
नाट्य समारोह के पहले दिन विजयदान देथा की कहानी `दुविधा'का मंचन किया गया । कथा गायन वाचन की लुप्त होती हुई शैली द्वारा अजय कुमार ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया । कहानी के प्रमुख पात्रों में मायापति सेठ, सेठानी, दूल्हा-दुल्हन, भूत, गड़रिया, भली स्त्रियों सहित गाँव के सामूहिक विचार को भी अजय कुमार ने अपनी विलक्षण अभिनय क्षमता द्वारा अकेले ही साकार कर दिखाया । अनिल मिश्रा और सुशील शर्मा के सुर और ताल से सजी यह प्रस्तुति स्त्री की इच्छा और उसकी भावनाओं तथा सामाजिक मर्यादा के द्वंद्व की कथा है । अजय कुमार ने अपनी भाव भंगिमाओं के साथ पैर में बंधे घुंघरुओं का प्रयोग इतने अनूठे तरीके से किया कि समूची की समूची कथा मन को उद्वेलित करती हुई, आल्हादित करती हुई आँखों के जरिए भीतर उतरती चली गई ।
दूसरे दिन अपने व्याख्यान में नामवर सिंह ने कहा, `राम की शक्ति पूजा' के ऐसे समर्थ पाठ के बाद भाषण, कयामत नहीं हिमाकत है । `संस्कृति और राजनीति' का अर्थ वह नहीं है जो शब्दकोश में लिखा है । अर्थ वह होता है जो लोक में प्रचलित होता है । मुंबई जैसी घटनाओं के बाद संस्कृति शब्द सुनते ही भय का बोध होता है, निर्माण का नहीं । नरेन्द्र देव जी से सुना था,`संस्कृति चित्त भूमि की खेती है ।' संस्कृति वह खेती है जो चित्त की भूमि पर की जाती है । राजनीति का अर्थ लोक जीवन में वह नहीं रह गया है । एक तरह की कुर्सी दौड़ राजनीति हो गई है । मैं मेथड पर चर्चा अधिक करना चाहता हूँ । अस्सी के चौराहे पर `व्यवस्था' भंग के लिए और `कार्यक्रम' शब्द का प्रयोग शराब के लिए किया जाता है । कूट भाषाओं के बीच से हम देखें । संस्कृति मंत्रालय लगभग टूरिज्म जैसे व्यवसाय में बदल गया है । गल्ला बेचने वाले चित्तभूमि की खेती कैसे करेंगे ? तक्षशिला और सारनाथ की खुदाई अंग्रजी राज में हुई । अपनी संास्कृतिक धरोहर को पहचाने और उसकी रक्षा करें । उसकी उपेक्षा करने से अप संस्कृति अधिक विकसित हुई है । अध्यक्षीय आसंदी से विनोद कुमार शुक्ल ने अपनी कविताओं का पाठ किया । `कविता विमर्श' के अन्तर्गत रामकुमार तिवारी, हरिओम राजोरिया, एकांत श्रीवास्तव, बद्रीनारायण, नवल शुक्ल और राजेश जोशी ने अपनी अपनी चुनी हुई कविताएँ सुनाइ ।
(आगे इस आयोजन के संबंध में नाट्य समीक्षा एवं अन्य जानकारी हम यहां देने का प्रयास करेंगें )
सही बात है कि संस्कृति वह खेती है जो चित में की जाती है.
जवाब देंहटाएंइतनी सारी अहम् जानकारीयां लाने के लिये धन्यवाद।
इस आयोजन रिपोर्ट से छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक विरासत और चिंतनधारा का परिचय मिलता है।
जवाब देंहटाएंइस प्रकार के समारोह देश नहीं पाते, पर आपके ब्लॉग पर पढ़ना अच्छा लगा।
जवाब देंहटाएं... इस जिन्दगी में अच्छी गतिविधियों के लिये समय का टोटा क्यों है? काश समय मन मर्जी से मिल पाता!
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