भाषा के लिये आवश्‍यक है योग्‍य व्‍याकरण (Grammer) का होना

मानक छत्‍तीसगढी व्‍याकरण एवं छत्‍तीसगढी शव्‍दकोश

छत्‍तीसगढ राज्‍य के निर्माण के साथ ही छत्‍तीसगढी भाषा को राजभाषा का दर्जा भी दे दिया गया । अब इस भाषा के विकास के लिये सरकार की सुगबुगाहट के साथ ही स्‍वैच्छिक रूप से क्षेत्र के विद्वानों के द्वारा सहानुभूतिपूर्वक सक्रियता दिखाई जा रही है । भाषा के मानकीकरण के लिये ख्‍यात भाषाविद डॉ.चित्‍तरंजन कर एवं प्रदेश की एकमात्र नियमित छत्‍तीसगढी भाषा की पत्रिका ‘लोकाक्षर’ नें अपने प्रयास आरंभ कर दिये हैं । छत्‍तीसगढ में भाषा के विकास के लिये ‘व्‍याकरण’ एवं ‘शव्‍द कोश’ पर निरंतर गहन शोध व संशोधन हुआ है एवं समय समय पर छत्‍तीसगढी व्‍याकरण व शव्‍द कोश का प्रकाशन भी होते रहा है । व्‍याकरण के लेखक चाहे जो भी हों किन्‍तु प्रत्‍येक प्रकाशन के साथ ही इसमें निखार आता गया है । छत्‍तीसगढ में छत्‍तीसगढी सहित अन्‍य कई बोलियां बोली जाती है, छत्‍तीसगढी भाषा में भी स्‍थान स्‍थान के अनुसार से किंचित भिन्‍नता है इस कारण छत्‍तीसगढी के मानक व्‍याकरण की बहुत समय से प्रतीक्षा थी । इस प्रतीक्षा को दूर किया चंद्र कुमार चंद्राकर जी की कृति ‘मानक छत्‍तीसगढी’ नें ।

छत्‍तीसगढ की क्षेत्रीयता और जातिभेद से उपजी सभी उप बोलिंयों के मानक रूप पर आधारित यह ‘मानक छत्‍तीसगढी व्‍याकरण’ महज एक श्रेष्‍ठ कृति नहीं, आज की आवश्‍यकता है एवं भविष्‍य में भाषा के विकास के लिये एक आवश्‍यक अंग है । इस कृति में व्‍याकरण के सभी पक्षों पर सोदाहरण गहन विवेचना किया गया है । इस ग्रंथ में समानार्थी, विरूद्धार्थी, पर्यायवाची, अनेकार्थी, अनेक शव्‍दों के स्‍थान पर एक शव्‍द तथा शव्‍दों के लिंग-भेद की विस्‍तृत विवेचना, विविध प्रकार के वाक्‍य दोष तथा मुहावरों एवं लोकोक्तियों के वाक्‍य प्रयोग के साथ कोश देने से ‘मानक छत्‍तीसगढी व्‍याकरण’ का महत्‍व और बढ गया है । भाषा के विकास में चंद्र कुमार चंद्राकर जी का यह योगदान अत्‍यंत प्रसंशनीय है ।

इस व्‍याकरण के साथ ही चंद्र कुमार चंद्राकर जी की कृति  ‘छत्‍तीसगढी शव्‍दकोश’ भी अत्‍यंत सराहनीय एवं संग्रहणीय है । चंद्राकर जी का यह शव्‍दकोश, छत्‍तीसगढी में अब तक का सबसे बडा शव्‍दकोश है, इसमें 27000 शव्‍द हैं । शव्‍दों के सहीं अर्थ अभिव्‍यंजित होने के कारण सुविज्ञ पाठकों नें इसे ‘श्रेष्‍ठ कोश’ के रूप में स्‍वीकारा हैं । अनेकों विलुप्‍त शव्‍दों को जीवंत करनेवाला यह कोश छत्‍तीसगढी भाषा प्रेमियों, शोधार्थियों एवं विद्यार्थियों के लिए अनुपम उपहार है ।
इस कोश का संशोधित एवं परिर्वधित रूप अतिशीध्र प्रकाशन को जा रहा है, जिसमें शव्‍द-संख्‍या में श्री वृद्धि भी हुई है साथ ही शव्‍दों की उत्‍पत्ति भी दर्शाई गई है ताकि अर्थ में विश्‍वसनीयता बढे । इसमें शब्‍दों के उदाहरण भी दिये गये हैं, इन सब के कारण व मुहावरों के प्रयोग आदि से अभिधा, लक्षणा एवं व्‍यंजना तीनों शव्‍दशक्तियों में अर्थ का द्योतन होने लगा है ।इनके व्‍याकरण की ही तरह यह शव्‍दकोश भी निश्‍चय ही छत्‍तीसगढी भाषा-विकास के पथ का ‘मील का पत्‍थर’ होगा ।
संजीव तिवारी

‘श्री चंद्राकर नें यह शब्‍दकोश पूर्ण समर्पण भाव से तैयार कर के छत्‍तीसगढी की प्रतिदिन होती जा रही आधिकारिक प्रगति के यज्ञ में अपने सार्थक परिश्रम की हवि प्रस्‍तुत की है । चूँकि यह कोश छत्‍तीसगढी के अभी तक प्रकाशित शब्‍दकोशों में सर्वाधिक शब्‍दों को अपने कलेवर में समेटे हुए है, इसलिये इस का स्‍वागत छत्‍तीसगढ की सारी मेजों द्वारा किया जाना निश्चित है । इस की सार्वजनिक उपयोगिता को नकारना किसी के लिए भी संभव नहीं है, क्‍योंकि यह छत्‍तीसगढी-भाषियों के लिए ही नहीं, अन्‍यों के लिये भी वक्‍त की माँग को पूरा करता है ।‘ डॉ.(प्रो.) रमेश चंद्र महरोत्रा


मानक छत्‍तीसगढी व्‍याकरण 
लेखक – चंद्र कुमार चंद्राकर
प्रकाशक – शताक्षी प्रकाशन, रायपुर
मूल्‍य – 395/- रूपये

छत्‍तीसगढी शव्‍दकोश
लेखक – चंद्र कुमार चंद्राकर
प्रकाशक – श्री प्रकाशन, दुर्ग
मूल्‍य – 505/- रूपये

लेखक परिचय
 
नाम : चंद्र कुमार चंद्राकर
जन्‍म तिथि : 23.01.1962 जन्‍म स्‍थान : ग्राम चौरेल, तह. गुण्‍डरदेही, जिला दुर्ग (छ.ग.)
माता : स्‍व.श्रीमती गिरिजा बाई चंद्राकर पिता : श्री गंगा प्रसाद चंद्राकर
संगिनी : श्रीमति उपासना चंद्राकर
शिक्षा : एम.ए., एम.फिल (भूगोल)
कृतियॉं : 1. छत्‍तीसगढी व्‍याकरण 2. छत्‍तीसगढ की वर्तनी 3. छत्‍तीसगढी कहावतें एवं लोकोक्तियॉं 4. छत्‍तीसगढी हंसौला संग्रह
संप्रति : प्राचार्य, संत राजाराम शदाणी नागरिक महाविद्यालय, डौंडी लोहारा, जिला दुर्ग, (छ.ग.)
संपर्क : ग्राम अरजुन्‍दा, तह. गुण्‍डरदेही, जिला दुर्ग (छ.ग.)
मो. : 094241 14632

6 टिप्‍पणियां:

  1. इन पुस्तकों के परिचय के लिये बहुत धन्यवाद संजीव।

    जवाब देंहटाएं
  2. क्या बस्तर के लोगों ने च्चत्तीसगढी को स्वीकार कर लिया है? जानकारी के लिए आभार.

    जवाब देंहटाएं
  3. बिना व्याकरण के तो भाषा की कल्पना भी नहीं की जा सकती।
    इस जानकारी के लिये आभार।

    जवाब देंहटाएं
  4. "नव वर्ष २००९ - आप सभी ब्लॉग परिवार और समस्त देश वासियों के परिवारजनों, मित्रों, स्नेहीजनों व शुभ चिंतकों के लिये सुख, समृद्धि, शांति व धन-वैभव दायक हो॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰ इसी कामना के साथ॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰ नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं "
    regards

    जवाब देंहटाएं
  5. नववर्ष की ढेरो शुभकामनाये और बधाइयाँ स्वीकार करे . आपके परिवार में सुख सम्रद्धि आये और आपका जीवन वैभवपूर्ण रहे . मंगल कामनाओ के साथ .धन्यवाद.

    जवाब देंहटाएं
  6. आप और आपके परिवार को नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं. नव वर्ष आपके जीवन में सुख और शान्ति लाये.

    जवाब देंहटाएं

आपकी टिप्पणियों का स्वागत है. (टिप्पणियों के प्रकाशित होने में कुछ समय लग सकता है.) -संजीव तिवारी, दुर्ग (छ.ग.)

लेबल

संजीव तिवारी की कलम घसीटी समसामयिक लेख अतिथि कलम जीवन परिचय छत्तीसगढ की सांस्कृतिक विरासत - मेरी नजरों में पुस्तकें-पत्रिकायें छत्तीसगढ़ी शब्द Chhattisgarhi Phrase Chhattisgarhi Word विनोद साव कहानी पंकज अवधिया सुनील कुमार आस्‍था परम्‍परा विश्‍वास अंध विश्‍वास गीत-गजल-कविता Bastar Naxal समसामयिक अश्विनी केशरवानी नाचा परदेशीराम वर्मा विवेकराज सिंह अरूण कुमार निगम व्यंग कोदूराम दलित रामहृदय तिवारी अंर्तकथा कुबेर पंडवानी Chandaini Gonda पीसीलाल यादव भारतीय सिनेमा के सौ वर्ष Ramchandra Deshmukh गजानन माधव मुक्तिबोध ग्रीन हण्‍ट छत्‍तीसगढ़ी छत्‍तीसगढ़ी फिल्‍म पीपली लाईव बस्‍तर ब्लाग तकनीक Android Chhattisgarhi Gazal ओंकार दास नत्‍था प्रेम साईमन ब्‍लॉगर मिलन रामेश्वर वैष्णव रायपुर साहित्य महोत्सव सरला शर्मा हबीब तनवीर Binayak Sen Dandi Yatra IPTA Love Latter Raypur Sahitya Mahotsav facebook venkatesh shukla अकलतरा अनुवाद अशोक तिवारी आभासी दुनिया आभासी यात्रा वृत्तांत कतरन कनक तिवारी कैलाश वानखेड़े खुमान लाल साव गुरतुर गोठ गूगल रीडर गोपाल मिश्र घनश्याम सिंह गुप्त चिंतलनार छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग छत्तीसगढ़ वंशी छत्‍तीसगढ़ का इतिहास छत्‍तीसगढ़ी उपन्‍यास जयप्रकाश जस गीत दुर्ग जिला हिन्दी साहित्य समिति धरोहर पं. सुन्‍दर लाल शर्मा प्रतिक्रिया प्रमोद ब्रम्‍हभट्ट फाग बिनायक सेन ब्लॉग मीट मानवाधिकार रंगशिल्‍पी रमाकान्‍त श्रीवास्‍तव राजेश सिंह राममनोहर लोहिया विजय वर्तमान विश्वरंजन वीरेन्‍द्र बहादुर सिंह वेंकटेश शुक्ल श्रीलाल शुक्‍ल संतोष झांझी सुशील भोले हिन्‍दी ब्‍लाग से कमाई Adsense Anup Ranjan Pandey Banjare Barle Bastar Band Bastar Painting CP & Berar Chhattisgarh Food Chhattisgarh Rajbhasha Aayog Chhattisgarhi Chhattisgarhi Film Daud Khan Deo Aanand Dev Baloda Dr. Narayan Bhaskar Khare Dr.Sudhir Pathak Dwarika Prasad Mishra Fida Bai Geet Ghar Dwar Google app Govind Ram Nirmalkar Hindi Input Jaiprakash Jhaduram Devangan Justice Yatindra Singh Khem Vaishnav Kondagaon Lal Kitab Latika Vaishnav Mayank verma Nai Kahani Narendra Dev Verma Pandwani Panthi Punaram Nishad R.V. Russell Rajesh Khanna Rajyageet Ravindra Ginnore Ravishankar Shukla Sabal Singh Chouhan Sarguja Sargujiha Boli Sirpur Teejan Bai Telangana Tijan Bai Vedmati Vidya Bhushan Mishra chhattisgarhi upanyas fb feedburner kapalik romancing with life sanskrit ssie अगरिया अजय तिवारी अधबीच अनिल पुसदकर अनुज शर्मा अमरेन्‍द्र नाथ त्रिपाठी अमिताभ अलबेला खत्री अली सैयद अशोक वाजपेयी अशोक सिंघई असम आईसीएस आशा शुक्‍ला ई—स्टाम्प उडि़या साहित्य उपन्‍यास एडसेंस एड्स एयरसेल कंगला मांझी कचना धुरवा कपिलनाथ कश्यप कबीर कार्टून किस्मत बाई देवार कृतिदेव कैलाश बनवासी कोयल गणेश शंकर विद्यार्थी गम्मत गांधीवाद गिरिजेश राव गिरीश पंकज गिरौदपुरी गुलशेर अहमद खॉं ‘शानी’ गोविन्‍द राम निर्मलकर घर द्वार चंदैनी गोंदा छत्‍तीसगढ़ उच्‍च न्‍यायालय छत्‍तीसगढ़ पर्यटन छत्‍तीसगढ़ राज्‍य अलंकरण छत्‍तीसगढ़ी व्‍यंजन जतिन दास जन संस्‍कृति मंच जय गंगान जयंत साहू जया जादवानी जिंदल स्टील एण्ड पावर लिमिटेड जुन्‍नाडीह जे.के.लक्ष्मी सीमेंट जैत खांब टेंगनाही माता टेम्पलेट डिजाइनर ठेठरी-खुरमी ठोस अपशिष्ट् (प्रबंधन और हथालन) उप-विधियॉं डॉ. अतुल कुमार डॉ. इन्‍द्रजीत सिंह डॉ. ए. एल. श्रीवास्तव डॉ. गोरेलाल चंदेल डॉ. निर्मल साहू डॉ. राजेन्‍द्र मिश्र डॉ. विनय कुमार पाठक डॉ. श्रद्धा चंद्राकर डॉ. संजय दानी डॉ. हंसा शुक्ला डॉ.ऋतु दुबे डॉ.पी.आर. कोसरिया डॉ.राजेन्‍द्र प्रसाद डॉ.संजय अलंग तमंचा रायपुरी दंतेवाडा दलित चेतना दाउद खॉंन दारा सिंह दिनकर दीपक शर्मा देसी दारू धनश्‍याम सिंह गुप्‍त नथमल झँवर नया थियेटर नवीन जिंदल नाम निदा फ़ाज़ली नोकिया 5233 पं. माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकार परिकल्‍पना सम्‍मान पवन दीवान पाबला वर्सेस अनूप पूनम प्रशांत भूषण प्रादेशिक सम्मलेन प्रेम दिवस बलौदा बसदेवा बस्‍तर बैंड बहादुर कलारिन बहुमत सम्मान बिलासा ब्लागरों की चिंतन बैठक भरथरी भिलाई स्टील प्लांट भुनेश्वर कश्यप भूमि अर्जन भेंट-मुलाकात मकबूल फिदा हुसैन मधुबाला महाभारत महावीर अग्रवाल महुदा माटी तिहार माननीय श्री न्यायमूर्ति यतीन्द्र सिंह मीरा बाई मेधा पाटकर मोहम्मद हिदायतउल्ला योगेंद्र ठाकुर रघुवीर अग्रवाल 'पथिक' रवि श्रीवास्तव रश्मि सुन्‍दरानी राजकुमार सोनी राजमाता फुलवादेवी राजीव रंजन राजेश खन्ना राम पटवा रामधारी सिंह 'दिनकर’ राय बहादुर डॉ. हीरालाल रेखादेवी जलक्षत्री रेमिंगटन लक्ष्मण प्रसाद दुबे लाईनेक्स लाला जगदलपुरी लेह लोक साहित्‍य वामपंथ विद्याभूषण मिश्र विनोद डोंगरे वीरेन्द्र कुर्रे वीरेन्‍द्र कुमार सोनी वैरियर एल्विन शबरी शरद कोकाश शरद पुर्णिमा शहरोज़ शिरीष डामरे शिव मंदिर शुभदा मिश्र श्यामलाल चतुर्वेदी श्रद्धा थवाईत संजीत त्रिपाठी संजीव ठाकुर संतोष जैन संदीप पांडे संस्कृत संस्‍कृति संस्‍कृति विभाग सतनाम सतीश कुमार चौहान सत्‍येन्‍द्र समाजरत्न पतिराम साव सम्मान सरला दास साक्षात्‍कार सामूहिक ब्‍लॉग साहित्तिक हलचल सुभाष चंद्र बोस सुमित्रा नंदन पंत सूचक सूचना सृजन गाथा स्टाम्प शुल्क स्वच्छ भारत मिशन हंस हनुमंत नायडू हरिठाकुर हरिभूमि हास-परिहास हिन्‍दी टूल हिमांशु कुमार हिमांशु द्विवेदी हेमंत वैष्‍णव है बातों में दम

छत्‍तीसगढ़ की कला, साहित्‍य एवं संस्‍कृति पर संजीव तिवारी एवं अतिथि रचनाकारों के आलेख

लूट का बदला लूट: चंदैनी-गोंदा

  विजय वर्तमान चंदैनी-गोंदा को प्रत्यक्षतः देखने, जानने, समझने और समझा सकने वाले लोग अब गिनती के रह गए हैं। किसी भी विराट कृति में बताने को ...