अपने चितपरिचित व लोकप्रिय व्यंगकार स्थापित चिट्ठाकार आलोक पुराणिक जी का एक व्यंग हरियाणा व छत्तीसगढ से एक साथ प्रकाशित दैनिक हरिभूमि के रविवारीय अंक में प्रकाशित हुआ है । इस प्रकाशन से छत्तीसगढ के सुधी पाठकों को आलोक जी के विशेष शैली के व्यंग को जानने व समझने को मिलेगा, हरिभूमि से साभार एवं आलोक जी को धन्यवाद सहित हम इसे चित्र रूप में प्रस्तुत कर रहे हैं 

वाह, अगड़म-बगड़म दुकान के कई फ्रेंचाइसी सेंटर हैं!
जवाब देंहटाएंअरे वाह!!
जवाब देंहटाएंहरिभूमि नही आता अपने यहां इसलिए आपका शुक्रिया संजीव भैय्या जो इसे यहां उपलब्ध करवा दिया
सच में यह तो ब्रह्माडीय व्यंग्यकार हैं भाई..हर जगह छाये हैं. :)
जवाब देंहटाएं