मॉं तुम्हारी गोद, तुम्हारा ऑंचल
कितना सुकून देता था
मेरा जिद, रोना, वह दुलार, वह क्रोध
वह निश्छल प्रेम, तुम पर वह सर्वस्व अधिकार,
मेरा फूट फूट कर तेरे आंचल को पकडकर रोना ।
कितना सुकून देता था
मेरा जिद, रोना, वह दुलार, वह क्रोध
वह निश्छल प्रेम, तुम पर वह सर्वस्व अधिकार,
मेरा फूट फूट कर तेरे आंचल को पकडकर रोना ।
आज जब मैं भी एक पिता हूँ
तुम्हारी अंतिम सत्य का सामना करते हुए
मेरे मानस में वही
दायित्वहीन बचपन कौंध रहे हैं
जब तुम मुझे छोडकर चली गई थी
और मैं पहली बार तुम्हें न पाके
फूट फूट कर रोया था
आज वही आंसु फूट पडते हैं
रूकते ही नहीं क्यों चली गई मां
मुझे छोडकर
तेरे न होने का अर्थ दु:सह है ।
मैं जीना चाहता हूँ उसी तरह
जिस तरह से मेरा बचपन था
तुम थी और तुम्हारा प्रेम था
सबसे सुरक्षित स्थान
तेरी गोद ।
तेरी बातें, वो लोरी
वो कहानी सुनाते हुए मुझे सुलाना
सब मुझे याद आ रहे हैं
तेरी नश्वर काया के साथ साथ
पंडित के उच्चारित गीता की पंक्तियां
मुझे लोरी सी लग रही है
सो जाना चाहता हूँ मॉं
तुम्हारी गोद में
अनंत के आगोश में ।
संजीव तिवारी
(13.12.2001)
भाई
जवाब देंहटाएंमैं मातृदेवो भव नाम से एक संचय तैयार कर रहा हूँ....जिसमें माँ से जुड़ी हिंदी समेतच सभी भारतीय भाषाओं की कविताएँ शामिल कर रहा हूँ....आप की कविता भी उसके लिए ले रहा हूँ....।
अगर आपकी निगाह में और कविताएँ हों तो बताएँ या पठाएँ...
बेहद मार्मिक कविता है।
जवाब देंहटाएंयह कविता पढ़ती गई और अपनी माँ के प्रति मन में उठ रहे भाव को सम्हालती रही। माँ के होने मात्र से ही बच्चा अपने आपको सुरक्षित महसूस करता है। ईश्वर हिम्मत दे इस दर्द और दुख से उबरने की।
जवाब देंहटाएंबहुत भावुक कविता लिखी है।
BAHUT HI MARMIK KAVITA HAI..MA..
जवाब देंहटाएंबचपन में मां कई बार कहती थी जब मां बनोगी तब दर्द जानोगी। आज उस दर्द को महसूस कर पाती हूं।उम्र के इस मोड पर भी उनको खोने के डर से कांप जाती हूं। बेहद मार्मिक कविता।
जवाब देंहटाएंसच है। थकान है और माँ की याद आ रही है।
जवाब देंहटाएंमाँ की याद आ गई ...
जवाब देंहटाएंआँखे नम से नमतर होती गईं..
आँखों से दिल और दिल से आत्मा मे उतरती चली गई..... माँ : एक कविता
स्पर्शी कविता!!
जवाब देंहटाएंक्या कहूं इससे आगे समझ ही नही पा रहा!!
माँ...इसकी पुकार ही जाने कितना कुछ याद दिला जाती है.......मिटटी कि सोंधी गंध,थपकी,आँचल कि ओट , प्रतीक्षित आँखें...मनुहार. ...................यह कविता , शब्दों कि परिधि से परे एक जिवंत माँ है.....माँ बस माँ...
जवाब देंहटाएंमार्मिक!!
जवाब देंहटाएंऐसी कविता पढ़कर:
बस यूँ ही चुपचाप उदास बैठा रहता हूँ
इस तरह अपने दिल का हाल कहता हूँ.
सुन्दर व भावपूर्ण कविता ।
जवाब देंहटाएंघुघूती बासूती
bahut maarmik rachna sanjeev ji,ek MAA hi aisa shabd hai jise pukaartey hi saarey vikar swatah hi nusht ho jaatey hain...aisa mai maanti huun.
जवाब देंहटाएंहृदयस्पर्शी रचना!
जवाब देंहटाएंshabd shabd mein maa ki zarurat uski kami hai
जवाब देंहटाएंमाँ की ममता से ओत-प्रोत मर्मस्पर्शी कविता -
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