा
चीर हरण इस दु:शासन का
पैसे से ज्यादा किमत इनके आसियाँ की है।
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जवाब देंहटाएंतुगलकी नौकरशाह ऎसी फ़रमान जारी करते तो हैं,
पर क्या उन्हें विस्थापन से पूर्व पुनर्स्थापन की योजना कार्यान्वित करने की सुध नहीं आती ।
बरसों की सँचित अभिलाषाओं को एक स्थान से उखाड़ कर कैसा सुँदरीकरण ?
bahutmaarmik baat liki hai aapne sanjeevji. aapki baato se bagdsr ho rahe logon kaa dard bhi dikhataa hai our paisevalo kaa khel bhi dikhata hai. nice.
जवाब देंहटाएंजनसंख्या वृद्धि पर अविलम्ब रोक लगाई जाना चाहिये. चार जनों की पारिवारिक इकाई पर अधिकतम एक मकान की व्यवस्था हो तथा हर परिवार को मकान का संवैधानिक अधिकार दिया जाना चाहिये. सरकारों को बिल्डरों, जोकि भूमि माफिया बन चुके हैं, पर तुरन्त रोक लगाना चाहिये, ये कम कीमत पर अधिक जमीन खरीदते हैं और फिर उसकी ब्लैक-मार्केटिंग करते हैं.
जवाब देंहटाएंअत्यंत दुखद !
जवाब देंहटाएंऐसी बसाहट के पहले प्रशासन अंधा और बाद में बहरा क्यों होता है ? प्रशासन का चेहरा मानवीय क्यों नहीं होना चाहिये ? उसकी विकास योजनाओं में ऐसी क्या कमी है जो इस तरह की बस्तियों की गुंजायश बनी रहती है ? और भी प्रश्न हैं पर मैं आपसे क्यों कर रहा हूँ ? शायद मेरा माथा फिर गया है ! टीवी स्क्रीन पर रोती हुई बच्ची ...हममें से किसी एक की होती तो ? मैं उसे भूल नहीं पा रहा हूँ !
ज़िंदगी फुटपाथ की उखड गयी सब है!!....कहने को अब सांस बाकी है क्या कम है बंधु....लेकिन अब और दिन नहीं शेष की यह सब कुछ छीन ले जायेंगे!
जवाब देंहटाएंजोर वाला पहले कब्जा करता है । फिर उस जमीन को गरीबों को बेचता है। फिर गरीब उजाड़े जाते हैं।
जवाब देंहटाएंइस बस्ती के लोगों को विस्थापित करने हेतु घर दिये गये, इन्होने उस घर को बेच दिया और यहां कब्जा कायम रखा, यदि यह सच है तो प्रशासन ने जो किया ... गलत क्या किया !!!!
जवाब देंहटाएंफोटो भावनात्मक रूप स्ै सार्थक ही नही बेहतर हैं पर यहां इस बात की भी गुजा्इश हैं की शहर के बीचोबीच कीमती जमीन पर कहीं जमीनखोर लोग तो नहीं बैठे हैं वैसे भी शहर में ऐसे लोगों का ही वर्चस्व हैं जो गरीबी का मैडल छाती पर लगाऐ फ्री की जमीन,बीजली,पानी स्कूल और राशन पर शहर की ऐसी तैसी कर रहे हैं जरा खून पसीने की कमाई से इस शहर में 500 फीट जमीन का टुकडा इसी नगर निगम से खरीदो फिर साल दर साल टैक्स पटाओ एक बिल्डीग परमिशन के लिऐ साल भर चक्कर लगाओ, इसलिऐ ऐसा आवश्यक भी हैं ,गरीबो से हमदर्दी तो हैं पर इंसान को सुविधा से सुस्त नही होना चाहिये, हां उन जनप्रतिनीधियो और भष्ट्र निगम अफसरो को भी लतीया जाऐ जिनके संरक्षण में ये आशियाने बने थे आपके सजीव फोटो सेशन पर धन्यवाद
जवाब देंहटाएंसतीश कुमार चौहान ,भिलाई
आपके कैमरे ने सच से सामना कर द्रवित कर दिया .
जवाब देंहटाएंदिल के अरमाँ आँसुओं में बह गये!
जवाब देंहटाएंऔर ये तमाम लोग उस मॉल और होटल को दूर से देखेंगे..
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