विजय वर्तमान चंदैनी-गोंदा को प्रत्यक्षतः देखने, जानने, समझने और समझा सकने वाले लोग अब गिनती के रह गए हैं। किसी भी विराट कृति में बताने को बहुत कुछ होता है । अब हमीं कुछ लोग हैं जो थोड़ा-बहुत बता सकते हैं । यह लेख उसी ज़िम्मेदारी के तहत उपजा है...... 07 नवम्बर 1971 को बघेरा में चंदैनी-गोंदा का प्रथम प्रदर्शन हुआ। उसके बाद से आजपर्यंत छ. ग. ( तत्कालीन अविभाजित म. प्र. ) के लगभग सभी समादृत विद्वानों, साहित्यकारों, पत्रकारों, समीक्षकों, रंगकर्मियों, समाजसेवियों, स्वप्नदर्शियों, सुधी राजनेताओं आदि-आदि सभी ने चंदैनी-गोंदा के विराट स्वरूप, क्रांतिकारी लक्ष्य, अखण्ड मनभावन लोकरंजन के साथ लोकजागरण और लोकशिक्षण का उद्देश्यपूर्ण मिशन, विस्मयकारी कल्पना और उसका सफल मंचीय प्रयोग आदि-आदि पर बदस्तूर लिखा। किसी ने कम लिखा, किसी ने ज़्यादा लिखा, किसी ने ख़ूब ज़्यादा लिखा, किसी ने बार-बार लिखा। तब के स्वनामधन्य वरिष्ठतम साहित्यकारों से लेकर अब के विनोद साव तक सैकड़ों साहित्यकारों की कलम बेहद संलग्नता के साथ चली है। आज भी लिखा जाना जारी है। कुछ ग़ैर-छत्तीसगढ़ी लेखक जैसे परितोष चक्रवर्ती, डॉ हनुमंत नायडू जैसों
छलिया
तूने छला है मुझे
बार बार मेरी आंखों में
अंतस तक भींग जाने का स्वप्न दिखाकर
दूर कहीं क्षितिज में
खो गया है.
और मैं
तेरा बाट जोहती
अंजुरी में बुझ चुके
त्यौहारों का दीप जलाती
ठेठरी खुरमी और लाई बतासा लिये
दरकते खेतों में
अपलक निहारते
खड़ी हूं.
मेरे आंखों से टपकते अश्रु
और बदन से टपके श्रमसीकर से
मैं अपने खेतों की
प्यास नहीं बुझा पाउंगी.
तू आ तो
मेरे खुशियों में
पानी फेरने के लिए ही सही.
संजीव तिवारी
तूने छला है मुझे
बार बार मेरी आंखों में
अंतस तक भींग जाने का स्वप्न दिखाकर
दूर कहीं क्षितिज में
खो गया है.
और मैं
तेरा बाट जोहती
अंजुरी में बुझ चुके
त्यौहारों का दीप जलाती
ठेठरी खुरमी और लाई बतासा लिये
दरकते खेतों में
अपलक निहारते
खड़ी हूं.
मेरे आंखों से टपकते अश्रु
और बदन से टपके श्रमसीकर से
मैं अपने खेतों की
प्यास नहीं बुझा पाउंगी.
तू आ तो
मेरे खुशियों में
पानी फेरने के लिए ही सही.
संजीव तिवारी
संजीव भाई बहुत सुंदर, दिल को छूती कविता है।
जवाब देंहटाएंआपकी काव्य यात्रा से पूरा परिचय अभी होना बाकी है, इस कविता के लिए यही कहूँगा कि इसे मौलिक संवेदना के साथ ही लिखा जा सकता है. बधाई भाई.
जवाब देंहटाएंbahut sunder sanjeev ji .. bahut hi sunder .
जवाब देंहटाएंतू आ ,
जवाब देंहटाएंमेरी खुशियों पे
पानी फेरने के लिए ही सही !
सुंदर भाव हैं !शुभ